Science News: हाल ही में शोधकर्ताओं ने हमारे यूनिवर्स में गैलेक्सी को लेकर एक भयानक खुलासा किया है. इसमें ये पता लगाया है कि आखिर ब्रह्मांड कैसे ठंडे और अंधेरे से सीधा तारों से भर गया.
हाल ही में सामने आई एक नई स्टडी में हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़े एक एक बेहद जरूरी सवाल का जवाब देने की कोशिश की गई है. जेम्स बेव स्पेस टेलीस्कोप और हबल टेलीस्कोप की ओर से जारी तस्वीरों से पता चलता है कि इसके लिए ब्लैक होल या बड़ी आकाशगंगाएं नहीं बल्कि छोटी आकाशगंगाएं जिम्मेदार होती हैं, जो बेहद शक्तिशाली होती हैं.
दशकों से एस्ट्रोफिजिसिस्ट यहल समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर शुरुआत में हमारा यूनिवर्स कैसे एक ठंडे और अंधेरे से सीधा तारों और आकाशगंगाओं से भरे ब्रह्मांड में बदल गया. वैसे इस अवधि को कॉस्मिक रीऑनाइजेशन कहा जाता है जब ब्रह्मांड में स्थित घना हाइड्रोजन कोहरे के बिना आराम से यात्रा कर सकता था.
शोधकर्ताओं ने एक बड़े गैलक्सी ग्रुप बेल 2744 में ग्रेविटेश्नल लेंसिंग प्रभावों का इस्तेमाल करके अर्ली यूनिवर्स को अधिक साफ तरीके से देखा. उन्होंने पाया की छोटी आकाशगंगाएं ( Dwarf Galaxies) कॉस्मिक रीऑनाइजेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सबसे आगे थे.
रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि ये आकाशगंगाएं विशाल आकाशगंगाओं के मुकाबले अधिक संख्या में थीं और आयनाइजिंग रेडियशन उत्पन्न करने में काफी ज्यादा कुशल थीं.
इन छोटी आकाशगंगाओं ने न केवल अधिक संख्या में आयनाइजिंग रेडियशन को उत्पन्न किया बल्कि उनका प्रभाव इतना अधिक था कि उन्होंने पूरे ब्रह्मांड की स्थिति को ही बदल दिया. 'डेली गैलक्सी' में पब्लिश इस रिपोर्ट के मुताबिक यह खोज ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में हमारी समझ को बदल सकती है. साथ ही यह आकाशगंगा के निर्माण, तारों के विकास और डार्क मैटर डिस्ट्रीब्यूशन के मॉडल को भी बदल सकती है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह स्टडी आसमान के एक छोटे से हिस्से को भी कवर करती है. शोधकर्ताओं ने अन्य कॉस्मिक लेंसिंग क्षेत्रों का पता लगाने और डेटासेट को बढ़ाने का प्लान बनाया है. यह खोज ब्रह्मांड की उत्पत्ति को लेकर नए प्रश्न और नई संभावनाओं को खोजती है. इससे यूनिवर्स के बारे में हमारी समझ और अधिक गहरा हो सकती है.
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