Mayawati: मायावती ने बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर और अगले उत्तराधिकारी आकाश आनंद को उनके पद से हटा दिया है. ऐसे में पार्टी के सामने अपने नए चेहरे को लेकर चुनौती सामने आई है.
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Mayawati: बहुजन समाज पार्टी ( BSP) की अध्यक्ष मायावती ने रविवार 2 मार्च 2025 को अपने भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और अगले उत्तराधिकारी आकाश आनंद को उनके पद से हटा दिया. उन्होंने अपने सहयोगियों को सीधा संदेश दिया है कि जिंदा रहने तक वह BSP की कमान संभालती रहेंगी, हालांकि उनके इस फैसले से पार्टी के भविष्य पर भी प्रश्न उठ रहे हैं. पिछले कुछ समय से बसपा का लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन लगातार गिरता हुआ देखा जा रहा है.
क्या संदेश देना चाहती हैं मायावती?
'इंडिन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक मायावती दिखाना चाहतीं थी कि वह जिस संगठन और बहुजन आंदोलन के नेतृत्व का दावा करती हैं वह उनके परिवार से भी ऊपर है. सूत्रों के मुताबिक साल 2019 में आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक का पद देने और अपने भाई आनंद कुमार को BSP का पद देने के बाद उनपर भाई-भतीजावाद के आरोप लगे थे. वहीं पार्टी के कुछ पुराने नेता आकाश आनंद से नाखुश की पोजीशन से नाखुश थे, जिसके बाद मायावती को यह फैसला लेना पड़ा.
अब अगला उत्तराधिकारी कौन?
मायावती के इस फैसले के बाद से पार्टी के अगले उत्तराधिकारी का भविष्य अनिश्चित है. पार्टी के कुछ नेताओं को उम्मीद है कि आकाश आनंद वापसी भी कर सकते हैं. उन्हें उम्मीद है कि वह वापस आकर पार्टी में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे. युवाओं को आकर्षित करने के लिए पार्टी को युवा नेता की जरूरत है. बता दें कि आकाश आनंद को साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद BSP में जिम्नेदारी दी गई थी, हालांकि वह पार्टी को पटरी में न ला सके. दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनके प्रभारी होने के बावजूद बसपा कुछ खास कमाल नहीं कर पाई.
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क्या है BSP का अगला प्लान
मायावती ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद को बर्खास्त कर दिया था. उनपर एक चुनावी रैली में एक भाषण को लेकर मुकदमा दर्ज हुआ था. चुनाव के बाद उन्हें पार्टी में वापस लाया गया था. अब दोबारा उन्हें पद से निकालने के बाद सवाल बना है कि BSP दलित युवाओं को रिझाने के लिए क्या रणनीति तैयार करेगी. या फिर आकाश आनंद के बाद अब मायावती खुद एक्टिव होकर रैलियों को संबोधित करेंगी और ग्राउंड लेवल पर जाकर काम करेंगी? अगले चुनाव में अपनी छाप छोड़ने के लिए मायावती को यह सब करना पड़ सकता है.