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जब महाराणा प्रताप के सपने से भी कांप उठा Akbar, महान योद्धा ने कभी पूरी नहीं होने दी मुगल बादशाह की ये इच्छा

Maharana Pratap History: एक प्रसिद्ध कहावत है 'महाराणा प्रताप कभी नहीं हारे और अकबर कभी नहीं जीता.'  वैसे तो महाराणा प्रताप ने अकबर की सेना को कई बार धूल चटाई थी, लेकिन सही संख्या बताना मुश्किल है. हालांकि हल्दीघाटी का युद्ध बहुत महत्वपूर्ण व भीषण था. 

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महाराणा प्रताप जन्मजात लीडर थे और बचपन से ही उन्होंने युद्ध का गहन प्रशिक्षण लिया था. मेवाड़ के स्थानीय लोगों के बीच उपलब्ध संसाधनों और लोककथाओं के अनुसार, वह 7.6 फीट लंबे थे और 70 किलो का युद्ध कवच पहनते थे और दो तलवारें रखते थे जिनका कुल वजन 10 किलो तक होता था और एक भाला जिसका वजन 80 किलो तक होता था.

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महाराणा प्रताप उस समय के एकमात्र राजा थे जिन्हें अकबर जीवन भर पकड़ने की कोशिशों के बावजूद नहीं पकड़ पाया. एक प्रसिद्ध कहावत है 'महाराणा प्रताप कभी नहीं हारे और अकबर कभी नहीं जीता.' महाराणा प्रताप जंगलों के बीच रहते थे और उनकी सेना और आदिवासी लोग पत्तों में खाना खाते थे. 

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महाराणा प्रताप में आत्म-सम्मान की बहुत बड़ी भावना थी, वे हमेशा कहते थे 'मैं भूखा रह लूंगा, मैं युद्ध में मरना पसंद करूंगा लेकिन मैं अकबर के सामने कभी अपना सिर नहीं झुकाऊंगा.' अकबर ने चतुराई से आमेर के राजा टोडरमल, जय सिंह को अपनी ओर कर लिया और महाराणा प्रताप को अलग-थलग करने की कोशिश की लेकिन महाराणा प्रताप ने आदिवासी लोगों को प्रशिक्षित किया, एक आदिवासी सेना बनाई और मजबूत वापसी की.

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महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध के लिए बहुत जाना जाता है, जो वर्ष 1576 में हुआ था. वैसे तो महाराणा प्रताप ने अकबर की सेना को कई बार धूल चटाई थी, लेकिन सही संख्या बताना मुश्किल है. हालांकि हल्दीघाटी का युद्ध बहुत महत्वपूर्ण व भीषण था. पिछले कुछ साल पहले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दसवीं कक्षा की अपनी किताबों में संशोधन किया और बताया कि महाराणा प्रताप ने 16वीं शताब्दी में हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल सम्राट अकबर को निर्णायक रूप से हराया था.नहीं तो इससे पहले बताया जाता था कि 18 जून 1576 को हुए हल्दीघाटी के युद्ध का कोई निर्णय नहीं निकला था.

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अकबर ने महाराणा प्रताप पर ध्यान दिया हुआ था, क्योंकि वह मेवाड़ को अपने शासन के अधीन करना चाहता था और महाराणा प्रताप उस समय मेवाड़ के शासक थे. सामरिक दृष्टि से अकबर के लिए मेवाड़ बहुत महत्वपूर्ण था. हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर के पास 80,000 सेना थी और महाराणा प्रताप के पास 15,000 सेना थी, लेकिन फिर भी उन्होंने वह युद्ध जीत लिया. महाराणा प्रताप को अरावली पर्वतमाला का बहुत अच्छा ज्ञान था क्योंकि वे उसी क्षेत्र में जन्मे और पले-बढ़े थे. उन्होंने उन पर्वतमालाओं को ऊपर और नीचे से इस तरह से कवर किया कि अकबर की सेना दोनों तरफ से पहाड़ियों से घिर जाए और उन्होंने उस युद्ध में गुरिल्ला युद्ध का इस्तेमाल किया. उस युद्ध में महाराणा प्रताप को आदिवासी लोगों का समर्थन मिला और उन्होंने अफगानी राजा हकीम खान की भी मदद ली जो उन दिनों अकबर के खिलाफ था और अंततः शक्तिशाली मुगल सेना को हराकर उस युद्ध को जीत लिया.

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इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपनी तलवार के एक ही वार से बहलोल खां को उसके घोड़े समेत दो टुकड़ों में काट डाला था. बहलोल खान अकबर का गौरव था. वह अकबर का सबसे शक्तिशाली सेनापति था. अकबर महाराणा प्रताप से बहुत डरता था. अकबर कभी भी महाराणा प्रताप के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं करता था. उसने अपने अंगरक्षकों को आदेश दिया था कि रात को सोने से पहले उसके सामने महाराणा प्रताप के बारे में बात न करें क्योंकि अकबर को सपने आते थे कि महाराणा प्रताप उसे धमका रहे हैं और कभी-कभी उसे मार भी रहे हैं.

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अकबर की एक इच्छा उसकी मृत्यु तक भी पूरी नहीं हुई कि महाराणा प्रताप उसके सामने आत्मसमर्पण कर दें.अकबर ने प्रताप से यह कहने की हद तक चले गए कि मैं तुम्हें आधे हिंदुस्तान पर राज करने दूंगा लेकिन मेरा शासन स्वीकार करो. लेकिन महाराणा प्रताप ने फिर भी अपना स्वाभिमान दिखाते हुए इससे इनकार कर दिया.

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