Doval Doctrine: डोभाल ड्रॉक्ट्राइन कोई वैध सरकारी कागज नहीं बल्कि पाकिस्तानी फौज और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के खुराफाती दिमाग की सोच है. जिसके जरिए पाकिस्तान अपनी नाकामियों को छिपाकर भारत पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारत ने कड़ी दर कड़ी शब्द दर शब्द जवाब देते हुए पाकिस्तान के फर्जीवाड़े और झूठ को नंगा कर दिया है.
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Indian intelligence sources have dismissed 'Doval Doctrine': भारतीय खुफिया सूत्रों ने हाल ही में पाकिस्तानी मीडिया द्वारा प्रसारित 'डोभाल डॉक्ट्रिन' दस्तावेज़ को पाकिस्तानी सेना और सरकार का भारत विरोधी प्रोपेगेंडा बताकर खारिज कर दिया है. पाकिस्तान के सैन्य मीडिया विंग ISPR द्वारा फर्जीवाड़ा करके लिखे गए झूठ के पुलिंदे को भारत ने झूठ और बेबुनियाद आरोपों पर लिखा गया आर्टिकिल बताया है. भारतीय अधिकारियो का यह दावा है कि पाकिस्तानी फौज द्वारा रचाए गए इस फर्जी दस्तावेज में किसी भी विश्वसनीय सबूत या स्वतंत्र सत्यापन का अभाव है. पाकिस्तान इसका इस्तेमाल अपनी आंतरिक विफलताओं से रणनीतिक रूप से ध्यान हटाने के लिए कर रहा है.
भारत ने किया झूठ का पर्दाफाश
भारत की तीखी प्रतिक्रिया 6 जुलाई, 2025 को पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट द एक्सप्रेस ट्रिब्यून द्वारा प्रकाशित 'Doval Doctrine: India’s Trail of Terror' नामक विवादास्पद रिपोर्ट के मद्देनजर आई. पाकिस्तान की सैन्य मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) द्वारा तैयार दस्तावेज में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) पर पूरे पाकिस्तान खासकर बलूचिस्तान और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अस्थिर करने के लिए एक संगठित नेटवर्क चलाने का आरोप लगाया है.
पूरा आर्टिकल भारतीय प्रशासनिक और खुफिया एजेंसियों को चीन-पाकिस्तान के निजी हितों पर हमलों से जोड़ता है. इस तरह एक कचरा रिपोर्ट के जरिए पाकिस्तानी फौज ने भारतीय एनएसए अजीत डोभाल का नाम घसीट कर भारत को बदनाम करने की कोशिश की है.
चीन के कहने पर खुद को 'बेचारा' और 'पीड़ित' साबित कर रहा पाकिस्तान
खुफिया अधिकारियों के मुताबिक, PAK फौज का लिखवाया गया डॉक्ट्रिन, चीन की फंडिग से चलने वाले दुष्प्रचार अभियान की नई श्रंखला है. जो पाकिस्तान को विदेशी साजिशों का शिकार बताकर उसे अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति हासिल करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं. पाकिस्तान अपनी धरती पर चल रही अशांति को यानी अपनी आंतरिक सुरक्षा में चूक खासकर बलूचिस्तान में फेल होने पर उसे बाहरी आक्रमण बता रहा है.
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जाधव पर पाकिस्तान ने बोला झूठ
कुलभूषण जाधव मामले पर खुफिया सूत्रों ने भारत की स्थिति की पुष्टि करते हुए कहा,' जाधव को ईरान से अगवा किया गया था. उन पर लगे सभी आरोप निराधार हैं. फिर भी जाधव के खिलाफ पाकिस्तान ने जासूसी की फर्जी कहानी गढ़ी. जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तान ने ईरान से अगवा कर लिया था. हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों ने कथित तौर पर उन्हें बलूचिस्तान के चमन इलाके से गिरफ्तार करने की बात कही. उनकी गिरफ्तारी के एक साल के बाद ही 2017 में पाकिस्तान में उन्हें मौत की सजा सुना दी गई. ये मामला अभी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में है. जाधव पाकिस्तानी जेल में अमानवीय परिस्थितियों मे जीने को मजबूर हैं. पाकिस्तानी कैद में जाधव को करीब 9 साल और चार महीने का वक्त बीत चुका है.
पाकिस्तान नाकामी छुपा रहा: भारत
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने 2019 में पाया कि पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया. इस तरह जाधव के मुकदमे की वैधता पर संदेह जताते हुए आईसीजे ने उन्हें कांसुलर एक्सेस देने का आदेश दिया. अब भारत को ये भी पता चलता है कि पाकिस्तान में मौजूद चीनी ठिकानों पर भारतीय हमलों का चित्रण यानी ये ड्राक्ट्राइन जारी कराना पाकिस्तान द्वारा बीजिंग के साथ गठबंधन करने के लिए एक सोची-समझी चाल है, जो सीपीईसी संपत्तियों की सुरक्षा चाहता है.
क्वेटा और खुजदार जैसे इलाके जो पहले से ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित और अस्थिर हैं वहां हमलों के लिए भारत को दोषी ठहराना, भारत को बदनाम करने की साजिश है जिसके जरिए पाकिस्तान, बलूचिस्तान में अपनी आंतरिक सुरक्षा खामियों को छिपाने का प्रयास कर रहा है.
क्या है डोभाल डॉक्ट्रिन?
डोभाल डॉक्ट्रिन कोई वैध सरकारी कागज नहीं बल्कि पाकिस्तानी फौज और उसकी खुफिया एजेंसी ISI के खुराफाती दिमाग की सोच है. जिसके जरिए पाकिस्तान अपनी नाकामियों को छिपाकर भारत पर दोष मढ़ने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारत ने कड़ी दर कड़ी शब्द दर शब्द जवाब देते हुए पाकिस्तान के फर्जीवाड़े और झूठ को नंगा कर दिया है.
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भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की ओर इशारा करते हुए कहा, पाकिस्तान का 'फर्जी'डॉक्ट्रिन बहावलपुर और मुरीदके समेत तमाम पाकिस्तानी क्षेत्र में मौजूद आतंकवादी ठिकानों पर हुए सटीक हमलों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. जाधव और अन्य का कबूलनामा, पाकिस्तान के अफसरों ने जबरन लिया है. ये दबाव में लिए गए बयान हैं, जो किसी भी इंटरनेशनल कोर्ट में मान्य नहीं हैं.