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दुनिया में पहली बार कब लगाई गई थी पैराशूट से छलांग, किस भारतीय को मिला था ऐसा मौका? नाम बताने वाला जीनियस

First parachutist jump in history: 17 दिसंबर, 1903 में इंसानों ने पहली बार हवाई जहाज से उड़ान भरी थी. इसके बाद पृथ्वी पर विमानन युग की शुरुआत हो पाई थी लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज से करीब 228 साल पहले इतिहास में कुछ ऐसा हुआ था, जिसकी वजह से आज की फ्लाइंग मशीनों (विमानों) और फ्लाइंग शूट के कॉन्सेप्ट यानी इंसानों के हवाई सफर और हवा में उड़ने के अहसास को एक नया रास्ता दिखाया था. आइए आपको बताते हैं उस इवेंट के बारे में जब पहली बार लगाई गई थी पैराशूट से छलांग.

पैराशूट की पहली छलांग

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पैराशूट की पहली छलांग

क्या आपको पता है कि दुनिया में पहली बार पैराशूट जंप किसने लगाई थी और विदेश में रचे गए इतिहास को दोहराने का मौका कब मिला? किस भारतीय ने ऐसा कारनामा पहली बार किया था, बहुत से लोगों को ऐसी रोचक जानकारी मालूम नहीं होगी, आइए आपको बताते हैं दुनिया के पहले पैराशूटर का नाम और पैराशूट जंपिंग का इतिहास. यूं तो पैराशूट जैसे किसी उपकरण के सहारे इंसानों से उड़ने की कोशिश सदियों पहले से की होगी. लेकिन तकनीकि रूप से माना जाता है कि जैक्स गार्नरिन ने पहली बार पैराशूट से उतरने का रिकॉर्ड बनाया. उनका पैराशूट एक गुब्बारे से जुड़ा था और वे पैराशूट के नीचे लटकी एक टोकरी में सवार थे. पेरिस के ऊपर 600 मीटर (2000 फीट) की ऊंचाई पर वे गुब्बारे से अलग हो गए और सुरक्षित उतर गए. उनका पैराशूट छतरी के आकार का था, पहला पैराशूट इसी तरह डिज़ाइन किया गया था, बाकी पिरामिड के आकार के थे. इस पूरी कवायद में सबसे क्रांतिकारी तथ्य यह था कि पैराशूट लगातार खुला नहीं रहता था. उनके पैराशूट के डिज़ाइन में संपीड़ित हवा के कारण होने वाले गंभीर कंपनों का सामना करना पड़ा.

पैराशूट जंपिंग का इतिहास

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पैराशूट जंपिंग का इतिहास

पहली बार गार्नेरिन का पैराशूट से नीचे उतरने में बुरी तरह से हिलने लगा तो लोगों को लगा कि वो कहीं दुर्घटना का शिकार न हो जाएं लेकिन वो बैलून के टेकऑफ़ साइट से आधे मील की दूरी पर हिलते हुए ही सही, लेकिन बिना किसी चोट के सुरक्षित उतर गए. आगे के प्रयोग में उन्होंने छलांग लगाने के बाद पैदा होने वाले कंपन कम करने के इरादे से अपने पैराशूट में कुछ और सुधार किए और इस तरह पहला छिद्रित पैराशूट अस्तित्व में आया. उनकी पत्नी भी डेयरिंग थी और एडवेंचर को पसंद करती थीं. उन्होंने भी पैराशूट से छलांग लगाने का गौरव हासिल किया.

पहली महिला पैराशूटर जिसने लगाई आसमान से छलांग

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पहली महिला पैराशूटर जिसने लगाई आसमान से छलांग

1799 गार्नेरिन की पत्नी, जीन-जेनेवीव गार्नेरिन पैराशूट से छलांग लगाने वाली पहली महिला बनीं. उन्होंने इंग्लैंड में 8000 फीट की छलांग सहित पूरे यूरोप में पैराशूट से प्रदर्शनी छलांग लगाई. 1802 गार्नेरिन के मित्र लालैंड ने दोलन की समस्या का समाधान किया. उन्होंने पाया कि छतरी के बीच में एक छेद करना आवश्यक था. इसे ठीक किया गया और दोलन बंद हो गए.  1804 बॉर्गेट नामक एक फ्रांसीसी ने जर्मनी में छलांग लगाते समय एक बंधनेवाला पैराशूट का इस्तेमाल किया. अब तक, पैराशूट लकड़ी की संरचना से बनाए जाते थे, यह संरचना उन्हें खुला रखती थी. 1808 कुपेरेंतो एक पोलिश वैमानिक, वारसॉ के ऊपर अपने जलते हुए गुब्बारे से कूद गया और पैराशूट द्वारा अपनी जान बचाने वाला पहला व्यक्ति बन गया. 1837 पहली घातक घटना तब हुई जब रॉबर्ट कॉकिंग का शंकु के आकार का पैराशूट 1700 मीटर की ऊँचाई से कूदने के बाद ढह गया.

