Sant Tukaram Film Review: कैसे एक आम इंसान से संत बन गए 'तुकाराम'? एक ऐसी कहानी जो देखना जरूरी है
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Sant Tukaram Film Review: कैसे एक आम इंसान से संत बन गए 'तुकाराम'? एक ऐसी कहानी जो देखना जरूरी है

अगर आप इतिहास के पन्नों में दबी एक कहानी को देखना चाहते हैं तो 'संत तुकाराम' फिल्म आ चुकी है. इस फिल्म में एक इंसान के आम से संत बनने की कहानी को दिखाया गया है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये मूवी कैसी है.

संत तुकाराम फिल्म रिव्यू
संत तुकाराम फिल्म रिव्यू

फिल्म: संत तुकाराम
स्टार्स: सुबोध भावे, अरुण गोविल, ट्विंकल कपूर, शीना चौहान, संजय मिश्रा, शिव सूर्यवंशी आदि
निर्देशक: आदित्य ओम
रेटिंग :3 

Sant Tukaram Film Review: कुछ फिल्में ऐसी होती है जिन्हें देखना बेहद जरूरी होती है. ये फिल्में मसाला वाली फिल्मों की कैटगरी से दूर एक अलग जॉनर की होती हैं. ऐसी ही एक मूवी है  महाराष्ट्र के महान संत तुकाराम के जीवन पर आधारित फिल्म 'संत तुकाराम'.  

क्या है कहानी?

ये फिल्म एक साधारण व्यक्ति के संत बनने की यात्रा को दिखाती है. सच्ची घटनाओं पर आधारित यह फिल्म आपको उस पुराने इतिहास में लेकर जाएगी जिसे देखकर और उससे जुड़ना आपको एक अलग अनुभव का एहसास कराएगा.  तुकाराम अपने सरल स्वभाव और बातचीत के तरीके से लोगों को बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करते थे. उनके आदर्श, सिद्धांत और उपदेश हमेशा मानवता का मार्गदर्शन आज भी करके रहे हैं. आदित्य ओम द्वारा निर्देशित इस फिल्म में 17वीं सदी के मराठी संत की कहानी को पर्दे पर उतारा है. 

 साहूकार के घर में हुआ जन्म

फिल्म की कहानी संत तुकाराम के पूर्वज, महान भक्त विशम्भर से शुरू होती है. विशम्भर भगवान विठोबा का मंदिर बनवाना चाहते थे, लेकिन उन्हें उपयुक्त मूर्ति नहीं मिल पा रही थी. फिर एक रात, उन्हें चमत्कारिक रूप से एक सपना आता है और वे अपने बगीचे में एक मूर्ति देखते हैं. विट्ठल के महान भक्तों के इसी परिवार में, बोल्होबा नामक एक साहूकार के घर तुकाराम का जन्म हुआ.

हालांकि बोल्होबा साहूकार थे, लेकिन वे समाज के हाशिए पर स्थित समुदाय से ताल्लुक रखते थे. युवा तुकाराम समाज में व्याप्त रूढ़ियों और भेदभाव से अछूते नहीं रहे और उन्होंने इससे लड़ने की ठान ली. तुकाराम का कम उम्र में ही विवाह हो गया था, और अपने बड़े भाई की सामान्य जीवन में रुचि न होने के कारण, उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय संभाला. तुकाराम की पहली पत्नी अक्सर बीमार रहती थीं, जिसके कारण उन्होंने दूसरा विवाह किया. उनकी दूसरी पत्नी, अवली, एक व्यावहारिक महिला थीं.

कई लोगों को खोया

तुकाराम के जीवन में जल्द ही दुखद घटनाएं हुईं. उन्होंने अकाल और बीमारी के कारण अपने बेटे, पहली पत्नी और माता-पिता को खो दिया. इन घटनाओं से वे अंदर तक हिल गए और उनका झुकाव भक्ति और अध्यात्म की ओर हो गया. इसी दौरान, तुकाराम अपने आराध्य भगवान विट्ठल के साथ अपने गहरे संबंध को जानने में लगे थे. भगवान विट्ठल उनसे विभिन्न रूपों में वेश बदलकर मिलते थे. तुकाराम को संतों और महापुरुषों के दर्शन भी होते थे, जो उन्हें जीवन के लक्ष्य की ओर मार्गदर्शन करते थे.

बेहतरीन काम

इसके बाद तुकाराम एक संत के रूप में पूजनीय हो जाते है. छत्रपति शिवाजी महाराज भी मार्गदर्शन और आशीर्वाद के लिए उनके पास आते हैं. संत तुकाराम महाराज तीर्थयात्रा पर जाने की योजना बनाते हैं. मम्बाजी उन्हें खत्म करने की योजना बनाते हैं, लेकिन चमत्कारिक रूप से संत तुकाराम महाराज एक भयंकर तूफान, गड़गड़ाहट और बिजली की चमक में गायब हो जाते हैं. इस फिल्म में संत तुकाराम का मेन रोल सुबोध भावे ने निभाया है. इस रोल में वो खूब फिट हुए हैं. इसके अलावा बाकी सितारों का काम भी बेहतरीन है. 

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