Jammu-Kashmir News: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू वक्फ बिल पास कराने के बाद सोमवार को श्रीनगर में ट्यूलिप गार्डेन पहुंच गए. यहां उनकी आवभगत के बाद जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक नेताओं ने उमर अब्दुल्ला पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने संसद में वक्फ विधेयक पेश किया और उमर उनके लिए लाल कालीन बिछा रहे हैं.
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Kiren Rijiju: संसद में वक्फ बिल पास कराने के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू सोमवार की सुबह कश्मीर पहुंचे. यहां वे श्रीनगर में विश्व प्रसिद्ध ट्यूलिप गार्डन पहुंचे. केंद्रीय मंत्री का खैरमकदम राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किया. स्वागत-सत्कार तो कश्मीर की रवायत रही है. पर संसद में वक्फ बिल लाने वाले रिजिजू का यूं इस्तकबाल करना विपक्ष को रास नहीं आया. विपक्षी दलों के तमाम नेताओं ने उमर और रिजिजू को कोसा. उनका कहना है कि मुसलमानों के विरोध की बात करने वालों को ऐसा 'रेड कार्पेट वेलकम' करना ठीक नहीं.
इन नेताओं का गुस्सा सिर्फ मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तक नहीं है. रिजिजू का स्वागत करने के चलते नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला पर भी विपक्ष कटाक्ष कर रहा है. इससे पहले रिजिजू ने ट्यूलिप गार्डन के जीवंत रंगों के बीच अपनी और उमर अब्दुल्ला के साथ की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की. उन्होंने लिखा कि सीएम उमर के साथ एक ताज़ा सुबह की सैर और डॉ फारूक अब्दुल्ला साहब से मिलकर खुशी हुई. प्रकृति अपने बेहतरीन रूप में और गर्मजोशी और दूरदर्शिता से भरी बातचीत, वास्तव में एक विशेष सुबह. गौरतलब है कि ट्यूलिप गार्डन अपने विशेष फूलों के चलते पूरी दुनिया में मशहूर है.
A refreshing morning walk amid the vibrant hues of the Tulip Garden in Srinagar, Jammu & Kashmir, with Hon’ble CM Shri @OmarAbdullah ji and also glad to meet Dr Farooq Abdullah sahab.
Nature at its finest & conversations filled with warmth & vision, a truly special morning. pic.twitter.com/2c5S8ygVM3— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) April 7, 2025
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद ने कहा कि भारत के मुसलमानों को सबसे कम यही मिलना चाहिए कि भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल प्रांत जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री ने विरोध स्वरूप किरन रिजिजू से दूरी बनाए रखी, जिन्होंने वक्फ बिल पेश किया था. इसके बजाय वे फारूक साहब को भी अपने साथ ले गए. ये कितनी शर्म की बात है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी इस कदम की आलोचना की और कहा कि जब भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य के मुख्यमंत्री ने भाजपा के उस मंत्री का लाल कालीन बिछाकर स्वागत किया, जिसने मुसलमानों को कमजोर करने के लिए वक्फ बिल पेश किया था, तो कहने को क्या बचा है? यह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बिल्कुल विपरीत है, जिन्होंने वक्फ बिल के खिलाफ तेजी से प्रस्ताव पेश करके हिम्मत दिखाई.
उधर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में स्पीकर द्वारा वक्फ प्रस्ताव को अनुमति नहीं दिए जाने पर कहा कि यह बेहद निराशाजनक है. मजबूत जनादेश हासिल करने के बावजूद सरकार पूरी तरह से भाजपा के मुस्लिम विरोधी एजेंडे के आगे झुक गई है, और दोनों पक्षों को खुश करने की कोशिश कर रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस तमिलनाडु की सरकार से सीख ले सकती है, जिसने वक्फ विधेयक का मजबूती से विरोध किया है.
इस बीच मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के अलावा अलगाववादियों ने भी सरकार पर निशाना साधा. मीरवाइज उमर फारूक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह हास्यास्पद और निंदनीय है कि तमिलनाडु, जिसकी केवल 6% मुस्लिम आबादी है, अपनी विधानसभा में एक मजबूत वक्फ विरोधी प्रस्ताव पारित करता है, जबकि मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष तकनीकी बातों की आड़ में राज्य के मुसलमानों के लिए इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर रहे हैं. स्पीकर को पता होगा कि उनकी पार्टी को दिया गया मजबूत जनादेश ठीक इसलिए था क्योंकि पार्टी ने अगस्त 2019 से कुचले जा रहे लोगों के हितों की रक्षा करने और महत्वपूर्ण मामलों में उनके लिए खड़े होने का वादा किया था. वह इतनी विनम्रता से क्यों झुक रहे हैं?