शिक्षा-उद्योग समन्वय की दिशा में बड़ा कदम, अवध विश्वविद्यालय में 'विकास 2025' कॉन्फ्रेंस का आयोजन, आत्मनिर्भर भारत के स्वर गूंजे
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शिक्षा-उद्योग समन्वय की दिशा में बड़ा कदम, अवध विश्वविद्यालय में 'विकास 2025' कॉन्फ्रेंस का आयोजन, आत्मनिर्भर भारत के स्वर गूंजे

Ayodhya Hindi News: शिक्षा और उद्योग के समन्वय को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 'विकास 2025' नामक एक दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. 

Dr Ram Manohar Lohia University
Dr Ram Manohar Lohia University

Ayodhya Latest News:  डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज के संयुक्त तत्वावधान में आज 4 जुलाई को 'विकास 2025' एक दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम यूजीसी (UGC) द्वारा प्रायोजित था और इसका आयोजन विश्वविद्यालय परिसर के स्वामी विवेकानंद सभागार में किया गया.

कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार ने किया. अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप ढाला जा रहा है. अब शिक्षा को सिर्फ डिग्री तक सीमित न रखकर उसे कौशल प्रशिक्षण, तकनीकी दक्षता और उद्यमिता से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि इंडस्ट्री और शिक्षण संस्थानों को मिलकर काम करना होगा ताकि विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत तक प्रैक्टिकल आधारित शिक्षा दी जा सके.

कॉन्फ्रेंस में स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह ने दिया. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षण संस्थानों और इंडस्ट्री के बीच की खाई को पाटने की दिशा में एक अहम कदम है. उन्होंने स्थानीय स्तर पर उद्योगों को समर्थन देने और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाकर रोजगार सृजन की दिशा में कार्य करने पर बल दिया.

शैक्षिक विमर्श सत्र में यूजीसी के वाइस चेयरमैन प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आयोग नीतियों को एकतरफा नहीं बनाता, बल्कि देशभर के विश्वविद्यालयों और संस्थानों से सुझाव लेकर नीति निर्माण करता है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने पूर्व छात्रों (Alumni) से जुड़ना चाहिए जिससे रोजगार के नए अवसर खुल सकें. नई शिक्षा नीति युवाओं की बदलती रुचियों के अनुरूप ढाली गई है और यह इंडस्ट्री की मांगों के साथ शिक्षा प्रणाली को जोड़ती है.

एनसीवीटी के अध्यक्ष एवं पूर्व आईएएस प्रो. निर्मलजीत सिंह कलसी ने बताया कि देश में लगभग 25 करोड़ बच्चे स्कूलों में हैं लेकिन केवल 4 करोड़ ही उच्च शिक्षा तक पहुंचते हैं. उनमें से भी अधिकतर अकुशल रहते हैं. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के 16 कंपोनेंट हैं, जिन्हें जमीनी स्तर पर अपनाने की जरूरत है ताकि शिक्षा और इंडस्ट्री की मांगों को एक साथ पूरा किया जा सके.

कॉन्फ्रेंस के अन्य प्रमुख वक्ताओं में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल, स्ट्रैटेजिक सलाहकार श्रीयोगी श्रीराम और प्रो. विमल राह शामिल रहे. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षाविद, शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

कार्यक्रम का संचालन प्रो. नीलम पाठक ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन 'विकास 2025' के संयोजक प्रो. एस.एस. मिश्र ने किया. इस अवसर पर यूजीसी के संयुक्त सचिव प्रो. अविरल कपूर, अवर सचिव वीना मेनन, डॉ. राधिका, विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह, वित्त अधिकारी पूर्णेन्द्र शुक्ल, प्रो. हिमांशु शेखर, प्रो. सी.के. मिश्र, प्रो. अनूप कुमार, प्रो. शैलेंद्र कुमार वर्मा, डॉ. विनोद चौधरी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे.

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