Uttarakhand News: त्रेता युग का वो राक्षस, जो रूप बदलकर कलयुग में आ गया; उसे पकड़ने के लिए उत्तराखंड में चल रहा अभियान
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Uttarakhand News: त्रेता युग का वो राक्षस, जो रूप बदलकर कलयुग में आ गया; उसे पकड़ने के लिए उत्तराखंड में चल रहा अभियान

Uttarakhand Kalanemi Operation: त्रेता युग में एक राक्षस था, जिसने बेसुध पड़े लक्षमण को मारने के लिए जाल बिछाया था. वह चालाक राक्षस अब कलयुग में भी आ गया है. उस राक्षस को पकड़ने के लिए उत्तराखंड में बड़े स्तर पर अभियान शुरू किया गया है.

 

Uttarakhand News: त्रेता युग का वो राक्षस, जो रूप बदलकर कलयुग में आ गया; उसे पकड़ने के लिए उत्तराखंड में चल रहा अभियान

What was Kalanemi's connection with Ramayana: सावन का पावन महीना शुरू होने के बाद कितने कालनेमी सनातन का धर्म भ्रष्ट निकल पड़े हैं? उत्तराखंड में जिस तरह हर रोज सैकड़ों गिरफ्तारियां हो रही है. ऐसे मायावी बाबाओं का पूरा पाखंड तंत्र सामने आ चुका है. ये भगवा चोला धारण कर आपकी आस्था और धर्म के आयोजनों में शामिल होते हैं और फिर चलाते हैं आपको अपवित्र और गुमराह करने का गुप्त अभियान. आज की स्पेशल रिपोर्ट में समझिए, कौन हैं ये कलियुग के कालनमी? त्रेतायुग में तो ये एक मायावी राक्षस था, जो रावण का मामा लगता था, लेकिन कलियुग में, इनका आका कौन है...? 

आपने पौराणिक ग्रंथों में ये पढ़ा होगा, जब भेष बदले हुए मायावी राक्षसों का भेद खुलता था, तो कैसे डरावने अट्ठाहास के साथ अपने असली रूप में आ जाते हैं. वो त्रेतायुग का मायावी कालनेमि था, वीर हनुमान ने उसका छद्मरूप पकड़ा तो अपने असली रूप में असुरी गर्जना करने लगा, लेकिन ये कलियुग के कालनेमि...?
 
उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि, अब तक कितने धरे गए पाखंडी?

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सावन के पहले ही दिन जब ऑपरेशन कालनेमि की शुरुआत की, तब किसी को अंदाजा नहीं था, कि सावन के महीने में इतने मायावी, भगवा भेष में इतने विधर्मी सिर्फ उत्तराखंड में ही घूम रहे हैं. 

1. देहरादून. 2 हरिद्वार. 3 उधमसिंह नगर

उत्तराखंड के सिर्फ इन्हीं तीन शहरों में इतने 200 से ज्यादा कालनेमि हिरासत में लिए गए हैं. ये चौंकाने वाला इसलिए भी है, कि ऑपरेशन से पहले पुलिस को भी इसका अंदाजा नहीं था, कि सिर्फ उनके राज्य में ही इतने पाखंडी बाबा कांवड़ियों से लेकर चारधाम यात्रियों के बीच घुसे हुए हैं. 

उत्तराखंड में फैले कालनेमियों पर आधिकारिक बयान सुनने के बाद अब समझिए, इनकी मोडस ऑपरेंडी. कैसे ये भगवा चोला, लंबे बाल और पूरे संन्यासी का भेष-भूषा धारण कर हिंदू त्योहारों के मौके पर फैल जाते हैं. 

सीएम धामी ने किया ऑपरेशन का ऐलान

राज्य की खुफिया इकाइयों से उत्तराखंड पुलिस को लगातार ये सूचना मिल रही है, कि इस बार ऐसे पाखंडी बाबा इस बार बड़ी तादाद में निकले हैं. इसके पक्के सुराग मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐसे ऑपरेशन का औचक ऐलान किया, जिसे शुरू में कोई नहीं समझ पाया. इस ऑपरेशन को लेकर सीएम धामी का निर्देश साफ था- ऐसा कोई भी फर्जी बाबा, पाखंडी पीर सनातन के इस पावन महीने में बचना नहीं चाहिए.

कहां कितने कालनेमि अरेस्ट?

हाईकमान के फाइनल ऑर्डर के बाद फिर क्या था, राजधानी देहरादून से लेकर हरिद्वार और उधमसिंह जैसे शहरों में पुलिस की दबिश शुरू हो गई. खासतौर पर रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और सरायों में इनकी धर पकड़ शुरु हो गई. इसमें अब तक हरिद्वार से 50, उधमसिंह नगर से 66 और देहरादून से करीब 100 बहरुपिए गिरफ्तार किए जा चुके हैं. 

