यूपी के किस जिले में है 'ठंडे मसालों' से बना पुल, इस शासक ने 500 साल पहले दो दिन में बनवाया, आज भी चलते हैं लोग
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यूपी के किस जिले में है 'ठंडे मसालों' से बना पुल, इस शासक ने 500 साल पहले दो दिन में बनवाया, आज भी चलते हैं लोग

 Azamgarh Tamsa River Bridge: यूपी का आजमगढ़ जिले में बहुत सी ऐसी इमारतें या चिन्ह हैं जो अपने भीतर इतिहास और अनोखी कहानियों को समेटे हुए हैं. एक ऐसा पुल है जो 500 साल के बाद भी बरकरार है. कहां है और किसने बनवाया हम आपको बताते हैं.

Azamgarh Shahi Bridge (AI Photo)
Azamgarh Shahi Bridge (AI Photo)

Azamgarh Shahi Bridge: उत्तर प्रदेश देश का बड़ा राज्य है. यहां पर संस्कृतियों का समागम भी है तो विविधता भी है. हर जिले की अपनी खासियत है. हम आज बात कर रहे हैं आजमगढ़ जिले की जो ऐतिहासिक दृष्टि से हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. आज भी यहां पर पौराणिक इतिहास से लेकर अंग्रेजी शासन और मुगलों के शासन के समय की कई धरोहरें मौजूद हैं. कई ऐसी इमारतें आज भी मौजूद हैं, जो मुगल और अंग्रेज जमाने की बनी हुई हैं. क्या आपने कभी मसाले से बने पुल के बारे में सुना है. 500 साल के बाद भी ये ऐसे ही खड़ा है. अगर नहीं, तो आज हम आपको बताने जा रहे है.

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आजमगढ़ के तमसा नदी पर बना शाही पुल
आजमगढ़ के तमसा नदी पर बना शाही पुल आजमगढ़ के इतिहास और इतिहास में होने वाली घटनाओं का जीता जागता सबूत है.जिले के हरबंशपुर स्थित तमसा नदी पर बना यह पुल ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. ये पुल लगभग 500 साल पुराना है. ऐसा कहा जाता है कि इस पुल को शेरशाह सूरी ने जौनपुर की यात्रा करने दौरान महज 2 में बनवाया था. यह पुल आजमगढ़ के धरोहर के रूप में है.

शेरशाह सूरी ने कराया था निर्माण
तमसा नदी पर बने इस शाही पुल को शेरशाह सूरी द्वारा 1530 ई. में बनवाया गया था. शेरशाह सूरी जब अपनी सेना के साथ जौनपुर के लिए यात्रा कर रहा था. उस समय आजमगढ़ पहुंचने के बाद उसे अपनी सेना के साथ तमसा नदी को पार करना था. उस समय आजमगढ़ व जौनपुर का रास्ता अहम था. यह पुल दोनों जिलों को जोड़ने का एक मात्र साधन था. उस समय आजमगढ़ में तमसा नदी पर कोई पुल नहीं था. शेरशाह सूरी ने अपनी सेना के साथ मिलकर दो दिन के अंदर ही इस पुल का निर्माण करा दिया था. 

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ठंडे मसालों से बना पुल
इतिहासकारों के अनुसार उस समय  इस पुल को बनाने में ठंडे मसाले का प्रयोग किया गया था.  जिसमें चूना, सुर्खी, दाल, गोंद और राख से इसका निर्माण कराया गया था.  इस पुल के निर्माण में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया था. फिर भी यह पुल बिगत 500 सालों से टिका हुआ है. इस पुल के बगल में एक और पुल बन गया है.

डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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