भारत के पास 522 फाइटर जेट्स, चीन-पाकिस्तान से कम या ज्यादा; आंकड़ों में कौन किस पर भारी?
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भारत के पास 522 फाइटर जेट्स, चीन-पाकिस्तान से कम या ज्यादा; आंकड़ों में कौन किस पर भारी?

India-China and Pakistan Fighter Jets: भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच फाइटर जेट्स के आंकड़े देखें तो भारत थोड़ा पिछड़ता दिखाई दे रहा है. चलिए जानते हैं कि कौन किस पर भारी नजर आ रहा हैय़

भारत के पास 522 फाइटर जेट्स, चीन-पाकिस्तान से कम या ज्यादा; आंकड़ों में कौन किस पर भारी?

India-China and Pakistan Fighter Jets: भारत ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पहले तो पाकिस्तान में आतंकियों ठिकानों को तबाह किया और फिर जब पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई तो उसको भी मुंह तोड़ जवाब दिया. भारत ने जिस तरह पाकिस्तान को सबक सिखाया उसकी दुनियाभर में चर्चा हुई. हालांकि इस वाहवाही के पीछे एक गंभी चिंता भी छिपी हुई है. वो चिंता है भारत के फाइटर जेट्स की कम संख्या. जी हां भारत की वायु सेना (IAF) के पास लड़ाकू विमानों की भारी कमी होती जा रही है, जबकि चीन और पाकिस्तान अपनी ताकत लगातार बढ़ा रहे हैं. चलिए जानते इस रिपोर्ट में जानते हैं कि किसके पास कितने जेट्स हैं.

भारत के पास कितने फाइटर जेट्स हैं?

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना को देश की हिफाजत के लिए 42 लड़ाकू स्क्वाड्रनों (एक स्क्वाड्रन में लगभग 18 विमान होते हैं) की जरूरत होती है. हालांकि हमारी सेना के पास सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही हैं. इसके अलावा और चिंता की बात यह भी है कि जल्द ही दो स्क्वाड्रन (पुराने MiG-21) रिटायर हो जाएंगे. यानी भारत के पास सिर्फ 29 स्क्वाड्रन यानी लगभग 522 लड़ाकू विमान ही रह जाएंगे.

चीन और पाकिस्तान के पास कितने फाइटर जेट्स?

अब अगर पाकिस्तान और चीन के पास देखे तो उनके पास जेट्स की तादाद ज्यादा है. चीन के पास 66 स्क्वाड्रन (लगभग 1200 विमान), जबकि पाकिस्तान के पास 25 स्क्वाड्रन (लगभग 450 विमान) हैं. दोनों देशों को मिलाकर देखें तो यह तादाद 1650 के करीब पहुंच रही है. जो भारत से तीन गुना अधिक है.

जेट्स कम हैं तो खरीदते क्यों नहीं

अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर हमारे पास फाइटर जेट्स की कमी है तो खरीद क्यों नहीं लेते. तो यह काम इतना आसान नहीं है. क्योंकि यह कोई AC-कूलर की तरह नहीं होते कि गए और खरीदकर ले आए. भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदे थे. हर एक की कीमत लगभग 1600 करोड़ लेकिन ये संख्या ज़रूरत से बहुत कम है. अगर भारत को 234 नए विमान खरीदने हों, तो उसकी कीमत ₹4.68 लाख करोड़ से ज्यादा हो सकती है.

सबसे बड़ा रोड़ा क्या है?

दूसरी तरफ सरकार चाहती है कि हम अपने विमान खुद बनाएं. ये विचार बहुत अच्छा है लेकिन इसमें देरी बहुत हो रही है. क्योंकि इंजन की कमी है. तेजस विमान में अमेरिकी GE इंजन लगता है, जो समय पर नहीं आ रहे. जब तक इंजन नहीं आएंगे, HAL विमान नहीं बना पाएगा.

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