China's silent war on West: अमेरिका खुद को सुपरपावर मानने का गुमान सजाए बैठा है. दूसरी ओर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन ने धीरे-धीरे यानी कछुए की रफ्तार से ही सही पश्चिमी जगत में इतनी पैठ बना ली है कि जब चाहे इस भूभाग में बैठे मठाधीशों की सत्ता हिलाते हुए पूरे यूरोप और आधे अमेरिका को एक झटके में घुटनों पर ला सकता है. यह कोई अतिश्योक्ति पूर्ण अनुमान नहीं बल्कि दूरदर्शिता के हवाले से कही जाने वाली बात है. चीन ने इन इलाकों में अपनी ऐसी पैठ बना ली है इसका अंदाजा तभी लगेगा जब चीन अपना गुस्सा दिखाएगा. यूरोप और उत्तरी अमेरिका में चीन कितना पावरफुल हो चुका है, आइए आपको बताते हैं.
चीन ने टेक वर्ल्ड में झंडे गाड़ दिए हैं. तकनीकि जगत के दिग्गज हों या जियोपॉलिटिक्स के जानकार सभी, ग्लोबल कम्युनिकेशन के क्षेत्र में बीजिंग के बढ़ते नियंत्रण को लेकर आगाह कर रहे हैं. इसकी वजह हैं समुद्र के नीचे बिछाए गए चीनी केबल और बीजिंग के डेटा सेंटर. इस मुद्दे पर पूर्वी तुर्किस्तान की स्वतंत्रता की वकालत करने वाले उइगर-अमेरिकी नेता सालिह हुदयार (Salih Hudayar) ने चीनी संप्रभुता को पश्चिमी जगत की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है.
हुदयार (@SalihHudayar) ने पूर्वी तुर्किस्तान में चीनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के डेवलपमेंट पर चिंता जताई है. उन्होंने टिकटॉकके डेटा संग्रह (TikTok's data collection) को लेकर गंभीर खतरा जताया है. हुदियार, पश्चिमी देशों से अपने तकनीकी बुनियादी ढांचे में निवेश करने का लगातार आग्रह कर रहे हैं. उनका मानना है कि जैसे-जैसे तकनीकी वर्चस्व की वैश्विक लड़ाई तेज हो रही है. नेशनल सिक्योरिटी एक्सपर्ट हुदियार, टेली-कम्युनिकेशन सेक्टर में चीन के बढ़ते दबदबे पर पहले भी चिंता जता चुके हैं. हुदियार का मानना है कि चीन ने समुद्र के नीचे केबलों, डेटा केंद्रों और निगरानी प्लेटफार्मों के जरिए धरकी की सतह के नीचे एक अदृश्य युद्ध छेड़ चुका है, जिससे जीतना फिलहाल मुश्किल है और अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो भविष्य में चीन से जीतना नामुमकिन हो सकता है.
Pieuvre के मुताबिक निर्वासित पूर्वी तुर्किस्तान सरकार के विदेश मंत्री सालेह हुदयार ने चेतावनी दी है कि वैश्विक संचार ढांचे पर चीन की पकड़ पश्चिम में लोकतंत्र और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है. हुदयार ने पियुव्रे से कहा, यह सिर्फ़ व्यापार का मुद्दा नहीं है. यह युद्ध है, एक सूचना युद्ध है और पश्चिम हार रहा है. इंटरनेट और संचार कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण, समुद्र के नीचे के केबल अब चीन की रणनीति का केंद्र बन गए हैं. डिजिटल जीवन की ये विशाल, अक्सर अनदेखी धमनियां तेजी से चीनी सरकार से जुड़ी कंपनियों द्वारा बनाई या नियंत्रित की जा रही हैं. हुदयार ने ज़ोर देकर कहा कि बीजिंग को इस ढांचे पर प्रभुत्व की अनुमति देने से एक अधिनायकवादी शासन को संवेदनशील डेटा तक पहुंच और संकट के समय पश्चिमी देशों की सभी अर्थव्यवस्थाओं और उनकी सेनाओं को पंगु बनाने के साधन मिलने का खतरा है.
