भारत के पास होंगे धाकड़ स्पाई प्लेन्स, अमेरिका-फ्रांस के साथ मिलकर बनाएगा जेट्स की दुनिया के 'शेरलॉक होम्स'!
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भारत के पास होंगे धाकड़ स्पाई प्लेन्स, अमेरिका-फ्रांस के साथ मिलकर बनाएगा जेट्स की दुनिया के 'शेरलॉक होम्स'!

India Air Force Spy Jets: भारत अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए स्पाई जेट्स बनाने वाला है. इसके लिए उसके पास अमेरिकी और फ्रांसीसी कंपनी से भी विशेषज्ञता और तकनीक प्रदान करने का ऑफर आया है. अब भारत स्पाई जेट्स की फ्लीट तैयार करेगा

भारत के पास होंगे धाकड़ स्पाई प्लेन्स, अमेरिका-फ्रांस के साथ मिलकर बनाएगा जेट्स की दुनिया के 'शेरलॉक होम्स'!

India Air Force Spy Jets: भारत अपनी सैन्य और खुफिया क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाने वाला है. ऐसी खबर है कि अब भारत अत्याधुनिक जासूसी विमानों की एक फ्लीट तैयार करने वाला है. इसके लिए भारत की खोजबीन भी शुरू हो गई है. इस प्रोजेक्ट के लिए  अमेरिकी रक्षा कंपनी L3Harris और फ्रांसीसी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी Thales ने भारत को ऑफर भी दिया है.

  1. अमेरिकी रक्षा कंपनी L3Harri ने दिया ऑफर
  2. फ्रांसीसी कंपनी Thales ने भी ऑफर दिया

अमेरिका और फ्रांस कर सकते हैं मदद
जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा कंपनी L3Harris और फ्रांसीसी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी Thales ने भारत को अपनी विशेषज्ञता और तकनीक प्रदान करने की पेशकश की है. ये विमान सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) और संचार जैमिंग (COMJAM) जैसी उन्नत तकनीकों से लैस होंगे, जो भारत की रक्षा और निगरानी क्षमताओं को बड़े स्तर तक ले जाएंगे.

SIGINT और COMJAM तकनीक क्या है?
SIGINT और COMJAM ऐसी तकनीक है, जिनके मिलने से विमानों को एक शक्तिशाली हथियार बनाया जा सकता है, जो युद्ध के समय और शांति के दौरान दोनों भी  उपयोगी साबित हो सकता है.
SIGINT (सिग्नल इंटेलिजेंस) का मतलब है दुश्मन के रेडियो संकेतों, संचार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों को इंटरसेप्ट करना और उनका विश्लेषण करना है.
COMJAM (कम्युनिकेशन जैमिंग) का उद्देश्य दुश्मन के संचार को बाधित करना या ब्लॉक करना है

DIA संचालित करेगा
ये जासूसी विमान भारत Defence Intelligence Agency - DIA के लिए संचालित किए जाएंगे. इन विमानों का उपयोग दुश्मन के संचार को सुनने और उसे बाधित करने के लिए किया जाएगा. पड़ोसी देशों से पैदा होने वाले खतरों से निपटने में ये तकनीक भारत को सक्षम बनाएगी.

मेक इन इंडिया का हिस्सा है प्रोजेक्ट
इस परियोजना को पूरा करने के लिए भले बाहर की कंपनियों की मदद लेनी पड़े, लेकिन स्वदेशी तकनीक और उपकरणों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. ये प्रोजेक्ट भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' का हिस्सा है, इसका लक्ष्य देश में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है.

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