कृमिक विकास

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कृमिक विकास

1885 में, एक अमेरिकी, थॉमस बाल्डविन ने एक बंधनेवाला रेशमी पैराशूट (अमेरिका में) पेश किया. इससे पहले के सभी पैराशूट डिज़ाइन में कठोर थे. (इस युग के कलाकार अपने रहस्यों को गुप्त रखते थे, इसलिए पैराशूट के इतिहास में एक ही विकास का अलग-अलग समय पर अलग-अलग आविष्कार किया जा सकता था.) 1887 में, थॉमस बाल्डविन ने पहले पैराशूट हार्नेस का आविष्कार किया. 1890 में, जर्मन प्रदर्शनी जम्पर, पॉल लेटेमैन और कैथे पॉलस ने पहली बार एक बोरी में भरे पैराशूट का उपयोग करके प्रदर्शन किया. लियो स्टीवंस ने नियाग्रा फॉल्स में छलांग लगाई. बताया गया कि वे घाटी से 'बाल-बाल' बच गए.

पहली कमर्शियल छलांग?

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पहली कमर्शियल छलांग?

1895 में लियो स्टीवंस ने मॉन्ट्रियल में छलांग लगाई और कहा जाता है कि वे नोट्रे डेम कैथेड्रल के शिखर पर उतरे.  1903 में, राइट बंधुओं ने पहली बार शक्ति चालित उड़ान भरी और पैराशूट के विकास ने गति पकड़ी.  1908 में लियो स्टीवंस ने एक पैराशूट डिज़ाइन किया, जिसे कूदने वाला रस्सी खींचकर खोल सकता था. उनके कैनोपीज़ में 15 फीट लंबी 16 इतालवी भांग की पट्टियां और अनुमानित व्यास बढ़ाने के लिए दो 13 फीट की मध्य रेखाएं थीं. आगे चलकर बॉबी लीच ने ओंटारियो के नियाग्रा फॉल्स स्थित 200 फुट ऊंचे अपर स्टील आर्च ब्रिज से 3000 दर्शकों के सामने पैराशूट से उतरकर ऐसा करने वाले पहले शख्स बने. उनका पैराशूट पुल के बीचों-बीच एक ऊंचे खंभे से जुड़ा था और लीच एक छोटे से मंच पर बैठे थे. हवा ने पैराशूट को दो बार उसके बन्धन से अलग कर दिया. उसके बाद ही लीच कूद पाए. यह स्टंट लियो स्टीवंस के पैराशूट से किया गया, जिस पर दो बड़े विज्ञापन लगे थे. लीच ने इस छलांग के लिए 150 डॉलर कमाए. छोटी ब्रॉडविक ने 15 साल की उम्र में उत्तरी कैरोलिना राज्य मेले में अपनी पहली छलांग लगाई थी.

1910 के दशक से आगे का सफर

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1910 के दशक से आगे का सफर

1910 में पायलट च्यूट (pilot chute) सिद्धांत का विकास इटली के आविष्कारक पिंटो ने किया. 1911 में रूस के ग्लीब कोटेलनिकोव ने पहला बैकपैक पैराशूट का आविष्कार किया. 1912 में थॉमस बेनोइस्ट हवाई जहाज से पैराशूट जंप को बढ़ावा देना चाहते थे, कैप्टन अल्बर्ट बेरी इस आयोजन में भाग लेने वाले पेशेवर पैराशूट जम्पर थे. 1 मार्च को, बेरी ने बेनोइस्ट के एक 'पुशर' बाइप्लेन से सेंट लुइस के जेफरसन बैरक में प्रदर्शनी जंप लगाई. यह जंप 10 मार्च को दोहराया गया. लियो स्टीवंस अपने टेस्ट जम्पर रोडमैन लॉ के साथ हैरी ब्राउन के हाइड्रोप्लेन से कूदकर अपने 'लाइफ पैक' का प्रदर्शन करने में सक्षम थे. यह पहला हाइड्रोप्लेन जंप था. इससे पहले, उसी वर्ष के दौरान, रोडमैन लॉ ने स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की मशाल से एक स्थिर लाइन जंप किया था. उन्होंने ब्रुकलिन ब्रिज और बैंकर्स ट्रस्ट बिल्डिंग से भी छलांग लगाई थी.

