Bhutan Culture: भूटान में एक अनोखा मंदिर है, जहां लिंग की आकृतियां बनी हुई हैं. यहां मंदिर में लिंग का काफी महत्व माना जाता है. इसे भूटान का फर्टिलिटी मंदिर भी कहा जाता है.
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Bhutan Chimi Lhakhang Temple: आमतौर पर भारत में लोग अपने मकानों, घरों और दुकानों के बाहर नींबू-मिर्ची या नजरबट्टू लगाते हैं. माना जाता है कि इससे बुरा साया और नकारात्मकता दूपर रहती है. खैर सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहां लोग अपने घरों के बाहर लिंग टांगते हैं. जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना. यह जगह हमारे पड़ोसी देश भूटान में स्थित है. यहां घरों की दीवारों पर, मंदिरों और दुकानों के बाहर आपको लिंग के विशाल डिजाइन और लकड़ी के प्रतीक नजर आएंगे.
भूटान का फर्टिलिटी मंदिर
भूटान में लामा द्रुकपा क्यूनले को समर्पित चिमी ल्हाखांग नाम का एक प्रसिद्ध मंदिर है. माना जाता है कि लामा द्रुकपा क्यूनले ने अपने ताकतवर लिंग से एक राक्षसी को हराया था. इंस्टाग्राम पर सिमरन बलराज जैन नाम की एक यूजर ने अपनी यात्रा में चिमी ल्हाखांग मंदिर के बारे में बताया. इस मंदिर को भूटान का फर्टिलिटी मंदिर भी कहा जाता है.
माना जाता है कि महिलाएं यहां संतान प्राप्ति के लिए आती हैं. वहीं यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर लिंग की पेंटिंग फर्टिलिटी को बढ़ावा देती हैं और बुरी आत्माओं या बुरी नजर से बचाती हैं.
बुरी आत्माओं से बचाता है लिंग
बताया जाता है कि इस मंदिर को 14वें द्रुकपा नवांग चोग्याल ने बनवाया था. वहीं मंदिर के अंदर मौजूद स्तूप को एक योगी ने बनाया था. उन्हें वहां 'डिवाइन मैडमैन' भी कहा जाता है. इसका अर्थ है वह व्यक्ति जो पूरी तरह से भगवान की भक्ति में लीन हो. कहा जाता है कि द्रुकपा क्यूनले एक बौद्ध धर्मगुरु थे. वह तिब्बत से भूटान आए थे. उन्होंने पुनाखा में भूत को भगाने के लिए लिंग के आकार का डंडा बनाकर उसपर हमला किया. भूत कुत्ते में परिवर्तित हो गया. 'डिवाइन मैडमैन' मरे हुए कुत्ते को एक स्तूप में ले आए. तभी से वहां लिंग को काफी महत्व दिया जाने लोग. लोग इमारतों में लिंग की आकृति बनाने लगे. माना जाता है कि लिंग आत्माओं से घर की रक्षा करते हैं.
इन बातों का ध्यान रखें
बता दें कि चिमी ल्हाखांग मंदिर पुनाखा के लोबेसा गांव में स्थित है. आप यहां जाने के लिए प्राइवेट टैक्सी ले सकते हैं. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए धान के खेतों से होकर चलना पड़ता है. मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है. साथ ही यहां ऊंची आवाज में बात करना भी अनुचित माना जाता है. मंदिर में जूते उतारकर ही जाने की अनुमति है.