महादेव का सबसे प्रिय माह सावन होता है. दरअसल इस महीने में शिव के भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं. जहां भक्त बड़ी दूर-दूर से पैदल चलकर महादेव के लिए जल लेकर आते हैं. ऐसे में आज हम आपको देश की सबसे बड़ी 4 कांवड़ यात्राओं के बारे में बता रहे हैं.
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सावन के पवित्र महीने में महादेव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से कांवड़ में जल भरकर उन्हें चढ़ाते हैं. बता दें कि सावन में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. जहां यह यात्रा कहीं तो हजारों किलोमीटर की है तो वहीं कहीं ये यात्रा 150 किमी की भी नहीं है. दरअसल कुछ कांवड़ यात्राओं को पूरी करने में महीनों लग जाते हैं तो वहीं कुछ को महज 2 से 3 दिन में ही भक्त पूरी कर लेते हैं. आइए जानते हैं देश की 4 सबसे बड़ी कांवड़ यात्राओं के बारे में...
गंगोत्री से रामेश्वरम कांवड़ यात्रा
यह भारत की सबसे लंबी और शायद सबसे कठिन कांवड़ यात्रा मानी जाती है. दरअसल यह 3000 किमी से अधिक लंबी यात्रा होती है. जहां शिव भक्त उत्तराखंड की गंगोत्री से गंगा जल भरकर दक्षिण भारत के तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम के प्रसिद्ध शिव मंदिर में जल चढ़ाते हैं. हजारों किमी लंबी इस यात्रा को पूरी करने में कई महीने लग जाते हैं. लोक कथाओं के मुताबिक इस यात्रा को पूरी करने में एक पुजारी को करीब 9 महीने का समय लगा था.
हरिद्वार से देवघर कांवड़ यात्रा
भारत की दूसरी सबसे लंबी और कठिन कांवड़ यात्रा हरिद्वार से देवघर तक मानी जाती है. दरअसल शिव भक्त हरिद्वार से गंगा जल लेकर देवघर में स्थित बैद्यनाथ धाम में चढ़ाते हैं. इस यात्रा को भी पूरी करने में महीनों लग जाते हैं. अधिक दूरी के चलते इस यात्रा में भी काफी कम श्रद्धालु शामिल होते हैं. हालांकि यह यात्रा काफी प्रमुख होती है.
गंगोत्री से ऋषिकेश कांवड़ यात्रा
भारत की सबसे लंबी कांवड़ यात्राओं में गंगोत्री से ऋषिकेश तक की यात्रा भी शामिल है. यह यात्रा लगभग 258 किमी लंबी है. बता दें कि इस यात्रा में शिव भक्त गंगोत्री से गंगाजल लेते हैं और ऋषिकेश में शिव मंदिरों में जल चढ़ाते हैं. वहीं इस यात्रा को पूरी करने में करीब 4-5 दिन लग जाते हैं. पहाड़ी और दुर्गम रास्तों के चलते यह यात्रा कठिन हो जाती है.
सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम कांवड़ यात्रा
देश की सबसे बड़ी कांवड़ यात्राओं में सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम तक की यात्रा भी शामिल है. दरअसल यह लगभग 119 किमी लंबी ही है. यह यात्रा बिहार के सुल्तानगंज से शुरू होती है, जहां भक्त गंगा जल लेते हैं और झारखंड के देवघर में बैद्यनाथ धाम मंदिर में जल चढ़ाते हैं. यह यात्रा बहुत कठिन नहीं होती है. इसमें बड़ी तादाद में शिव भक्त शामिल होते हैं. इसको पूरी करने में करीब 2 दिन लग जाते हैं.