Ayodhya Hindi News: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में अब राम जन्मभूमि आंदोलन की झलक भी नजर आएगी. मंदिर परिसर में पीतल की विशेष प्लेटें लगाई गई हैं, जिन पर इस ऐतिहासिक आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाओं को उकेरा गया है. आइए जानते हैं इन इतिहास के बारे में...
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Ayodhya Latest News: अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में अब भव्यता के साथ-साथ इतिहास की गूंज भी सुनाई देती है.मंदिर परिसर में पीतल की सुंदर प्लेटें लगाई गई हैं, जिन पर राम जन्मभूमि आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाओं को उकेरा गया है.श्रद्धालु जब इन्हें देखेंगे, तो संघर्ष, समर्पण और विश्वास की कहानियां उनके मन में जीवंत हो उठेंगी.
राम नवमी पर 'सूर्य तिलक' की दिव्यता
6 अप्रैल 2024 को राम नवमी के अवसर पर एक दुर्लभ और दिव्य दृश्य देखने को मिला.दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें सीधे भगवान रामलला के मस्तक पर पड़ीं, जिससे एक 'सूर्य तिलक' का निर्माण हुआ.यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए भावुक कर देने वाला और अलौकिक था.
सरयू आरती में जले 2.5 लाख दीप
उसी दिन अयोध्या के चौधरी चरण सिंह घाट पर 2.5 लाख दीपों की रोशनी से सरयू आरती का आयोजन हुआ.इस भव्य आयोजन ने श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का वातावरण रचा.
मंदिर निर्माण कार्य अंतिम चरण में
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के अनुसार, मंदिर का निर्माण अप्रैल 2025 के अंत तक पूर्ण हो जाएगा.परकोटे और बाहरी दीवारों पर मूर्तियां 30 अप्रैल तक स्थापित की जा रही हैं.
बाल स्वरूप में विराजे रामलला
गर्भगृह में विराजित भगवान श्रीराम का बाल रूप, कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित है.51 इंच ऊंची यह प्रतिमा एक ही पत्थर से बनाई गई है, जिसमें रामलला को कमल पुष्प पर खड़ा दिखाया गया है.
इतिहास की ओर एक दृष्टि: 1528 से 2024 तक की यात्रा
1528: मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण राम जन्मभूमि स्थल पर कराया.
1858: पहली एफआईआर – चबूतरे पर पूजा को लेकर दर्ज.
1885: निर्मोही अखाड़े ने मंदिर निर्माण हेतु कोर्ट में दीवानी मुकदमा दायर किया.
1949: मूर्तियों का प्रकटीकरण हुआ.
1950–1961: कई मुकदमों की शुरुआत, पूजा-अर्चना के अधिकारों की मांग.
1982–1986: विश्व हिंदू परिषद द्वारा मंदिर आंदोलन की शुरुआत और ताले खुलने तक का संघर्ष.
1989: राम मंदिर शिलान्यास की घोषणा.
1990: लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से आंदोलन को गति मिली.
6 दिसंबर 1992: विवादित ढांचा गिराया गया, अस्थायी मंदिर की स्थापना हुई.
1993–2002: भूमि अधिग्रहण, दर्शन-पूजन की अनुमति और पुरातात्विक साक्ष्यों की खोज.
2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय का तीन पक्षों में भूमि बंटवारे का आदेश.
2019: सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला स्थल श्रीरामलला को सौंपा गया.
2020: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ट्रस्ट की घोषणा और मंदिर निर्माण की आधारशिला.
22 जनवरी 2024: मंदिर में श्रीरामलला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा.
अयोध्या का श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न केवल एक अद्वितीय स्थापत्य कला का उदाहरण है, बल्कि यह देश की आस्था, संघर्ष और विजय का प्रतीक बन चुका है.हर ईंट में इतिहास की गूंज है, और हर कोने में रामभक्ति की छाया.
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