Riga Vidhan Sabha Chunav: रीगा विधानसभा सीट 2010 में अस्तित्व में आई और पहले चुनाव में ही बीजेपी का कमल खिल गया. 2025 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं तो रीगा सीट पर भी सियासी हलचल तेज होती जा रही है.
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Riga Assembly Seat Profile: सीतामढ़ी जिले का रीगा ब्लॉक नेपाल से बिल्कुल जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे भारत का पहला गांव भी कहा जाता है. नेपाल के गौर-बैरगनिया कॉरिडोर से भारत में प्रवेश करते ही सबसे पहले रीगा ब्लॉक सामने आता है. हालांकि, बुनियादी ढांचे की कमी और अस्थिर संपर्क व्यवस्था अब भी रीगा की बड़ी समस्याएं बनी हुई हैं. रीगा विधानसभा सीट का गठन 2008 के परिसीमन में हुआ था और 2010 में पहला चुनाव हुआ था. महज तीन चुनाव में ही यह सीट, बिहार की VVIP सीटों में शामिल हो गई है. दरअसल, इस सीट से बीजेपी की टिकट पर विधायक बने मोती लाल प्रसाद, मौजूदा सरकार में मंत्री हैं. रीगा विधानसभा क्षेत्र में रिगा, बैरगनिया और सुप्पी ब्लॉक आते हैं. राजधानी पटना से इसकी दूरी करीब 150 किलोमीटर है.
चुनावी इतिहास
2010 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए और तभी से यह सीट चर्चाओं में रही है. यहां का मुकाबला हमेशा से बीजेपी और कांग्रेस के बीच देखने को मिला है. जेडीयू के साथ आने पर इस सीट पर बीजेपी को जबरदस्त समर्थन मिलता है. साल 2010 में बीजेपी के मोतीलाल प्रसाद ने कांग्रेस के अमित कुमार को 22 हजार 327 वोटों के अंतर से हराकर कमल खिलाया था. 2015 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा तो 'कमल' मुरझा गया. उस चुनाव में कांग्रेस के अमित कुमार ने बीजेपी के मोतीलाल प्रसाद को 22,856 वोटों से हराकर बदला चुकाया. 2020 में एनडीए के फिर से एकजुट होने पर मोतीलाल प्रसाद ने 32,495 वोटों की बड़ी बढ़त से जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति देखने को मिलती है.
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जातीय समीकरण
रीगा विधानसभा क्षेत्र में यादव, राजपूत और ब्राह्मण जातियों की आबादी सबसे अधिक है. इसके अलावा कोइरी समुदाय के वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि जातीय समीकरण के आधार पर एनडीए, विशेषकर भाजपा को यहां बढ़त मानी जाती है. विकास के मोर्चे पर भी रीगा सीट का उल्लेख किया जा रहा है. हाल ही में रीगा चीनी मिल के दोबारा संचालन की शुरुआत हुई है, जिससे भाजपा को सियासी लाभ मिलने की उम्मीद है.
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