1 करोड़ परीक्षार्थी, फिर भी पेपर लीक नहीं... कैसे होती है दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा?
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1 करोड़ परीक्षार्थी, फिर भी पेपर लीक नहीं... कैसे होती है दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा?

 NEET Paper Leak: देश में नीट का पेपर लीक होने का दावा किया जा रहा है. इसी बीच दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा की चर्चा हो रही है, जिसमें 1 करोड़ अभ्यार्थी बैठते हैं. फिर भी इसका पेपर लीक नहीं होता है. ये परीक्षा चीन में होती है.

1 करोड़ परीक्षार्थी, फिर भी पेपर लीक नहीं... कैसे होती है दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा?

नई दिल्ली: NEET Paper Leak: देश में एक के बाद एक पेपर लीक के मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में नीट का पेपर लीक होने का दावा भी किया जा रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इससे पहले केंद्र सरकार ने UGC-NET का एग्जाम रद्द किया ही था. राज्यों में भी पेपर लीक के मामले सामने आते रहे हैं. इसी बीच दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा चर्चा में हैं, जिसका पेपर कभी लीक नहीं हुआ.

  1. हर साल होती है ये परीक्षा
  2. हायर एजुकेशन का एंट्रेंस एग्जाम

क्या होती है Gaokao Exam?
चीन में होने वाली गाओकाओ एग्जाम दुनिया की सबसे टफ एग्जाम मानी जाती है. गाओकाओ का शाब्दिक अर्थ 'उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षा' होता है. देश में हायर एजुकेशन में एनरोल होने के लिए ये परीक्षा देना अनिवार्य है. इसे National Higher Education Entrance Examination के नाम से भी जाना जाता है.  इस परीक्षा की शुरुआत साल 1952 में हुई. साल 1966 और 1976 के बीच माओ जेडांग की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान इसे रोका गया था.

1 करोड़ छात्र देते हैं ये परीक्षा
हर वर्ष करीब एक करोड़ छात्र गाओकाओ एग्जाम देते हैं.ये परीक्षा हर साल जून में होती है. यूनिवर्सिटी में प्रवेश पाने के लिए ये इकलौता एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया माना जाता है. इसकी परीक्षा में चीनी लिटरेचर, गणित और एक अन्य विदेशी भाषा से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. ये परीक्षा दो दिन तक होती है. इसके लिए 10 घंटे का पेपर देना होता है. 

'ये परीक्षा देना, जंग लड़ने जैसा'
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एजुकेशनल इनोवेशन सेंटर के रिसर्चर श्वेक्विन जियांग ने इस परीक्षा के बारे में विचार रखे थे. उन्होंने कहा, 'गाओकाओ परीक्षा देने वाले बच्चों के ये जंग में जाने जैसा है. टीचर्स उन्हें इस तरह बताते हैं कि ये परीक्षा उनके लिए जिंदगी या मौत का सवाल है. चीन में जब बच्चा पैदा होता है, तभी उसके पैरेंट्स ये सोचने लग जाते हैं कि उनका बच्चा गाओकाओ में कैसे अच्छा परफॉर्म करेगा.'

प्रश्न पत्रों की होती है GPS ट्रैकिंग
इस परीक्षा के लिए एग्जाम सेंटर्स पर सुरक्षा की खास व्यवस्था होती है. ड्रोंस के जरिये एग्जाम सेंटर्स पर नजर रखी जाती है. प्रश्न पत्रों की लोकेशन ट्रैक की जाती है. वे जब तक कॉलेज तक नहीं पहुंचते उनकी GPS ट्रैकिंग होती होती है. परीक्षा सेंटर में छात्रों तक पहुंचने वाले रेडियो सिग्नल को भी रोक दिया जाता है. जिस दिन ये परीक्षा होती है, उस दिन सड़कें बंद कर दी जाती हैं. एग्जाम सेंटर के आसपास के कंस्ट्रक्शन वर्क पर रोक लगा दी जाती है. 

पेपर लीक करने पर जेल होती है
पेपर लीक को रोकने के लिए बीजिंग सरकार समय-समय पर सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा करती है, उन्हें और कड़ा बनाया जाता है. साल 2016 में चीन की सरकार ने ऐलान किया था कि जो छात्र गाओकाओ परीक्षा में गड़बड़ करेंगे, उन्हें जेल की सजा सुनाई जाएगी. पेपर लीक में शामिल लोगों को 7 साल की जेल होती है.

फेस और फिंगरप्रिंट का सत्यापन
अक्सर भारत में ऐसे मामले सुनने में आते हैं कि परीक्षार्थी की जगह कोई दूसरा पेपर दे जाता है. लेकिन चीन में परीक्षार्थियों की पहचान की पुष्टि के लिए उनके चेहरे या फिंगरप्रिंट का सत्यापन किया जाता है. हर एग्जाम सेंटर पर 8 पुलिस अधिकारियों का तैनात होना जरूरी है.

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रौनक भैड़ा

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