Gen Z का अब मेट्रो शहरों से हो रहा मोहभंग, चकाचौंध भरी जिंदगी क्यों छोड़ रहे युवा?
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Gen Z का अब मेट्रो शहरों से हो रहा मोहभंग, चकाचौंध भरी जिंदगी क्यों छोड़ रहे युवा?

Gen Z युवा अब मेट्रो शहरों की चकाचौंध छोड़कर छोटे शहरों का रुख कर रहे हैं. वजह है कम खर्च, बेहतर जीवन संतुलन, बढ़ते जॉब मौके और सुकूनभरी लाइफस्टाइल. अब सफलता की कहानी सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही.

Gen Z का अब मेट्रो शहरों से हो रहा मोहभंग, चकाचौंध भरी जिंदगी क्यों छोड़ रहे युवा?

Gen Z: एक समय था जब बड़े-बुजुर्ग कहते थे  बेटा कुछ बनना है तो दिल्ली-मुंबई-बेंगलुरु जा. बड़े शहरों को ही सफलता की सीढ़ी माना जाता था. यहां ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स, चमकती लाइट्स, बड़े-बड़े दफ्तर और शानदार लाइफस्टाइल का सपना हर किसी को खींच लेता था. लेकिन अब कहानी बदल रही है. Gen Z यानी आज की युवा पीढ़ी कह रही है. "हमें मेट्रो की भागदौड़ और महंगाई नहीं चाहिए, हमें चाहिए सुकून और बैलेंस" और इसी सोच के साथ ये युवा अब छोटे शहरों की तरफ लौट रहे हैं.

ग्रोथ स्टोरी सिर्फ मेट्रो तक सीमित

आज भारत की ग्रोथ सिर्फ मेट्रो तक सीमित नहीं है. जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, कोयंबटूर जैसे Tier 2 और Tier 3 शहर अब नए अवसरों के केंद्र बन चुके हैं. Naukri.com के मुताबिक, जोधपुर में 13%, राजकोट में 12%, रायपुर में 7% और गुवाहाटी में 6% ज्यादा नई नौकरियां मार्च 2024 में आईं, जबकि दिल्ली-मुंबई में भर्तियां घटी हैं. ई-कॉमर्स दिग्गज Amazon, Flipkart, Swiggy ने भी छोटे शहरों में अपने हब बढ़ा दिए हैं, जिससे हजारों नई नौकरियां पैदा हो रही हैं.

सालाना 2-6 लाख की बचत सिर्फ किराए में

बड़े शहरों की चकाचौंध जितनी खूबसूरत लगती है, जेब पर उतनी ही भारी पड़ती है. मुंबई-दिल्ली में 1BHK का किराया ₹35,000 से ₹65,000 महीना है, जबकि नागपुर-कोयंबटूर में यही ₹10,000 से ₹20,000 में मिल जाता है. यानी सालाना 2-6 लाख की बचत सिर्फ किराए में. सैलरी छोटे शहर में 25–30% कम हो सकती है, लेकिन वहां खर्च आधा होता है. रियल एस्टेट के मामले में भी छोटे शहर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. लखनऊ और कानपुर में प्रॉपर्टी की कीमतें दिल्ली से ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे यहां रहना और निवेश करना दोनों फायदे का सौदा बन गया है.

Gen Z के लिए अब सिर्फ प्रमोशन नहीं

Gen Z के लिए अब सिर्फ प्रमोशन और मोटी सैलरी ही सफलता नहीं है. अब उन्हें मानसिक सुकून, साफ हवा और परिवार के साथ वक्त बिताना भी उतना ही जरूरी लगता है. मेट्रो शहरों में ट्रैफिक और भागदौड़ में साल के 100 घंटे से ज्यादा सिर्फ जाम में निकल जाते हैं. वहीं छोटे शहरों में सफर छोटा है, जीवन आसान है और प्रदूषण भी कम. वर्क फ्रॉम होम और हाइब्रिड जॉब्स ने तो इसे और आसान बना दिया है. अब बड़े शहर की कंपनी में नौकरी करते हुए भी आप अपने छोटे शहर में रह सकते हैं.

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