शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा के एक बयान ने करोड़ों भारतीयों को चिंता में डाल दिया है. उन्होंने ने साफ-साफ कहा है कि यूपीआई पेमेंट हमेशा के लिए फ्री नहीं रहेगा.
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1 रुपये भेजूं? पर चार्ज तो नहीं कटेगा ना? यूपीआई पेमेंट की दुनिया में ऐसा सवाल अब मजाक नहीं, हकीकत बनने की ओर बढ़ रहा है. शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा के एक बयान ने करोड़ों भारतीयों को चिंता में डाल दिया है. उन्होंने ने साफ-साफ कहा है कि यूपीआई पेमेंट हमेशा के लिए फ्री नहीं रहेगा. उनका यह बयान न सिर्फ डिजिटल इंडिया के यूजर्स के लिए एक चेतावनी है, बल्कि आने वाले समय में यूपीआई के पूरे मॉडल में बड़ा बदलाव ला सकता है.
फिलहाल यूपीआई सेवा फ्री है, लेकिन...
वर्तमान में यूपीआई के जरिए लेनदेन करना यूजर्स के लिए पूरी तरह मुफ्त है. आप चाहे 1 रुपये ट्रांसफर करें या 1 लाख, कोई फीस नहीं लगता. लेकिन आरबीआई गवर्नर ने स्पष्ट किया कि इस फ्री सिस्टम के पीछे सरकार की सब्सिडी छिपी है, जो बैंकों और अन्य स्टेकहोल्डर्स को दी जाती है ताकि वे पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर का बोझ झेल सकें.
‘कोई न कोई तो देगा लागत’- RBI गवर्नर
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि लागत तो चुकानी होगी. किसी न किसी को वहन करनी ही होगी. उन्होंने ये भी जोड़ा कि कोई भी सेवा, खासकर इतनी बड़ा पेमेंट सिस्टम, लंबे समय तक फ्री में नहीं चलाई जा सकती. इस बयान से संकेत मिलते हैं कि भविष्य में या तो उपभोक्ता को कुछ शुल्क देना पड़ सकता है या मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) वापस आ सकता है, जिसे सरकार ने दिसंबर 2019 में खत्म कर दिया था.
इंडस्ट्री पहले ही कर रही थी चेतावनी
डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री के जानकार पहले से ही कह रहे थे कि बिना रेवेन्यू के यह मॉडल लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है. मर्चेंट डिस्काउंट रेट (जो बैंक व्यापारी से लेते थे) वह बंद हो चुका है. लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. यूपीआई के जरिए हर महीने अरबों ट्रांजैक्शन हो रहे हैं, और इनका बैकएंड सिस्टम बैंकों, NPCI और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स को संभालना होता है, जिसमें बहुत बड़ी लागत लगती है.
दुनिया में बना रिकॉर्ड, लेकिन चिंता बाकी है
यूपीआई ने हाल ही में दुनिया की दिग्गज कंपनी वीजा को पीछे छोड़ दिया. जून 2025 में ही यूपीआई के जरिए 18.39 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू ₹24.03 लाख करोड़ थी. भारत अब रियल टाइम डिजिटल पेमेंट में ग्लोबल लीडर बन गया है. लेकिन इस सफलता के पीछे वित्तीय टिकाऊपन की बहस अब तेज हो गई है.
क्या होगा आगे?
फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि यूजर्स से कितना चार्ज लिया जाएगा, या सिर्फ व्यापारियों को ही शुल्क देना होगा. लेकिन इतना तय है कि यूपीआई का फ्री सफर हमेशा के लिए नहीं चलने वाला.