हुदयार ने खुलासा किया कि चीन पूर्वी तुर्किस्तान में तेज़ी से विशाल एआई डेटा सेंटर बना रहा है. जो एक ऐसा कब्ज़ा किया हुआ क्षेत्र है जहां उइगर आबादी को सरकारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि निर्यात प्रतिबंधों के बावजूद, इनमें से कई परियोजनाएं पश्चिमी निर्मित चिप्स से संचालित हो रही हैं. हुदयार ने कहा, यह स्थिति बेतुकी है. अमेरिका अल्पकालिक व्यापार स्थिरता के नाम पर एडवांस तकनीक बेचकर चीन के विकास को बढ़ावा दे रहा है. बीजिंग इसे एक हथियार में बदल रहा है. इस गुप्त युद्ध का एक और प्रमुख मोर्चा टिकटॉक है, जिसे हुदयार ने मनोरंजन के रूप में निगरानी मंच कहा है. पियुवरे की रिपोर्ट के मुताबिक बाइटडांस द्वारा टिकटॉक से उपयोगकर्ता डेटा एकत्र किया जाता है और बीजिंग को सौंप दिया जाता है, जिससे लाखों पश्चिमी नागरिकों के डिजिटल प्रोफाइल तैयार होते हैं.
हुदयार ने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी भविष्य में अपना परचम दुनियाभर में लहराने के लिए खासकर पश्चिमी देशों यानी वेस्टर्न वर्ल्ड को झुकाने के लिए जरूरत पड़ने पर लोगों की ब्लैकमेलिंग और राजनीतिक हेरफेर कराने की तैयारी कर चुकी है. चीन पश्चिमी जगत में अपने पक्ष में वैचारिक प्रभाव पैदा करने के लिए दस्तावेज तैयार कर रहा है. हुदयार ने ये भी कहा,'दांव साफ़ हैं. अगर पश्चिम भारी कीमत पर भी घरेलू तकनीकी बुनियादी ढाँचे में निवेश करने में विफल रहता है, तो उसे चीन के डिजिटल प्रभुत्व में आने का खतरा है.
हुदियार ने कहा, चीन की कंपनियां हर जगह इन्वाल्व हैं. कम्युनिकेशन डिवाइस बनाने में उनकी बराबरी करना मुश्किल है. वो खुफिया जानकारी जुटाने वाले डिवाइस बनाने में माहिर हैं. दूसरी ओर चीन लगातार सुरक्षित समुद्री केबल बिछाने से लेकर वो हर काम कर रहा है जिससे उसका वर्चस्व पूरी दुनिया में स्थापित हो सके. हुदयार ने ये भी कहा, 'चीन ने जो आक्रामक अभियान शुरू किया है उसके लिए उसने किसी की इजाजत यानी मंजूरी नहीं मांगी, उसे जो उचित लगा उसने एक साइलेंट युद्ध शुरू कर दिया. अब पश्चिम की ज़िम्मेदारी है कि वह जवाबी कार्रवाई करे, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए'.
चीन की मल्टीनेशनल प्रौद्योगिकी कंपनी हुआवे (Huawei) दूरसंचार उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स बनाती है. इसका मुख्यालय शेन्ज़ेन, गुआंग्डोंग, चीन में स्थित है. ऐसी कई कंपनियां यूरोप में डिवाइस बेचती हैं. कई चीनी कंपनियों पर डाटा चुराने का आरोप लग चुका है ऐसे में हुदियार की चेतावनी को अनसुना नहीं करना चाहिए. वरना कहीं ऐसा न हो कि ट्रंप टैरिफ-टैरिफ (US Tariff) खेलकर अमेरिका की लुटिया डुबो दें और रिवर्स इंजीनियरिंग का बेताज बादशाह चीन कहीं अमेरिका को पिछाड़कर सुपरपावर न बन जाए.
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