ये तो अभी शुरुआत है और आगे सावन का पूरा महीना और त्योहारों का सिलसिला है, लेकिन सवाल है, कि ऐसे कालनेमियों की पहचान कैसे हो? सिर्फ भेष भूषा से, या गहन जांच का दायरा कहीं और भी जाता है.

अब ऐसा तो हो नहीं, कि आप किसी भी भगवा कपड़ा पहने, बाल दाढ़ी बढ़ाए शख्स को रोक लें और उसकी चेकिंग करने लगे. खासतौर पर सावन के महीने में जब लाखों करोड़ों की तादाद में आम लोग भी गेरुआ कपड़ा पहनकर कांवड़ लेकर सड़कों से लेकर शिवालयों तक मौजूद होते हैं. ऐसे में कालनेमियों की पहचान आसान नहीं है. 

कई पीर-फकीर भी बन गए ढोंगी बाबा

सबसे बड़ी बात, कोई जरूरी नहीं, ये भगवा वेश भूषा में ही हो, जो कालनेमि पकड़े गए हैं, उसमें कई पीर, फकीर के लिबास में भी हैं. अब यहां सवाल ये है, कि ऐसे पाखंड़ी बाबाओं से असली खतरा क्या है, क्या किसी धार्मिक अनुष्ठान में व्यावधान डालना या फिर मकसद कुछ और है. समझिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट के अगल चैप्टर से.

एक पल को आप खुद सोचकर देखिए, पुलिस की हिरासत में जो कालनेमि आपको दिखाई दे रहे हैं, तो आप इन्हें कैसे पहचानते. अगर आपका सामना इनसे किसी कावड़ यात्रा या किसी पूजा अनुष्ठान में होता तो आप कैसे समझ पाते, कि ये आप ही के धर्म के संन्यासी हैं, या कोई विधर्मी...? अगर सही मायने में आप इस सवाल पर गौर करेंगे, तो पाएंगे, कि अपना धर्माचार्य या संत संन्यासी मानकर वही करते, जो ये कालनेमि आपसे करने को कहते. 

ये कालनेमि ना सिर्फ भेष बदलने में माहिर हैं, बल्कि इस भेष में असली संत संन्यासी बनने की ट्रेनिंग भी दी जाती है. सोचिए, अगर नहीं पहचानते तो आपसे कालनेमि क्या क्या कराते? 

पुलिस की कार्यवाही में अब तक 200 से ज्यादा कालनेमि पकड़े गए हैं, उसमें इनकी धार्मिक पहचान क्या है, इसे एक छोटे से आंकड़े से समझिए. हरिद्वार में पकड़ गए 50 कालनेमियों से 8 कालनेमि दूसरे धर्म से हैं. वहीं उधमसिंह नगर में हुई गिरफ्तारियों में सामने आए नाम कुछ ऐसे चौंका रहे हैं

उधमसिंह नगर में अरेस्ट कालनेमि

1. चुन्नू मिया- पीलीभीत, यूपी

2. नाजिम, गया, बिहार

3. अफजल, शाहजहांपुर यूपी

4- मो. आसिफ- पीलीभीत, यूपी

5. परवेज हुसैन, पीलीभीत, यूपी

उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक, अब तक जितने भी बहुरूपिये पकड़े गए हैं, उसमें से 95 फीसदी से ज्यादा यूपी के पड़ोसी जिलों और बिहार जैसे राज्यों के हैं. ये ना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों में घुसकर उसे अपवित्र करते हैं, बल्कि लोगों को ठगते भी हैं. 95% से ज्यादा उत्तराखंड के बाहर के राज्यों के हैं जो यहां पर भेष बदलकर सनातन की आड़ में ठगी कर रहे हैं. 

आपको कैसे ठगते हैं कालनेमि

अब इन बाबाओं का मॉडस ऑपरेंडी समझिए, ये सनातनी भेषभूषा धारण कर क्या क्या करते हैं. अब तक जो पुलिस की पूछताछ में सामने आया है, उसके मुताबिक. बस और रेलवे स्टेशन पर धर्म के नाम पर पैसे ऐंठते हैं. कुछ पाखंडी फर्जी आयुर्वेदिक दवाएं बेचते हैं. कुछ गांवों में घुसकर झाड़फूंक से रोग ठीक करने का दावा करते हैं. कुछ फर्जी संन्यासी यात्राओं में घुसकर व्यावधान पैदा करते हैं. कई फर्जी संन्यासियों पर महिलाओं के शोषण के भी आरोप हैं.

