Digvijay Singh on Rahul Gandhi: राहुल गांधी ने हाल ही में गुजरात के अंदर अपने नेताओं पर भाजपा के साथ शामिल होने के आरोप लगा दिया. इस बयान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सही ठहरा दिया है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि जब वो गुजरात में प्रचार के लिए गए थे तो उन्हें RSS के खिलाफ बोलने से रोका गया था.
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Digvijay Singh: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को कहा कि जब वे गुजरात में चुनाव प्रचार करने गए थे, तब उन्हें राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के खिलाफ बोलने से मना किया गया था, क्योंकि इससे 'हिंदू नाराज हो सकते हैं'. इसके अलावा इस मौके पर उन्होंने राहुल गांधी के उस बयान की सराहना की, जिसमें उन्होंने पार्टी के अंदर ऐसे लोगों की पहचान करने की बात कही थी जो बीजेपी की मदद कर रहे हैं.
शनिवार को अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी का सबसे पहला काम अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को दो ग्रुपों में बांटना है. एक ग्रुप में वे हैं जो कांग्रेस की विचारधारा को दिल से मानते हैं और जनता के साथ खड़े रहते हैं, जबकि दूसरे वे हैं जो जनता से कट चुके हैं और उनमें से आधे बीजेपी के साथ हैं. उन्होंने साफ कहा कि ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं को छांटना जरूरी है और उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, यहां तक कि उन्हें पार्टी से निकाला भी जा सकता है.
राहुल गांधी के इस बयान की तारीफ करते हुए दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि उन्हें याद है जब वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में प्रचार करने गए थे, तो उन्हें यह हिदायत दी गई थी कि वे आरएसएस के खिलाफ कुछ न कहें, क्योंकि इससे हिंदू नाराज हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि RSS के नेतृत्व वाला संघ परिवार हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि यह सिर्फ उन्हें धर्म के नाम पर गुमराह और शोषित करता है.
राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में शंकराचार्य की हजारों वर्षों पुरानी परंपरा रही है, जो आज भी कायम है. उन्होंने सवाल किया कि वर्तमान समय में इनमें से कौन सा शंकराचार्य बीजेपी और आरएसएस का समर्थन करता है? उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी सिर्फ एक ऐसा ग्रुप है, जो लोगों को धर्म के नाम पर ठगता है और सत्ता हासिल करना चाहता है. उनका मानना है कि बीजेपी का असली मकसद जनता को लूटना और धर्म के नाम पर सत्ता हासिल करना है.