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हिंदी फिल्मों के ये नाम सुनकर शर्म से हो जाएंगे पानी-पानी, देखने के बारे में तो सोचना भी मत

भारतीय सिनेमा ने हमें फिल्मों के ऐसे- ऐसे नाम दिए हैं जो सोचने पर मजबूर करते हैं कि इसके निर्माताओं और निर्देशकों के दिमाग में उस वक्त क्या आया होगा, जब उन्होंने इन फिल्मों को ऐसा नाम दिया होगा. 

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हिंदी सिनेमा में कई ऐसी फिल्में बनी हैं और बनती हैं जिनके नाम पढ़ने और सुनने में थोड़े अजीब होते हैं. फिल्मों के नाम रखते हुए मेकर्स काफी मेहनत करते हैं, वे सोचते हैं कि फिल्म का नाम कुछ ऐसा हो की ऑडियंस उससे खुद को कनेक्ट कर सकें और उन्हें फिल्म देखने में दिलचस्पी आए. लेकिन कुछ फिल्मों के नाम ऐसे हैं जो शायद बिना सोचे समझे ही रख दिए गए. चलिए आपको बताते हैं, ऐसी हिंदी फिल्मों के नाम जिनको सुन आप सोच में पड़ जाएंगे और या तो आपको शर्म आ जाएगी...

 

मुर्दे की जान खतरे में

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मुर्दे की जान खतरे में

यह फिल्म 1985 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन नवीन कुमार ने किया था.

 

राजा रानी को चाहिए पसीना

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राजा रानी को चाहिए पसीना

यह फिल्म 1978 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन सुलभ देशपांडे ने किया था.

कच्ची जवानी

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कच्ची जवानी

यह फिल्म 1987 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन पीडी प्रसाद ने किया था.

 

घर में हो साली, तो पूरा साल दिवाली

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घर में हो साली, तो पूरा साल दिवाली

यह फिल्म 2001 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन पप्पू शर्मा ने किया था। यह एक बी ग्रेड फिल्म थी.

भटकती जवानी

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भटकती जवानी

यह फिल्म 1988 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन इंद्रजीत डोरी ने किया था.

गरम जवानी

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गरम जवानी

यह फिल्म 1990 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन दिनेश सालगिया ने किया था.

सलीम लंगड़े पे मत रो

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सलीम लंगड़े पे मत रो

यह फिल्म 1989 में रिलीज हुई थी. इसका निर्देशन सईद अख्तर मिर्जा ने किया था.

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