Terrorist copying Hamas model: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. सेना के जवानों की वर्दी पहने आतंकवादियों ने लोगों को नजदीक से निशाना बनाया; लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने इसकी जिम्मेदारी ली है.
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Hamas Model: एक सोची-समझी रणनीति के तहत कश्मीरी आतंकी संगठन अपनी खुलेआम इस्लामी उग्रवादी पहचान को पीछे छोड़ हमास तथा फिलिस्तीनी नैरेटिव से सीख लेते हुए राजनीतिक प्रतिरोध आंदोलन का वेश धारण कर रहे हैं.
पहलगाम आतंकी हमले को विशेषज्ञ हमास शैली का आतंकी हमला कह रहे हैं. यह हमला कश्मीर घाटी के घास के मैदानों में पाकिस्तानी घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों द्वारा किया गया.
दोनों हमलों में (हमास ने इजरायल पर किया हमला, पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने स्थानीय दहशतगर्दों के साथ मिलकर पहलगाम में किया हमला) हमलावरों ने सीमा पार करके लोगों पर लगातार गोलीबारी करने के बाद निर्दोष लोगों की जान ले ली.
इसके जवाब में, कश्मीर बंद का आह्वान किया गया और अब देश इस घातक हमले के लिए कड़ी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है.
रीब्रांडिंग कर रहे आतंकी संगठन
2023 की सर्दियों में जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में चार सैनिकों की जान चली गई. इसकी जिम्मेदारी ऐसे ग्रुप ने ली, जिसे लोग ज्यादा नहीं जानते थे. पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट (PAFF) ने जिम्मेदारी ली.
महीनों बाद, गुलमर्ग में एक और हमले में राष्ट्रीय राइफल्स के दो सैनिकों सहित चार और लोग मारे गए, जिसका श्रेय फिर से PAFF को दिया गया. इसी तरह 2020 की गर्मियों में केरन में भीषण गोलीबारी हुई, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग हताहत हुए.
हमलावर द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के आतंकवादी निकले. पहले अनसुने इन समूहों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान जल्दी ही अपनी ओर आकर्षित कर लिया.
जांच से पता चला कि PAFF और TRF नए ग्रुप नहीं हैं, बल्कि क्रमशः कुख्यात जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के ही बनाई गई नई यूनिट है.
यह रीब्रांडिंग उनकी जिहादी जड़ों को छिपाने और स्वदेशी प्रतिरोध का मुखौटा पेश करने के लिए एक सुनियोजित कदम था.
रणनीतिक रीब्रांडिंग
2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया. इससे क्षेत्र की राजनीतिक गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलाव आया. जवाब में आतंकवादी समूहों ने खुद को रीब्रांड करके अनुकूलन करने की कोशिश की. PAFF और TRF जैसे धर्मनिरपेक्ष लग रहे नामों को अपनाना प्रतिरोध और आत्मनिर्णय के वैश्विक नैरेटिव के साथ तालमेल बिठाने का एक रणनीतिक प्रयास था, जिससे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से सहानुभूति और समर्थन प्राप्त हुआ और इस्लामी चरमपंथ से जुड़े कलंक से बचा जा सका.
दरअसल, इससे लोगों में भ्रम पैदा किया जा सका है. ताकि जमीन पर उनका समर्थन बरकरार रहे. साथ ही पाकिस्तान को प्रतिबंधों से बचने में मदद मिल रही है और वे बिना किसी संदेह के अपनी नापाक गतिविधियां जारी रखे हुआ है.'
वैश्विक नैरेटिव का दोहन करना
इन समूहों का पुनःब्रांडिंग केवल दिखावटी नहीं था, बल्कि वैश्विक नैरेटिव का दोहन करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास था. 'प्रतिरोध' और 'फासीवाद विरोधी' जैसे शब्दों को अपनाकर, इन समूहों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर उत्पीड़न के खिलाफ वैध तरीके से लड़ना दिखाना है. इस बदलाव ने उन्हें अपने इस्लामवादी मूल से खुद को दूर करने और आत्मनिर्णय के लिए लड़ने वाले धर्मनिरपेक्ष आंदोलन के रूप में खुद को पेश करने में मदद की.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के प्रमुख अजय साहनी ने बताया, 'यह मूल रूप से लश्कर का एक मुखौटा है. ये ऐसे समूह हैं जो पिछले वर्षों में बनाए गए हैं, खासकर जब पाकिस्तान वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के दबाव में था और वे ... बनाने की कोशिश कर रहे थे.'
नए वेश में पहले जैसी क्रूरता
नाम, पता बेशक बदला हो, लेकिन इन समूहों के काम करने की रणनीति अपने पूर्ववर्तियों के अनुरूप ही बनी हुई है. TRF और PAFF ने सुरक्षा बलों और नागरिकों के खिलाफ हमले जारी रखे है. साथ ही आतंकवादियों की भर्ती की और सीमा पार हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी की.
उनकी गतिविधियों को उनके मूल संगठनों, लश्कर और जैश द्वारा चलाया जा रहा है. जनवरी 2023 में, भारत के गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान से जम्मू और कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की भर्ती, घुसपैठ और तस्करी सहित विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों में इसकी संलिप्तता का हवाला देते हुए, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत TRF को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया. इसी तरह, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, भारतीय बलों पर हमला करने और हिंसक आतंकवादी कृत्यों में भाग लेने में इसकी भूमिका के लिए PAFF को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था.
'हमास शैली' का हमला
इस हमले की तुलना 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास द्वारा किए गए हमले से की जा रही है, जिसमें उग्रवादियों ने गाजा से इजरायली क्षेत्र में प्रवेश किया और नागरिकों की अंधाधुंध हत्या की. पहलगाम की घटना में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पर्यटकों से उनके धर्म के बारे में पूछा, उनकी ID चेक की और उनसे इस्लामी आयतें पढ़ने को कहा, जो लोग ऐसा नहीं कर पाए, उन्हें बिल्कुल नजदीक से गोली मार दी गई.
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर बड़े पैमाने पर हमला किया, जो देश के इतिहास में सबसे विनाशकारी दिनों में से एक था.
इस हमले में गाजा से हजारों रॉकेट दागे गए और उग्रवादियों ने जमीनी घुसपैठ की.लगभग 1,200 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया.
पूर्व जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख शेष पॉल वैद ने पहलगाम हमले को 'पुलवामा 2.0 पल' कहा और इसकी तुलना हमास द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए हमले से की. उन्होंने कहा कि भारत को भी इजरायल की तरह ही इसका कड़ा जवाब देना चाहिए.
वैद ने कहा, 'यह 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए हमास स्टाइल के हमले जैसा था. यह कोई संयोग नहीं है कि असीम मुनीर (पाकिस्तानी सेना प्रमुख) ने दो दिन पहले भड़काऊ बयान दिए थे, जिसके बाद यह हमला हुआ जिसमें पर्यटकों से उनका धर्म पूछा गया. उन्होंने कहा, 'हमारी प्रतिक्रिया इजरायल की तरह ही उचित होनी चाहिए.'
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