कोई जज भ्रष्ट निकले तो सरकार सीधे कार्रवाई क्यों नहीं कर सकती? कठिन है हटाने की प्रक्रिया
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कोई जज भ्रष्ट निकले तो सरकार सीधे कार्रवाई क्यों नहीं कर सकती? कठिन है हटाने की प्रक्रिया

Judge Removal: भारत में अब तक किसी भी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज को महाभियोग द्वारा सफलतापूर्वक नहीं हटाया गया है. हालांकि कुछ मामलों में प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन अंतिम चरण तक नहीं पहुंची. जजों को मनमाने तरीके से हटाने पर सख्त प्रावधान किए गए हैं.

कोई जज भ्रष्ट निकले तो सरकार सीधे कार्रवाई क्यों नहीं कर सकती? कठिन है हटाने की प्रक्रिया

What is Impeachment: हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने और फिर वहां से भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद बड़ा विवाद हुआ. इस मामले ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया. इसके बाद देश में न्यायपालिका की पारदर्शिता और जजों को हटाने की प्रक्रिया को लेकर भी चर्चा छेड़ दी है. कई लोग यह जानना चाहते हैं कि अगर कोई जज भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है तो उसे हटाने की प्रक्रिया क्या है और सरकार इसमें सीधे दखल क्यों नहीं दे सकती. आइए इसे समझ लेते हैं.

संविधान में जजों को हटाने की सख्त प्रक्रिया
असल में भारत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में जजों को मनमाने तरीके से हटाने पर सख्त प्रावधान किए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को जीवनभर के लिए नियुक्त नहीं किया जाता, लेकिन उन्हें हटाने की प्रक्रिया बेहद कठिन और लंबी होती है. यह प्रक्रिया महाभियोग Impeachment Process कहलाती है जिसे संविधान के अनुच्छेद 124(4) (सुप्रीम कोर्ट के लिए) और अनुच्छेद 217(1)(b) (हाई कोर्ट के लिए) में निर्धारित किया गया है. किसी जज को केवल दो कारणों से हटाया जा सकता है. पहला अयोग्यता भ्रष्टाचार या नैतिक पतन और दूसरा अक्षम्यता मानसिक या शारीरिक अक्षमता.

महाभियोग प्रक्रिया कैसे होती है?
अगर किसी जज को हटाने की जरूरत पड़ती है तो इसके लिए संसद में एक महाभियोग प्रस्ताव पेश करना होता है. लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं. इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करते हैं. जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज हाईकोर्ट के एक मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद होते हैं. यह समिति आरोपों की जांच कर रिपोर्ट सौंपती है. अगर समिति जज को दोषी पाती है तो संसद में मतदान होता है. जहां प्रस्ताव को दोनों सदनों में विशेष बहुमत Special Majority से पारित करना होता है. इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही जज को पद से हटाया जा सकता है.

अब तक कोई जज नहीं हटाया गया..
भारत में अब तक किसी भी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज को महाभियोग द्वारा सफलतापूर्वक नहीं हटाया गया है. हालांकि कुछ मामलों में प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन अंतिम चरण तक नहीं पहुंची. जिसमें जस्टिस वी रामास्वामी, जस्टिस सौमित्र सेन और जस्टिस पीडी दिनाकरण से जुड़ा मामला शामिल है. क्या यशवंत वर्मा पर कार्रवाई होगी. अब जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट और जांच एजेंसियों का क्या फैसला होगा यह देखने वाली बात होगी. फिलहाल मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी इस पर जांच कर रही है.

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