यूपी में महादेव का अनोखा कुंड, जहां प्रसाद चढ़ाने पर भक्‍तों को लौटा देते हैं फल
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यूपी में महादेव का अनोखा कुंड, जहां प्रसाद चढ़ाने पर भक्‍तों को लौटा देते हैं फल

Naimisharanya Shiva Mandir:  यूपी में एक ऐसा शिव मंदिर है जो अपने चमत्‍कार के लिए दुनिया भर में फेमस है. खास बात यह है कि यहां भक्‍त शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और फल चढ़ाते हैं तो कुछ फल प्रसाद के रूप में वापस आ जाते हैं. 

Naimisharanya Shiva Mandir
Naimisharanya Shiva Mandir

Naimisharanya Shiva Mandir: सावन का महीना चल रहा है. शिव मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ जुट रही है. यूपी में एक ऐसा शिव मंदिर है जो अपने चमत्‍कार के लिए दुनिया भर में फेमस है. खास बात यह है कि यहां भक्‍त शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और फल चढ़ाते हैं तो कुछ फल प्रसाद के रूप में वापस आ जाते हैं. यह चमत्‍कार देख वैज्ञानिकों के लिए भी कौतूहल का विषय बना है. तो आइये जानते हैं यूपी के इस चमत्‍कारी शिव मंदिर के बारे में.... 

नैमिषारण्य का रुद्रावर्त मंदिर
भगवान शिव का यह मंदिर सीतापुर में है और चमत्‍कार देखना है तो पौराणिक तीर्थ नगरी नैमिषारण्य आना होगा. पावन चक्रतीर्थ से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर आदि गंगा गोमती के तट पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर रुद्रावर्त तीर्थ के नाम से फेमस है. रुद्रावर्त मंदिर पर होने वाले चमत्कार वैज्ञानिक भी देखकर आश्‍चर्य में हैं. उनके लिए शोध का विषय बना है. मान्‍यता है कि यहां भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और फल चढ़ाते हैं, जो पानी में समा जाते हैं, और कुछ फल प्रसाद के रूप में वापस आ जाते हैं. 

ये है मान्‍यता  
मान्यता यह भी है कि यहां पर ॐ नमः शिवाय का जप करके फल दूध बेलपत्र नदी में अर्पित करने पर भोलेनाथ उसको स्वीकार कर लेते हैं और वो सारी चीजें नदी में समा जाती हैं. गौर करने वाली बात यह है कि फिर मांगने पर प्रसाद के रूप में कोई एक फल पानी के अंदर से वापस आ जाता है. शिव का ये अदृश्य संसार देखकर लोग आज भी अचंभित हैं. लोगों ने इस रहस्य का पता लगाने का भी बहुत प्रयास किया, लेकिन अभी तक सब नाकाम रहे.

पातालपुरी में नदी की गहराई में स्थित है शिवलिंग 
कहा जाता है कि रुद्रावर्त तीर्थ में एक शिवलिंग है जो गोमती नदी के पानी में डूबा हुआ है. मान्‍यता है कि यह शिवलिंग पातालपुरी में नदी की गहराई में स्थित है और यह चमत्कार उसी कारण से होता है. यह चमत्‍कार देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. कहा जाता है कि यहां दूध चढ़ाने पर फैलता भी नहीं है. कहा जाता है कि जैसे ही फलों को चढ़ाया जाता है, दोनों फल जल के अंदर जाते हैं. एक फल बाबा को अर्पित होता है और दूसरा फल प्रसाद के रूप में ऊपर आ जाता है. 

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