कभी- कभी दौड़भाग की जिंदगी में खुद के समय निकलना बहुत जरूरी हो. जो कि न केवल छुट्टियों के बल्कि खुद की खोज के हो. अगर आप भी इसी मोड़ पर आ चुके हैं जहां थकावट, तनाव और मोबाइल की लगातार नोटिफिकेशन ने परेशान कर दिया है तो समय आ गया है बैग पैक कर निकलने का.
कभी- कभी दौड़भाग की जिंदगी में खुद के समय निकलना बहुत जरूरी हो. जो कि न केवल छुट्टियों के बल्कि खुद की खोज के हो. अगर आप भी इसी मोड़ पर आ चुके हैं जहां थकावट, तनाव और मोबाइल की लगातार नोटिफिकेशन ने परेशान कर दिया है तो समय आ गया है बैग पैक कर निकलने का.
जहां आपको शांति और वापस खुद से रूबरू होने का मौका मिलेगा. यह है लेह का हिडन गांव तुर्तुक (Turtuk). यहां आपको ठंडी हवा और सन्नाटा मिलेगा. जो आपके मन की बेचैनी को धीरे-धीरे शांत करने लगेगी.
यहां भले ही फोने के नेटवर्क न हो लेकिन खुद से कनेक्शन आप एकदम असली वाला फील करेंगे. यहां की गांव की गलियां, हंसते-खेलते चेहरे और बुर्जगों से सीखने के लिए काफी कुछ मिलेगा जो शहरी भीड़-भाड़ में कब का खो चुका है.
यहां आपको कई आसान से ट्रेक मिल जाएंगे. जहां आराम से बैठकर सूरज को उगते देखेंगे और उस पल एहसास होगा कि असली कनेक्शन फोन से नहीं बल्कि खुद से होता है.
जब आप वहां से लौटेंगे और वापस अपने लैपटॉप के समाने बैठे होंगे तो बस उस सूकुन को याद करना जिसने आपको खुद से रूबरू कराया.जो इस शहर में नहीं बल्कि पहाड़ों के बीच किसी अनजान गांव की गहराई में होता है.
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