गाजा में भूख से हार रही है इंसानियत, ज़ैनब की आपबीती सुनकर फट जाएगा कलेजा
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गाजा में भूख से हार रही है इंसानियत, ज़ैनब की आपबीती सुनकर फट जाएगा कलेजा

Gaza News: गाजा में इजरायल लगातार नरसंहार कर रहा है. अभी तक 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. इस हिंसा के बीच लोग भूख से मर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला ज़ैनब थीं, जो भूख से ज़िंदगी की जंग हार गईं. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

गाजा में भूख से हार रही है इंसानियत, ज़ैनब की आपबीती सुनकर फट जाएगा कलेजा

Gaza News: गाजा में हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब छोटे बच्चों की जान भी खतरे में है. खान यूनिस स्थित नासिर अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि पांच महीने की फ़िलिस्तीनी बच्ची ज़ैनब अबू हलीब की गंभीर कुपोषण के कारण मौत हो गई. उसकी मां और पिता ने रोते हुए कहा कि उन्होंने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी.

ज़ैनब की मां इसरा अबू हलीब ने बताया कि वह पिछले तीन महीनों से अस्पताल के चक्कर लगा रही थीं. बच्ची को ज़रूरी फ़ॉर्मूला दूध और इलाज नहीं मिल पा रहा था. उन्होंने कहा, "अगर उसे सही पोषण मिलता, तो वह अब तक बैठने लगती, लेकिन वह बिस्तर पर ही पड़ी रही." उन्होंने कहा कि सीमाएं बंद होने, दवाओं की कमी और सहायता के अभाव में उनकी बेटी को बचाया नहीं जा सका.

ज़ैनब के पिता अहमद अबू हलीब ने बताया कि उनका परिवार एक पोल्ट्री फ़ार्म के पास एक तंबू में रह रहा था, जहां उन्हें साफ़ पानी, खाना और दवाइयां भी नहीं मिल रही थीं. उन्होंने कहा, "हम फॉर्मूला दूध और ज़रूरी दवाइयां ढूंढ़ते रहे, लेकिन गाज़ा में ये चीज़ें उपलब्ध नहीं हैं. हमारी बच्ची को विशेष दूध की ज़रूरत थी, जो उसे नहीं मिल सका." 

गाजा के नासिर अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. अहमद अल-फ़र्रा ने कहा कि ज़ैनब को विशेष दूध की ज़रूरत थी, जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं था. उसकी हालत बिगड़ती गई, उसे दस्त, उल्टी और निर्जलीकरण की समस्या हो गई. इससे उसे गंभीर संक्रमण (सेप्सिस) हो गया और आखिरकार उसकी मृत्यु हो गई. डॉ. अल-फ़र्रा ने कहा कि गाज़ा में अब तक कुपोषण के कारण 124 मरीज़ों की मौत हो चुकी है, जिनमें 84 बच्चे शामिल हैं. उन्होंने कहा कि गाज़ा में गंभीर कुपोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है.

ज़ैनब अबू हलीब की मौत गाज़ा में फैल रही मानवीय त्रासदी का एक दर्दनाक उदाहरण है. बंद सीमाएं, दवा और भोजन की कमी और वैश्विक चुप्पी ने इस नन्ही सी जान को जीने का कोई मौका नहीं दिया. अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गाज़ा में इस मानवीय आपदा पर ध्यान देने और मदद के रास्ते खोलने की ज़रूरत है.

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