Jharkhand News: झारखंड सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस पिटीशन में मीट एक्सपोर्टर्स के खिलाफ हो रहे दोहरे बर्ताव के बारे में जिक्र किया गया है. पिटीशन कुरैशी कॉन्फ्रेंस के जरिए दायर की गई है.
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Jharkhand News: कुरैशी कॉन्फ्रेंस (पंजीकृत) ने झारखंड गोवध प्रतिषेध अधिनियम 2005 को लेकर झारखंड सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें इस कानून को असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है. बता दें, ये कानून राज्य में गोमांस की बिक्री और गोहत्या पर रोक लगाता है. इसमें गायों, बैलों, साडों और दूसरे गोजातीय जानवरों को शामिल किया गया है.
यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील और कुरैशी कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सनोबर अली कुरैशी ने दायर की है, जिसमें झारखंड सरकार के स्लॉटर हाउस को फिर से खोलने और गोहत्या को रोकने वाले 2005 के कानून में संशोधन की मांग की गई है.
कॉन्फ्रेंस का कहना है कि यह कानून झारखंड के ट्रेडिशनल बिजनेस से जुड़े सभी समुदायों, मांस व्यापारियों, किसानों, पशु व्यापारियों, परिवहन कर्मियों, मजदूरों की आजीविका में न केवल बाधा डालता है, बल्कि यह संवैधानिक मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, भारत का संविधान सभी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए सभी नागरिकों को समान अधिकार और बिजनेस की आज़ादी देता है.
कॉन्फ्रेंस ने आगे कहा कि आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मांस निर्यातक है, फिर भी अपने ही देश के भीतर यह व्यवसाय करना बहुत कठिन है. सरकार से हमारा सवाल है कि जब देश का सबसे बड़ा मांस निर्यातक अल-कबीर, सतीश सभरवाल और अरबिन एक्सपोर्ट कंपनी के मालिक सुनील कपूर को काम करने के इजाजत है तो हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि अगर देश के गरीब मजदूर काम करेंगे तो उनके लिए नए कानून बनेंगे. 2014 में मांस निर्यात में भारत दुनिया में 16वें स्थान पर था, जो 2022 में बढ़कर 5वें और 2024 में दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा.