तेज आवाज में गेम खेलने से सुनने की ताकत खो रहे हैं बच्चे, अभी नहीं संभले, तो बिगड़ जाएगी बात
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तेज आवाज में गेम खेलने से सुनने की ताकत खो रहे हैं बच्चे, अभी नहीं संभले, तो बिगड़ जाएगी बात

Hearing Loss: अगर आपका बच्चा भी मोबाइल पर तेज आवाज में गेम खेलता है, तो अभी सतर्क हो जाने की जरूरत है, वरना लॉन्ग टर्म में हियरिंग लॉस का सामना करना पड़ सकता है. 

तेज आवाज में गेम खेलने से सुनने की ताकत खो रहे हैं बच्चे, अभी नहीं संभले, तो बिगड़ जाएगी बात

World Hearing Day: आजकल बच्चों को तेज आवाज में गेम खेलना काफी पसंद आता है, लेकिन ये उनके लिए खतरे की घंटी है. वर्ल्ड हियरिंग डे के मौके पर को 3 मार्च 2025 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि बच्चों में सुनने की क्षमता को रोकने के लिए स्क्रीन के एक्सपोजर को सीमित करना और गेमिंग वॉल्यूम कम करना जरूरी है. 

3 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे 
बधिरता और सुनने की क्षमता में कमी को रोकने के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में कान और हियरिंग केयर की वकालत करने के लिए हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे मनाया जाता है. इस साल का विषय "मानसिकता बदलना: कान और हियरिंग केयर को सभी के लिए रियलटी बनाने के लिए खुद को सशक्त बनाना" है.

बच्चों को हियरिंग लॉस का खतरा
मंत्रालय ने कहा कि स्क्रीन टाइम के बढ़ते एक्सपोजर और ऑनलाइन गेम से तेज आवाज के कारण बच्चे सुनने की क्षमता में कमी के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं. मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "वर्ल्ड हियरिंग डे 2025, तेज आवाज, गेमिंग और हद से ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों को सुनने की क्षति होने का खतरा अधिक होता है." माता-पिता को इनके एक्सपोजर को लिमिट करने की सलाह देते हुए, मंत्रालय ने रेगुलर हियरिंग चेक और सेफ लिस्निंग हैबिट्स जैसे कुछ उपाय भी लिस्ट किए. 

 

 

मां-बाप ऑनलाइन गेम को लिमिट करें
मंत्रालय ने एक इन्फोग्राफिक में कहा, "माता-पिता ध्यान दें. गेमिंग और तेज आवाज से बच्चों को सुनने की क्षति होने का खतरा अधिक होता है. बच्चों के स्क्रीन टाइम और गेमिंग वॉल्यूम को सीमित करें." "उन्हें सुनने की क्षमता में कमी से बचाने के लिए ये आसान कदम उठाएं: सुरक्षित सुनने की आदतों को प्रोत्साहित करें और रेगुलर हियरिंग चेकअप सुनिश्चित करें." 

हेडफोन से भी खतरा
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, एक इंसान को सुनने की क्षमता में कमी तब समझा जाता है जब वे सामान्य सुनने वाले इंसान की तरह अच्छी तरह से सुनने में सक्षम नहीं होते हैं. हालांकि कोई भी इंसान हियरिंग लॉस के रिस्क में हो सकता है, लेकिन 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों में ये अधिक हो सकता है; जो नियमित रूप से हेडफोन का इस्तेमाल करके तेज संगीत सुनते हैं; शोर वाले वातावरण में काम करते हैं; अक्सर म्यूजिक कॉन्सर्ट या स्पोर्ट्स इवेंट्स में हिस्स लेते हैं; ऐसी दवाएं लेते हैं जो कान को नुकसान पहुंचा सकती हैं; और जिनके कान में संक्रमण है.

पब्लिक हेल्थ चैलेंज
डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया की रिजनल डायरेक्टर साइमा वाजेद (Saima Wazed) ने कहा कि सुनने की क्षमता में कमी एक बढ़ती हुई सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है और अगर समस्या से निपटने के लिए उचित उपाय नहीं किए गए तो दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 660 मिलियन लोग इस स्थिति से प्रभावित हो सकते हैं.

साउथ-ईस्ट एशिया में हालत गंभीर
वाजेद ने कहा, "ग्लोबल लेवल पर 1.5 अरब से ज्यादा लोग प्रभावित हैं, जिनमें से तकरीबन 80 फीसदी लो और मिडिल इनकम वाले देशों में रहते हैं." "हमारे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में अकेले अनुमानित 400 मिलियन लोग सुनने की समस्याओं का अनुभव करते हैं . यह संख्या 2050 तक 660 मिलियन तक बढ़ सकती है अगर मौजूदा रुझान जारी रहे." 

कैसे कंट्रोल होगी प्रॉब्लम?
रिजनल डायरेक्टर ने कहा कि हियरिंग स्क्रीनिंग और हियरिंग एड सर्विलेल जैसे असदार और कॉस्ट इफिशिएंट इंटरवेंशन से सुनने की परेशानियों को रोका जा सकता है. उन्होंने "एसिस्टिव प्रोडक्ट हीयरिंग मॉड्यूल पर ट्रेनिंग के फील्ड टेस्टिंग" आयोजित करने के लिए भारत की सराहना भी की. हालांकि, "दुनिया भर में कान और हियरिंग केयर की 80 फीसदी से अधिक जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं. इस अंतर को पाटना एक प्रायोरिटी होनी चाहिए." 

सरकारों से कान और हियरिंग केयर को प्राथमिकता देने के साथ-साथ कलंक को चुनौती देने का आह्वान करते हुए, वाजेद ने कहा कि अगर सुनने की क्षमता में कमी की समस्या का समाधान नहीं किया जाता है, तो यह "भाषा विकास, शिक्षा, रोजगार और मानसिक स्वास्थ्य" को प्रभावित कर सकती है.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमें इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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Shariqul Hoda शारिक़ुल होदा

ज़ी न्यूज में सीनियर सब एडिटर. हेल्थ और लाइफस्टाइल की स्टोरीज करते हैं. नेशनल, इंटरनेशनल, टेक, स्पोर्ट्स, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट, हेल्थ और लाइफस्टाइल का लंबा तजुर्बा है. जर्नलिज्म करियर की शुरुआत 2...और पढ़ें

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