जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तीन सदस्यीय समिति गठित, जानिए क्‍या होता है महाभियोग?
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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तीन सदस्यीय समिति गठित, जानिए क्‍या होता है महाभियोग?

Justice Yashwant Varma: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर जले हुए नोटों के मामले में महाभियोग प्रक्रिया शुरू हुई. दोनों सदनों में हस्ताक्षर के बाद जांच समिति बनी, आरोप सिद्ध होने पर विशेष बहुमत व राष्ट्रपति मंजूरी से ही पद से हटाया जा सकेगा.

 

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तीन सदस्यीय समिति गठित, जानिए क्‍या होता है महाभियोग?

Justice Yashwant Varma: देश की न्यायपालिका में इन दिनों एक ऐसा घटनाक्रम चर्चा में है जो बहुत कम देखने को मिलता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया है. मामला सिर्फ एक जज के खिलाफ कार्रवाई का नहीं, बल्कि संविधान के उस प्रावधान के इस्तेमाल का है, जिसे अब तक भारत के इतिहास में बेहद कम बार आज़माया गया है.

दोनों सदनों के हस्ताक्षर से शुरू हुई कार्रवाई

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि उन्हें 31 जुलाई 2025 को महाभियोग प्रस्ताव मिला था, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता सहित 146 लोकसभा सांसदों और 63 राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर थे. प्रस्ताव पढ़कर सुनाए जाने के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 124(4), 217 और 218 के तहत उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई.

जले हुए नोटों से जुड़ा विवाद

यह मामला मार्च 2025 में सामने आया था, जब दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास में आग लगी और मौके से जले हुए नोटों के बंडल मिले. उस समय जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे, लेकिन तीन सदस्यीय आंतरिक न्यायिक जांच ने निष्कर्ष निकाला कि वे इस नकदी पर 'नियंत्रण' रखते थे. इस रिपोर्ट के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की. हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अदालत ने इसे पारदर्शी और संवैधानिक बताते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी.

अब आगे क्या?

आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी आचार्य शामिल हैं. अगर समिति आरोप सही पाती है, तो महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पास करना होगा. इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर ही जस्टिस वर्मा को पद से हटाया जा सकेगा. यह स्वतंत्र भारत में तीसरी बार है, जब किसी कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हुई है.

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शिवम तिवारी

वायरल न्यूज़ का फैक्ट चेक कर पाठकों तक सही जानकारी पहुंचाते हैं. अजब-गजब से लेकर हेल्थ, लाइफस्टाइल की दुनिया में गहरी दिलचस्पी. ABP न्यूज से यात्रा शुरू की. एक साल से पत्रकारिता में सक्रिय....और पढ़ें

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