Lebanon Social Worker Release France Jail: इजराइली और अमेरिकी अधिकारियों से तंग आकर 40 साल पहले लेबनानी मानवधिकार कार्यकर्ता ने दो लोगों का कत्ल कर दिया. इस घटना के बाद आरोपी फ्रांस की जेल में 40 साल रहा और अब वतन वापसी पर बेरुत में लोगों का जनसैलाब उमड़ा. जानें पूरा मामला?
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Lebanon News Today: फ्रांस की जेल में 40 साल की लंबी सजा काटने के बाद फिलिस्तीनी समर्थक और लेबनानी कार्यकर्ता जॉर्ज इब्राहिम अब्दुल्ला शुक्रवार को जब अपने वतन लेबनान पहुंचे, तो वहां उनका हीरो की तरह स्वागत हुआ. 74 वर्षीय अब्दुल्ला को 1984 में अमेरिका और इजरायल के दो राजनयिकों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 1987 में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
अब्दुल्ला को फ्रांस की ला लामेजान जेल से रिहा किया गया और फिर उन्हें हवाई जहाज से लेबनान लाया गया, जहां बेरुत एयरपोर्ट पर वीआईपी लाउंज में उनके परिजनों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. वहां दर्जनों समर्थक, जिनमें कई लोग फिलिस्तीनी झंडे और लेबनानी कम्युनिस्ट पार्टी के झंडे लहरा रहे थे, उन्हें एक प्रतीकात्मक नेता के रूप में दिखा रहे थे.
जॉर्ज इब्राहिम अब्दुल्ला के गांव कोबयात में लोगों ने उन्हें फूलों से लाद दिया. कोबायत में अब्दुल्ला के स्वागत के लिए बड़ी संख्या मर्द, औरत और बच्चे इकट्ठा हुए थे. जॉर्ज इब्राहिम अब्दुल्ला की वापसी पर स्थानीय सांसद जिमी जबरूर ने कहा,"चाहे हम उनके विचारों से सहमत हों या नहीं, लेकिन उनकी दृढ़ता और संकल्प को सलाम है."
मौके पर मौजूद 68 साल की महिला क्लॉडेट टैनोस ने कहा,"पूरा गांव खुश है कि वह वापस आ गया है. कोई और होता तो शायद 41 साल तक जेल में रहने के बाद मानसिक रूप से टूट गया होता." रिहाई के बाद अपने पहले सार्वजनिक भाषण में अब्दुल्ला ने गाजा में इजराइली हमलों की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि, "फिलिस्तीन के मासूम बच्चे भूख से मर रहे हैं और करोड़ों अरब चुपचाप तमाशा देख रहे हैं."
इजराइली जुल्म के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए जॉर्ज इब्राहिम अब्दुल्ला ने कहा, "बेगुनाहों पर हो रहे जुल्म खिलाफ अपना विरोध जारी रखना चाहिए और जालिम को रोकने के लिए अब इसे और तेज करना होगा." पूर्व शिक्षक अब्दुल्ला ने अपने भाषण में यह भी कहा कि, "फिलिस्तीन का स्वतंत्र राष्ट्र बनना चाहिए और यह एक व्यापक शांति योजना का हिस्सा होना चाहिए. दो-राज्य समाधान ही टिकाऊ शांति का रास्ता है."
गौरतलब है कि मानवाधिकार संगठनों ने गाजा में तेजी से बढ़ते अकाल और खाद्य संकट की चेतावनी दी है. गाजा पर इजराइली बमबारी की वजह से मानवीय संकट चरम पर पहुंच चुका है. जॉर्ज अब्दुल्ला की रिहाई फिलिस्तीनी समर्थकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए एक भावनात्मक क्षण रहा, जो उन्हें विरोध की एक मिसाल और न्याय के प्रतीक के रूप में देखते हैं.