ऊपर से सनातन का परचम लहराते और अंदर से ठगी और शोषण करने वाले बाबा सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं, कहीं भी हो सकते हैं. उत्तराखंड में तो सीक्रेट ऑपरेशन चला है, तब इनकी हकीकत सामने आई है, जरूरत है इस तरह का ऑपरेश पूर देश में चलाने की. उधमसिंह नगर से कुछ कालनेमी ऐसे भी पकड़े गए हैं, जिनकी नजर ठगी के साथ महिलाओं पर रहती है. इनमें से कई बाबाओं पर बलात्कार और अनहोनी के नाम पर जबरन धन उगाही के भी आरोप हैं.

जैसा कि हमने अपनी स्पेशल रिपोर्ट के शुरू में बताया था, कालनेमि त्रेतायुग के एक राक्षस का नाम है. कालनेमि का अर्थ होता है काल यानि समय और नेमि यानी पहिया. ये राक्षस इतना मायावी था, कि ये दिन को रात, और रात को दिन में बदल सकता था. यानि समय का चक्र बदल सकता था. इसीलिए इसका नाम इसके पिता मारीच ने कालनेमि दिया. अपनी इसी मायावी शक्ति की वजह से ये लंकापति रावण का प्रिय दरबारी था. रावण इसे खास अभियानों पर भेजता था. ऐसा ही एक अभियान था- लंकायुद्ध में लक्ष्मण के मूर्छित होने के के बाद हनुमान जी को संजीवनी बुटी लाने से रोकना. लेकिन इस अभियान में कैसे पकड़ा गया कालनेमी, समझिए इस पौराणिक कथा से. 

लक्षमण को मारने की साजिश

त्रेतायुग के इस धर्मयुद्ध का सबसे नाजुक क्षण था, जब रावण के पुत्र मेघनाद ने अपने शक्तिबाण से लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया. तब भगवान श्रीराम के खेम में शोक की लहर दौड़ गई, खुद श्रीराम भी चिंता में पड़ गए, कि मेघनाद के शक्तिबाण का आखिर इलाज क्या है. लक्ष्मण के घायल और मूर्छित होने की खबर जब रावण तक पहुंची, तो उसके अट्ठाहासों से पूरी लंका गूंज उठी. उसे अपनी जीत सामने दिखाई दे रही थी. 

कुछ ही देर बाद युद्ध के मैदान से ये खबर आई, कि अगर मूर्छित लक्ष्मण को संजीवनी बूटी मिल जाए, तो वो वापस होश में आ सकते हैं. ये संजीवनी बूटी रातों रात ही लानी थी, जिसका जिम्मा हनुमान को सौंपा गया.

जब ये खबर रावण को लगी, तब हनुमान को रोकने के लिए उसके जेहन मे एक ही नाम आया कालनेमि. कालनेमि राक्षस अपने पिता मारीच से भी ज्यादा मायावी था. रावण को भरोसा था, कि लंका का दहन कर चुके हनुमान को अपने मायाजाल में अगर कोई भ्रमित कर सकता है, तो वो कालनेमि ही है. हनुमान जब संजीवनी लेने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर जाते हैं, कालनेमी ने एक साधु का रूप धरकर उनके रास्ते में आ जाता है. 

पहाड़ों पर पहुंच गया कालनेमि

कालनेमि ने साधु का रूप बनाने के साथ हनुमान जी के रास्ते में ऐसी कुटिया बनाई, जिसके आसपास पवित्र झील, सरोवर, बाग थे. वो इसी कुटिया में आसन ग्रहण कर राम नाम का जाप करने लगा. जब हनुमान जी ने आकाश में से उड़ते हुए एक साधु को राम नाम का जाप करते देखा तो उन्हें उत्सुकता हुई व वे उसे देखने नीचे आए. कालनेमि ने हनुमान को वही थोड़ी देर विश्राम करने को कहा व कहा कि वह अपनी शक्ति से उन्हें कुछ पल में ही हिमालय पर्वत पर पहुंचा देंगे.

उनकी बातों में आ गए. इसके बाद कालनेमि ने उन्हें पास की झील में स्नान करने को कहा. उस झील में एक मगरमच्छ था जिसे कालनेमि ने हनुमान की हत्या करने को कहा था. हनुमान जी को कालनेमि के एक साधु वेश में राक्षस होने का पता चला तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए. वे उसी समय कालनेमि के पास गए व उसी पहाड़ी पर उसका वध कर दिया. वर्ना संन्यासी भेष पर हनुमान कभी क्रोधित नहीं हुए. 

आज भारत में जो कलियुगी कालनेमि पकड़े जा रहे है, उनके साथ भी उचित न्याय होना चाहिए, ताकि कोई भी विधर्मी भेष बदलकर दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म को भ्रष्ट करने की हिम्मत न कर पाए. ऐसा करने से पहले उसकी रूह कांप जाए.                                                                                     

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