फिर क्या हुआ?

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फिर क्या हुआ?

ग्रांट मॉर्टन ने राइट मॉडल बी से वेनिस बीच के ऊपर छलांग लगाई. मॉर्टन की छलांग थोड़ी खराब रही और दर्शकों को निराशा हुई. उन्हें कनाडा में पहली छलांग लगाने का अनुबंध मिला था, लेकिन वे नहीं आए. मॉर्टन के न आने के बाद, चार्ल्स सॉन्डर्स नामक एक अमेरिकी को कनाडा में पहली छलांग लगाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला. सॉन्डर्स ने कनाडा में राइट बाइप्लेन से पहली पैराशूट से उतराई की. उन्होंने ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर स्थित हेस्टिंग्स पार्क में एक एयरशो के दौरान उड़ान भरी और लैंडिंग की. 

पैराशूट के अविष्कार का क्रेडिट किसे दिया जाता है?

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पैराशूट के अविष्कार का क्रेडिट किसे दिया जाता है?

cspa.ca की रिपोर्ट के मुताबिक 852 आर्मेन फ़िरमैन ने कॉर्डोबा के एक टावर से लकड़ी के स्ट्रट्स से मज़बूत किए गए एक ढीले लबादे का इस्तेमाल करके छलांग लगाई ताकि उनकी गिरना रुक जाए, उन्हें मामूली चोटें आईं. अगला पक्का इतिहास साल 1306 में मिला तब पैराशूट से जुड़े करतब दिखाने वाले चीनी कलाबाज टावरों से कूद पड़े थे. आगे चलकर 1470 इतिहासकार लिन व्हाइट को एक गुमनाम इतालवी पांडुलिपि मिली जिसमें दो पैराशूट डिज़ाइन दर्शाए गए हैं, जिनमें से एक दा विंची के डिज़ाइन जैसा है. यह पांडुलिपि इसी युग की प्रतीत होती है. यह लियोनार्डो दा विंची के स्केच से पहले का है, जिन्हें पैराशूट के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है. 15वीं शताब्दी में लिओनार्दो द विंची ने सबसे पहले पैराशूट की कल्पना करते हुए इसका रेखाचित्र सन 1483 में बनाया था. विंची कीडिजाइन से प्रेरणा लेकर फॉस्ट ब्रांसिस ने वर्ष 1617 में एक सख्त फ्रेम वाला पैराशूट पहनकर वेनिस टॉवर से छलांग लगाई थी. हालांकि वो एक्सपेरिमेंट नाकाम रहा था. इसके बाद ऐसी कई कोशिशें की गईं तब जाकर 1797 में जाकर सबसे सफल पैराशूट जंप आंद्रे गार्नेरिन ने पहली बार किया.

गार्नेरिन को श्रद्धांजलि

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गार्नेरिन को श्रद्धांजलि

1802 में, गार्नेरिन ने इंग्लैंड में एक प्रदर्शनी के दौरान 8,000 फीट से एक शानदार छलांग लगाई. 1823 में एक नए पैराशूट का परीक्षण करने की तैयारी करते समय एक बैलून दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. वहीं पहले भारतीय जिसने पैराशूट से छलांग लगाई थी आइए आपको उसका इतिहास बताते हैं. 22 मार्च 1890 को भारत में पहली बार एक भारतीय ने पैराशूट (Parachute) से उतरने का गौरव हासिल किया था. यह कारनामा रामचंद्र चटर्जी (Ram Chandra Chatterjee) ने किया था. चटर्जी भारतीय कलाबाज जिमनास्ट, बैलूनिस्ट और पैराशूटिस्ट होने के साथ ही एक देशभक्त के तौर पर भी पहचाने जाते थे. चटर्जी  ने अपना पैराशूट ‘द एम्प्रैस ऑफ इंडिया’ नाम के गुब्बारे में अपना पैराशूट फिट किया और कलकत्ता के मिंटो पार्क के पास तिवोली गार्डन से उड़ान भरी. इसके बाद 3500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद वे पैराशूट से नीचे उतरे और ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय बने.

 

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