Farrukhabad Latest News: फर्रुखाबाद से अजीबो गरीब मामला सामने आया है. जहां पर कलयुगी पत्नी ने अपने पति को जिंदा ही 'मौत' के घाट उतार दिया. ये घटना पूरे जिले में चर्चाओं का विषय बना हुआ है. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला...
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Farrukhabad Hindi News/अरुण सिंह: जरा सोचिए उस शख्स की हालत, जिसे ज़िंदा होते हुए भी 'मृत’ घोषित कर दिया जाए. फर्रुखाबाद के राजीव गांधी नगर निवासी सुनील कुमार ठीक ऐसे ही हालात से गुजर रहे हैं. अपनी ज़िंदगी की हकीकत लेकर वो आज जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी ही पत्नी पर चौंकाने वाला आरोप लगाया.
पीड़ित सुनील ने लगाए गंभीर आरोप
सुनील कुमार का कहना है कि उनकी पत्नी ने उन्हें कागजों में मृत घोषित कर दिया. इतना ही नहीं उनकी ज़मीन अपने नाम करा ली. पीड़ित सुनील का आरोप है कि सरकारी लाभ के लिए ग्राम प्रधान की मिलीभगत से उनकी पत्नी ने यह साजिश रची. इस साजिश के तहत 6 अगस्त 2020 को उसने 80 वर्गमीटर का आवासीय पट्टा भी प्राप्त कर लिया.
शादी के रिश्ते से धोखे तक
सुनील कुमार की शादी 18 अप्रैल 2012 को कन्नौज जिले के तालग्राम क्षेत्र की एक महिला से हुई थी. शुरुआती दिनों से ही उनके वैवाहिक जीवन में तनाव बना रहा. सुनील के अनुसार, पत्नी की "आजाद ख्याली" और बार-बार मायके जाने की आदत से दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ते गए. स्थिति इतनी खराब हो गई कि पत्नी ने सुनील पर कई मुकदमे भी दर्ज करा दिए, जो अब भी फतेहगढ़ और कन्नौज की अदालतों में लंबित हैं.
बिना चिता, बिना मृत्यु प्रमाणपत्र, मैं मरा हुआ हूं
सुनील कुमार ने बताया कि जिस औरत को मैंने सात फेरे लेकर जीवन संगिनी बनाया, उसी ने मुझे बिना चिता जलाए, बिना मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए और बिना अंतिम संस्कार किए सरकारी कागज़ों में मृत करवा दिया. वह आज अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, ज़िंदा होने के प्रमाण पेश कर रहे हैं. लेकिन सरकारी फाइलों में वह अब भी मृत हैं.
सिस्टम पर सवाल
इस पूरे मामले ने न सिर्फ रिश्तों की मर्यादा को शर्मसार किया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. कैसे एक जीवित व्यक्ति को बिना उचित प्रक्रिया के मृत घोषित कर दिया गया? कैसे एक महिला ने मात्र कागज़ी हेरफेर से अपने पति की जमीन हथिया ली?
अब क्या?
सुनील कुमार ने जिलाधिकारी से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और अपनी ज़मीन वापस दिलाने तथा पत्नी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की अपील की है. अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है और एक ज़िंदा आदमी को उसके जीवन और हक की वापसी कब तक मिलती है.
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