Shashi Tharoor on Brahmos: शशि थरूर भले ही ऑपरेशन सिंदूर पर हुई बहस में लोकसभा में नहीं बोले लेकिन उन्होंने अपने तरीके से इससे कनेक्टेड एक गंभीर मुद्दा उठा ही दिया. यह विषय ब्रह्मोस मिसाइल का उत्पादन करने वाली एक यूनिट से जुड़ा है.
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हां, लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिन तक चली डिबेट में कांग्रेस के कई नेता बोले लेकिन इसमें वरिष्ठ नेता शशि थरूर नहीं थे. पार्टी ने उन्हें वक्ताओं की लिस्ट में रखा ही नहीं था. वजह बताया गया कि वह खुद नहीं चाहते थे. खैर, संसद के अंदर नहीं बोले तो क्या हुआ, थरूर ने 29 जुलाई की शाम में 'बाहर' ही ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा एक गंभीर सवाल उठाया. हां, ट्वीट कर उन्होंने जो मुद्दा उठाया, सोशल मीडिया पर लोग उसकी तारीफ कर रहे हैं.
दरअसल, कांग्रेस सांसद ने एक पत्र शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर बताया कि ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के मद्देनजर रूल 377 के तहत उनकी बात को सदन के रिकॉर्ड में लिया गया. यह तिरुवनंतपुरम के ब्रह्मोस प्लांट के सामने आई चुनौती से संबंधित है. उन्होंने कहा कि यह विडंबना ही है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल के सफल प्रदर्शन को देखते हुए भी ऐसा हो रहा है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि थरूर किस मुद्दे की बात कर रहे हैं.
In view of the debate on #OperationSindoor, interventions balloted successfully under rule 377 were laid on the table of the House today, rather than spoken. My submission, which will enter the Parliamentary record, was about the challenges faced by the Brahmos plant in… pic.twitter.com/kIH6Nkt8Dl
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 29, 2025
थरूर ने कहा कि मैं रक्षा मंत्रालय का ध्यान ब्रह्मोस एयरोस्पेस तिरुवनंतपुरम लिमिटेड यानी BATL के कर्मचारियों और उसके भविष्य से जुड़े सार्वजनिक महत्व के मामले की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. यह इकाई मेरे संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में एक प्रमुख रक्षा उत्पादन इकाई है.
उन्होंने लेटर में लिखा है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में 2008 में BATL की स्थापना की गई थी. यह ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम के लिए बेहतरीन पुर्जे, इंजन और दूसरी महत्वपूर्ण चीजें बनाती है. इसके कर्मचारियों ने भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया है. हाल में ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़े सैन्य अभियानों में भी देखा गया. उनका इशारा पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन में ब्रह्मोस मिसाइल के इस्तेमाल की तरफ था. आगे उन्होंने कहा कि लेकिन हाल में BAPL बोर्ड और वार्षिक आम बैठक के जरिए पता चला कि BATL को BAPL से अलग किया जा रहा है.
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कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह प्रस्ताव राज्य सरकार, हितधारकों या ब्रह्मोस स्टाफ एसोसिएशन और ब्रह्मोस कर्मचारी संघ (AITUC) के साथ चर्चा किए बगैर ही पारित कर दिया गया. इससे कर्मचारियों में चिंता पैदा हो गई है. थरूर ने कहा कि मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप करे और सुनिश्चित करे कि BATL या तो BAPL के अधीन रहे जिससे रोजगार और कामकाज में निरंतरता बनी हो या फिर BATL को DRDO के अधीन एक उत्पादन केंद्र के रूप में किया जाए. इससे DRDO लेबोरेटरी कर्मियों के बराबर रोजगार लाभ मिल सकेगा.
उन्होंने कहा है कि BATL के सामरिक महत्व के साथ-साथ इन चिंताओं को देखते हुए मैं माननीय रक्षा मंत्री और सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने का अनुरोध करता हूं.