Israel और Qatar के बीच जुबानी जंग, नेतन्याहू के बयान से भड़का विदेश मंत्रालय
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Israel और Qatar के बीच जुबानी जंग, नेतन्याहू के बयान से भड़का विदेश मंत्रालय

Qatar on Netanyahu: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कतर पर टिप्पणी की, जिस पर मुस्लिम मुल्क के विदेश मंत्रालय की कड़ी प्रतिक्रिया आई है. कतर ही इजराइल और हमासके बीच सीजफायर पर बातचीत करा रहा है.

Israel और Qatar के बीच जुबानी जंग, नेतन्याहू के बयान से भड़का विदेश मंत्रालय

Qatar on Netanyahu: कतर ने नेतन्याहू के कमेंट पर कड़ा रद्देअमल जाहिर किया है. बता दें, इस वक्त कतर हमास और इजराइल के बीच सीजफायर को लेकर बातचीत करा रहा है. कतर ने रविवार को इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की उस टिप्पणी को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कतर को "दोनों तरफ का खेल खेलना बंद करना चाहिए." 

नेतन्याहू ने क्या कहा?

नेतन्याहू के कार्यालय की तरफ से शनिवार को एक बयान जारी कर कहा गया था कि कतर को यह तय करना होगा कि वह "सभ्यता के साथ है या हमास के साथ." इस पर कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कड़ा रद्देअमल जाहिर किया है और कहा है कि नेतन्याहू का बयान "भड़काऊ" है और यह राजनीतिक और नैतिक जिम्मेदारी के बुनियादी मानकों से भी बहुत नीचे है.

मिस्र और कतर कर रहे हैं कोशिश

हालांकि मिस्र और कतर दोनों सीजफायर कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इज़राइल और हमास में से कोई भी अपनी मुख्य शर्तों पर पीछे हटने को तैयार नहीं है और दोनों एक-दूसरे को बातचीत न होने का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

क्या चाहते हैं इजराइल और हमास

इज़राइल चाहता है कि गाज़ा में अब भी बंधक बनाए गए 59 लोगों को छोड़ा जाए, और उसका कहना है कि हमास को हथियार डालने होंगे और भविष्य में गाज़ा पर शासन से बाहर रहना होगा, जिसे हमास मानने से इनकार करता है.  वहीं, हमास का कहना है कि जब तक इज़राइल जंग खत्म नहीं करता और अपनी सेना को गाज़ा से पूरी तरह नहीं हटाता, तब तक कोई सौदा नहीं होगा, जिसमें बंधकों की रिहाई शामिल है.

पहले कैसे रिहा हुए बंधक?

अल-अंसारी ने नेतन्याहू के उस बयान की आलोचना की जिसमें गाज़ा के जंग को "सभ्यता की रक्षा" बताया गया था. उन्होंने इसे उन ऐतिहासिक सरकारों से जोड़ा जिन्होंने नागरिकों के खिलाफ अपराधों को झूठी कहानियों से सही ठहराने की कोशिश की थी. उन्होंने यह भी सवाल किया कि पहले जो 138 बंधक रिहा हुए थे, वो सैन्य कार्रवाई से हुए या मध्यस्थता की कोशिशों से?

अल-अंसारी ने गाज़ा की बिगड़ती हालत का ज़िक्र भी किया. जिसमें कड़ी नाकाबंदी, भुखमरी, दवा और शरण की कमी और इंसानी मदद को राजनीतिक दबाव का ज़रिया बनाने का आरोप लगाया. इस बीच, इज़राइल की सुरक्षा कैबिनेट ने शुक्रवार को गाज़ा में एक बड़े सैन्य अभियान को मंज़ूरी दे दी है. इससे साफ हो गया है कि संघर्ष रोकने और बंधकों की वापसी की कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं.

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