CG High Court: अब चाहे जिसे बोलो 'I Love You'! ये नहीं है अपराध, हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
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CG High Court: अब चाहे जिसे बोलो 'I Love You'! ये नहीं है अपराध, हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

Chhattisgarh High Court News: छत्तीसगढ़ में एक अनोखा मामला सामने आया है. धमतरी जिले के कुरूद थाना क्षेत्र में एक युवक ने 15 साल की लड़की ने शिकायत की थी कि एक लड़के ने स्कूल से लौटते समय 'I Love You' कहा. इसी के आरोप में हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया है.

 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक 15 साल की लड़की ने मामला दर्ज कराया था कि स्कूल से लौटते समय एक युवक ने मुझे 'I love You' कहा. इसके आरोप में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरोपी युवको बरी कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस घटना में न तो उत्पीड़न हुआ है, न ही यौन उद्देश्य साबित हुआ है. इसके अलावा न तो पीड़िता की उम्र साबित करने के पर्याप्त साक्ष्य पेश किे गए हैं. ऐसे में आरोपी को दोषी ठहराना संभव नहीं है.

जस्टिस संजय एस एग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट का फैसला भी सही ठहराया. इसके अलावा, सरकार की याचिका को भी खारिज कर दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आरोपी I Love You कहना उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है, जब तक यौन से संबंधित साक्ष्य न मिले हों. 

सबूतों के अभाव में आरोपी बरी
आपको बता दें कि इस मामले में पीड़ित और उसकी सहेलियों की गवाही से साबित नहीं हो पाया है कि आरोपी व्यवहार यौन इरादे से प्रेरित था. इस शिकायत पर पुलिस ने आरोपी पर धारा 354D पीछा करना, 509 लज्जा भंग, पॉक्सो एक्ट की धारा 8 और एससी/ एसटी एक्ट की धारा 3(2) VA के तहत मामला दर्ज किया था. वहीं ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया था, जिसे राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. 

ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार 
वहीं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के फैसले अटॉर्नी जनरल फॉर इंडिया बना सतीश (2021) का हवाला दिया है. कोर्ट ने कहा कि पॉस्को एक्ट की धारा-7 के तहत यौन उत्पीड़ तभी माना जाएगा, जब उसमें यौन मंशा हो, न कि केवल किसी कथन से हैं. इसके अलावा, यह भी साबित नहीं हो सका है, कि आरोपी को छात्रा की जाति की जानकारी थी, इस लिए एससी/ एसटी एक्ट लागू नहीं होता है. इन तथ्यों के आधार पर हाई कोर्ट ने राज्य की अपील खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रखा.

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