Fearsome Regiment of Indian Army: क्या आप जानते हैं कि भारतीय सेना में ऐसी एक खूंखार रेजिमेंट है, जिसकी हरेक युद्ध में तैनाती जरूर होती है. इस रेजिमेंट को पाकिस्तान-चीन से निपटने में महारथ हासिल है, जिसकी वजह से दुश्मन इससे बहुत डरते हैं.
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Bravest Regiment of Indian Army: पाकिस्तान के आर्मी चीफ मुल्ला आसिम मुनीर ने भारत के खिलाफ रविवार को फिर आग उगली. अमेरिकी दौरे पर गए आसिम मुनीर ने गीदड़भभकी दी कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाया तो पाकिस्तान 10 मिसाइलें फेंककर उसे उड़ा देगा. मुनीर ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान के अस्तित्व को खतरा पहुंचा तो वह परमाणु बम दागने में संकोच नहीं करेगा. भारत के खिलाफ ऐसा बोलते हुए मुनीर भूल गए कि अगर उन्होंने ऐसा दुस्साहस किया तो पाकिस्तान पूरी तरह दुनिया के नक्शे से साफ हो जाएगा.
बदलते भारत को नहीं पहचान पा रहे मुनीर
बदली भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत अब खुद को सॉफ्ट से हार्ड स्टेट के रूप में बदल चुका है. भारतीय सेनाओं की ओर से हाल में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान इसका छोटा सा स्वाद चख चुका है और अगर पूर्ण युद्ध हो गया तो अंजाम के बारे में पाकिस्तानी सेना महज कल्पना ही कर सकती है. आज हम आपको भारतीय सेना की ऐसी खूंखार रेजिमेंट से आपको अवगत करवाते हैं, जिससे पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीनी सेना भी कांपती है. इस रेजिमेंट का दूसरा नाम ही बहादुरी है. अब तक यह रेजिमेंट 4 परमवीर चक्र जीत चुकी है. जबकि बहादुरी के अन्य पुरस्कारों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है.
युद्ध के मैदान में कहर मचा देने वाली भारतीय सेना की इस खूंखार रेजिमेंट का नाम ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट है. यह इस रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित पैदल सेना रेजिमेंट्स में से एक है. इसका गठन 1778 में तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सरकार ने किया था. तब उसे बॉम्बे ग्रेनेडियर्स कहा जाता था. यह रेजिमेंट अपनी वीरता, अनुशासन और युद्ध में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध है. आजादी के बाद इसका नाम बदलकर ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट कर दिया गया.
जब चीनी सेना पर मौत बनकर टूटी ग्रेनेडियर रेजिमेंट
इस रेजिमेंट ने भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत की आजादी के बाद 1947-48 में हुए पहले कश्मीर युद्ध में रेजिमेंट ने पाकिस्तानी कबायलियों को जमकर धोया और दूसरी रेजिमेंटों के साथ मिलकर आधा कश्मीर उनसे आजाद करवा लिया.
इसके बाद 1962 में ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट चीनी सेना पर मौत पर बनकर टूट पड़ी. 20-21 अक्टूबर 1962 को, 1/8 ग्रेनेडियर्स के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में, मेजर धन सिंह थापा ने चीनी सेना के भारी हमले के खिलाफ अपनी चौकी की रक्षा की. गंभीर रूप से घायल होने और संसाधनों की कमी के बावजूद, उन्होंने अपने सैनिकों का नेतृत्व किया और अंत तक लड़ते रहे, जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान से सम्मानित किया गया.
पाकिस्तान आज तक 1965-71 की मार को सहला रहा
इस जंग के महज 3 साल बाद ही पाकिस्तान ने मौका देखकर भारत पर हमला बोल दिया लेकिन वह भूल गया कि उसका सामने ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट के खतरनाक जवानों से पड़ने वाला है. रेजिमेंट के जवान कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद ने 1965 में असाधारण बहादुर दिखाई. उन्होंने अपनी जीप पर लगी रिकॉइललेस राइफल से कई पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट करके उसकी बढ़त रोक डाली. भारी गोलीबारी में घायल होने के बावजूद उन्होंने अंत तक लड़ाई जारी रखी और बाद में शहीद हो गए. उन्हें बाद में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
ग्रेनेडियर रेजिमेंट की बहादुरी की गाथा आगे भी जारी रही. वर्ष 1971 के युद्ध में रेजिमेंट के मेजर होशियार सिंह पाकिस्तान सेना पर मौत बनकर टूटे. उन्होंने पश्चिमी मोर्चे पर पंजाब के बसंतर नदी क्षेत्र में 15-17 दिसंबर 1971 को 3 ग्रेनेडियर्स के साथ असाधारण वीरता और नेतृत्व का प्रदर्शन किया. मेजर होशियार सिंह ने पाकिस्तानी सेना के भारी हमले के खिलाफ अपनी चौकी की रक्षा की और दुश्मन के टैंकों और पैदल सेना को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी इस वीरता के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया.
भारतीय सेना की सबसे खूंखार रेजिमेंट
इस रेजिमेंट ने 28 साल बाद 1999 के कारगिल युद्ध में एक बार फिर पाकिस्तान को बहादुरी का पाठ पढ़ाया. कारगिल की ऊंची चोटियों पर लड़े गए इस युद्ध के एक हीरो ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव भी रहे. उन्होंने 18 ग्रेनेडियर्स के साथ टाइगर हिल की लड़ाई में 3-4 जुलाई 1999 को असाधारण वीरता दिखाई. गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, उन्होंने दुश्मन की मजबूत चौकियों पर कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें कई दुश्मन सैनिकों को मार गिराया और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने में योगदान दिया. उनकी इस वीरता के लिए उन्हें परमवीर चक्र प्रदान किया गया. वे परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के सैनिकों में से एक हैं.
आज की तारीख में सबसे ज्यादा 4 परमवीर चक्र प्राप्त करने वाली ग्रेनेडियर रेजिमेंट भारतीय सेना की इकलौती रेजिमेंट है. परमवीर चक्र के अलावा यह रेजिमेंट अब तक 2 महावीर चक्र, 2 अशोक चक्र, 50 शौर्य चक्र और 38 युद्ध सम्मान समेत बहादुरी के कई पुरस्कार मिल चुके हैं. इस रेजिमेंट के जवान सालभर युद्धाभ्यास में जुटे रहते हैं और किसी भी मिशन पर जाने के लिए हमेशा रेडी रहते हैं. युद्ध होने की सूरत में चीन और पाकिस्तान अच्छी तरह जानते हैं कि भारत की ओर से इस रेजिमेंट की तैनाती अवश्य होगी और उसे फिर से उसके बहादुर जवानों से मार खानी पड़ेगी.