Jehanabad News: मखदुमपुर प्रखंड स्थित कनौली गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय का भवन पूरी तरह से खंडहर हो चुका है. जर्जर भवन में विद्यालय संचालित करने से किसी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है. छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के मन में भी डर बना रहता है.
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Jehanabad Government School: राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल में हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. यहां सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 मासूमों की दबकर मौत हो गई और 28 बच्चे घायल हो गए. इस हादसे के बाद राजस्थान की सरकार नींद से जागी और प्रदेशभर के सभी जर्जर स्कूलों को तोड़ने और 7500 स्कूलों की मरम्मत का आदेश जारी किया. इस दुखद घटना के बाद अब बिहार सरकार की संवेदनशीलता और सजगता पर सवाल उठ रहे हैं. ताजा मामला जहानाबाद का है. जहां मखदुमपुर प्रखंड स्थित कनौली गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय का भवन पूरी तरह से खंडहर हो चुका है. यहां स्कूल की छत से प्लास्टर गिरना आम बात हो गई है. बावजूद इसके स्कूल का संचालन उसी खतरनाक भवन के बरामदे में किया जा रहा है. बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. स्कूल के छत और प्लास्टर टूट-टूट कर गिरते रहते हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है.
मखदुमपुर प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय कनौली का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. बावजूद स्कूल का संचालन इस खंडहरनुमा भवन के बरामदे में किया जा रहा है. स्कूल के अनंदायी कक्ष में ही स्कूल का कार्यालय और किचेन शेड बनाया गया है. जिसकी हालात भी काफी दयनीय है. मौसम खराब होने पर परेशानी और बढ़ जाती है. स्कूल के छात्रों ने बताया कि स्कूल का भवन काफी जर्जर है. पूरा भवन टूटा-फूटा है. कई बार छत का प्लास्टर ऊपर से टूट कर गिर गया है, जिसमें एक बच्चे का सर भी फट गया था. छात्रों ने बताया कि बारिश के दिनों में हालात और भी खराब हो जाते है. यहां पढ़ना भी मुश्किल हो जाता है. छत से पानी टपकता है साथ ही जर्जर भवन का मलबा भी टूटकर गिरता रहता है. वहीं शिक्षक द्वारा एक ही जगह एक से आठ वर्ग के छात्र-छात्राओं को बैठाया जाता है, जिससे पढ़ाई भी नही हो पाती है.
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स्कूल के शिक्षिका ने बताया कि विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे आते है, लेकिन संसाधनों की घोर कमी है. विद्यालय का भवन काफी जर्जर है. दो कमरे में संचालित होने वाले विद्यालय का छत टूट चुका है. बरामदे में ही किसी तरह बच्चों को पढ़ाया जाता है. एक शिक्षिका ने बताया कि स्कूल का भवन काफी जर्जर होने के कारण यहां पढ़ाई नही होती है. इसके कारण अब सिर्फ कागजों में ही यह स्कूल सिमटा है. इधर विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय में 140 बच्चों का नामांकन है, जिनमें से औसतन 80 छात्र-छात्राएं प्रतिदिन विद्यालय आते हैं. यहां मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है. ना पीने का पानी, ना सुरक्षित भवन, ना शौचालय और ना ही बैठने की पर्याप्त व्यवस्था.
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इस पर स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय भवन निर्माण के लिए कई बार जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को आवेदन दिया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. हर बारिश के मौसम में डर बना रहता है कि कब कोई हादसा न हो जाए. बहरहाल यह केवल एक जर्जर भवन की बात नहीं है, यह प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता और बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की मिसाल है. क्या किसी दर्दनाक हादसे के बाद ही बिहार सरकार जागेगी?
रिपोर्ट- मुकेश कुमार
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