JNU-Turkiye University MOU: खलीफा बनने चला था, मगर पाक को सपोर्ट कर घिरा तुर्किए, JNU ने दे दिया सॉलिड झटका
Advertisement
trendingNow12757928

JNU-Turkiye University MOU: खलीफा बनने चला था, मगर पाक को सपोर्ट कर घिरा तुर्किए, JNU ने दे दिया सॉलिड झटका

Pakistan-Turkiye Relations: जेएनयू और तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी (Inonu Universitesi) के बीच MoU अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है. 

 

JNU-Turkiye University MOU: खलीफा बनने चला था, मगर पाक को सपोर्ट कर घिरा तुर्किए, JNU ने दे दिया सॉलिड झटका

Boycott Turkey: दिल्ली जेएनयू ने तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी के समझौता रद्द कर दिया. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने कहा कि हम देश के साथ खड़े हैं. ये कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि तुर्किए पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहा है. ऐसे में अब पाकिस्तान की मदद करके तुर्किए चारों तरफ से फंस गया है.

UPSC Prelims Tips 2025: यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा की डेट नजदीक, अभ्यर्थी भूलकर भी ना करें ये गलती

राष्ट्र के साथ है खड़ा जेएनयू 
इस बात की जानकारी जेएनयू ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर दी है. जिसमें लिखा है कि, राष्ट्रीय सुरक्षा विचारों के चलते जेएनयू और तुर्किए की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ हुआ एमओयू अगली सूचना तक निलंबित रहेगा. इस पोस्ट में राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विदेश मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय को टैग भी किया गया है.   

जानकारी के अनुसार, तुर्किए और अजरबैजान के साथ व्यापारिक संबंधों के वजह से भारत के साथ तनाव बढ़ने की आशंका है. बताया जा रहा है कि इन दोनों देशों ने पाकिस्तान को सपोर्ट किया था. साथ ही पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हुए हमले की निंदा भी की थी, जिसके बाद तुर्किए और अजरबैजान का पूरे देश में विरोध किया जा रहा है.

पहलगाम आंतकी हमले में सिर से उठ गया पिता का साया, बेटे ने 10वीं बोर्ड परीक्षा में किया कमाल! हासिल किए इतने नंबर

भारत ने की थी तुर्की की मदद
फरवरी 2023 में तुर्की में आए बेहद भयंकर और महाविनाशकारी भूकंप में भारत मदद करने वाले पहले देशों में से एक था. इस दौरान भारत की ओर से 'ऑपरेशन दोस्त' चलाकर तुर्की के लोगों की मदद की थी.
'ऑपरेशन दोस्त' के तहत भारत ने तुर्की में जाकर न केवल लोगों को बचाया था, बल्कि बड़ी तादाद में राहत सामग्री भी भेजी थी. इसके लिए भारतीय वायुसेना के सी -17 ग्लोबमास्टर विमान का भी उपयोग किया गया था.

तुर्की के सेबों का बायकॉट
वहीं, अब तुर्की के एहसान फरामोशी का जवाब देने के लिए भारत की जनता खुद सामने आ गई है और खुलकर तुर्की के उत्पादों का बायकॉट कर रही है. गाजियाबाद के साहिबाबाद के फल विक्रेताओं ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान का सपोर्ट करने के लिए हमने तुर्की के सेबों का बायकॉट करने का फैसला लिया है.

फल विक्रेताओं ने आगे कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से हम व्यापार नहीं करेंगे. वहां से अब सेब के साथ किसी अन्य फल का भी आयात नहीं किया जाएगा. अब हमने हिमाचल या फिर किसी अन्य भारतीय राज्य से सेब खरीदने का फैसला किया है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आमतौर पर भारत में तुर्की से हर साल 1,000 से 1,200 करोड़ रुपए के सेब आयात किए जाते हैं. ऐसे में अब तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के कारण मार्बल उद्योग ने भी आयात को बायकॉट करने का फैसला किया है. इससे तुर्की को काफी आर्थिक चोट पहुंच सकती है.

सोशल मीडिया पर तुर्की बायकॉट ट्रेंड कर रहा
इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी तुर्की बायकॉट ट्रेंड कर रहा है और लोग तुर्की घूमने की अपनी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने का मन बना चुके हैं. इस कारण से बड़ी संख्या में भारत से तुर्की जाने की बुकिंग रद्द हो रही हैं.भारत के शीर्ष उद्योग निकाय कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सभी व्यापारियों और नागरिकों से तुर्की और अजरबैजान का बायकॉट करने की अपील की.

ये भी पढ़ें
साल 2024 में तुर्की में करीब 62.2 मिलियन विदेशी यात्री आए थे. इसमें से 3,00,000 के आसपास भारतीय थे. 2023 की तुलना में पिछले साल तुर्की में 20 प्रतिशत अधिक भारतीय यात्री आए थे. कैट द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष तुर्की की कुल पर्यटन आय 61.1 बिलियन डॉलर थी, जिसमें प्रत्येक भारतीय पर्यटक ने औसतन 972 डॉलर खर्च किए थे. पिछले वर्ष संयुक्त रूप से भारतीयों द्वारा तुर्की में 291.6 मिलियन डॉलर खर्च किए गए थे.

About the Author
author img

TAGS

Trending news

;