Shyama Prasad Mukherjee News: सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 'बलिदान दिवस' पर कहा कि उन्होंने 23 जून 1953 को अखंड भारत के लिए अपना बलिदान दिया था.
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Shyama Prasad Mukherjee Sacrifice Day: 23 जून.. यानी महान सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस. जिन्होंने 'एक भारत' के सपने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डॉ. मुखर्जी सिर्फ एक राजनेता नहीं थे बल्कि एक दूरदर्शी, शिक्षाविद और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. जिन्होंने अखंड भारत का सपना देखा था. उनका यह सपना 66 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में धारा 370 हटने के साथ पूरा हुआ.
एक दूरदर्शी नेता और औद्योगिक नीति के निर्माता
मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में मंत्री थे. उन्होंने अपने दूरदर्शी सोच से देश की औद्योगिक नीति बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. वे सिर्फ योजनाएं बनाने वाले नहीं थे बल्कि उन्हें लागू करने की क्षमता भी रखते थे. उन्होंने देश को सही दिशा देने में अहम योगदान दिया.
भारतीय जनसंघ की नींव
यह जानना बेहद ज़रूरी है कि डॉ. मुखर्जी ने उस समय की सरकार से इस्तीफा क्यों दिया था. सीएम योगी ने बताया कि डॉ. मुखर्जी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ करते देखा. उन्हें लगा कि देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया जा रहा है. इसी बात से नाराज होकर उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनसंघ के पहले अध्यक्ष बने. उन्होंने देश में एक नई राजनीतिक सोच और दिशा की शुरुआत की जो राष्ट्रीयता और अखंडता पर आधारित थी.
'एक विधान, एक प्रधान, एक निशान'
सीएम योगी ने डॉ. मुखर्जी के बलिदान की कहानी बताते हुए कहा कि 1952 में पहले आम चुनाव के बाद तत्कालीन सरकार ने देश के संविधान में धारा 370 डालकर राष्ट्रीय एकता को चुनौती दी थी. इसके साथ ही कश्मीर में 'परमिट सिस्टम' लागू कर दिया गया जिसका मतलब था कि भारत के किसी भी हिस्से से कोई भी व्यक्ति बिना परमिट के कश्मीर में प्रवेश नहीं कर सकता था. यह बात डॉ. मुखर्जी को नागवार गुजरी. उन्होंने पूरे देश में 'एक देश में एक प्रधान, एक विधान और एक निशान' का नारा बुलंद किया. इसी नारे के साथ वे बिना परमिट के कश्मीर में दाखिल हुए जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. दुखद रूप से 23 जून 1953 को जम्मू-कश्मीर की जेल में ही डॉ. मुखर्जी का बलिदान हो गया.
मोदी सरकार ने साकार किया 66 साल पुराना सपना
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि डॉ. मुखर्जी ने 1953 में जिस 'एक भारत, अखंड भारत और सुरक्षित भारत' का सपना देखा था.. उसे पूरा होने में 65 से 66 साल लग गए. 5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर दिया गया. यह ऐतिहासिक कदम डॉ. मुखर्जी के बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि थी.
'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की मिसाल
आज जम्मू-कश्मीर भारत के संविधान के मूल्यों और आदर्शों के साथ पूरी तरह से जुड़ गया है. अब यह 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को साकार कर रहा है. सीएम योगी ने इस बात पर जोर दिया कि कश्मीर से धारा 370 का हटना प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार की ओर से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रति सच्ची कृतज्ञता है. इस अवसर पर सीएम योगी के साथ उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, महापौर सुषमा खर्कवाल, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सूर्य प्रताप शाही और कई अन्य नेता भी मौजूद थे, जिन्होंने डॉ. मुखर्जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
(एजेंसी इनपुट के साथ)