सभी देश हर तरह के हमलों का सामना करने के लिए लगभग पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि अगर वर्ल्ड वॉर 3 होता है तो उस दौरान किस तरह के घातक हथियारों का सामना किया जाएगा, जिससे पहले भी ज्यादा तबाही मच सकती है.
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नई दिल्ली: पिछले कुछ समय से वर्ल्ड वॉर 3 को लेकर कई तरह की खबरें सुनने को मिल रही हैं. हालांकि, विश्व युद्ध का नाम सुनते ही रुह कांप उठती है. हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बमों के कारण मची तबाही की यादें आज भी झकझोर कर रख देती हैं, लेकिन आज अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ, तो वह तबाही हिरोशिमा-नागासाकी से कहीं गुना ज्यादा भयावह होगी, इसका कारण ही आज के हथियार पहले की तुलना में अत्याधुनिक हो चुके हैं और पूरी दुनिया में तबाही मचाने के लिए काफी हैं. ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि अगर वर्ल्ड वॉर 3 छिड़ता है तो सबसे ज्यादा नुकसान कौन से हथियारों से हो सकता है.
परमाणु हथियार
परमाणु बम को आज भी सबसे घातक हथियार माना जाता है. 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में गिराए बमों की ताकत 15-20 किलो टन थी, जबकि आज के ये परमाणु बम उससे सैकड़ों गुना ज्यादा शक्तिशाली हो चुके हैं. एक बड़ा परमाणु बम अगर कहीं गिर जाए तो पूरे शहर को चुटकियों में तबाह कर सकता है. इतना ही नहीं, इसके रेडिएशन का असर दशकों तक रहता है, जिसकी वजह कैंसर, जेनेटिक समस्याए और पर्यावरणीय विनाश जैसी परेशानियां लगातार देखने को मिलती रहती हैं.
हाइपरसोनिक मिसाइलें
हाइपरसोनिक मिसाइलों को आज के वक्त की सबसे उन्नत तकनीक माना जा सकता है. हाइपरसोनक का अर्थ है ध्वनि की गति से भी 5-10 गुना तेज चलने वाली मिसाइलों से है. किसी भी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती हैं. रूस की किंजाल और जिरकॉन मिसाइल, चीन की DF-ZF और अमेरिका की X-51A वेवराइडर ऐसी मिसाइलें जो तबाही मचाने के लिए किसी परमाणु हथियार से कम नहीं हैं.
जैविक और हथियार
जैविक हथियार बैक्टीरिया, वायरस या टॉक्सिन्स से बनाए जाते हैं. एंथ्रेक्स, स्मॉलपॉक्स (चेचक), या प्लेग जैसी बीमारियां जैविक हथियार का एक बेहतर उदाहरण हैं. इन हथियारों को बनाना बहुत सस्ता पड़ता है. किसी वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने से एक बार में लाखों लोगों को मार गिराया जा सकता है. वहीं, रासायनिक हथियार जैसे मस्टर्ड गैस, सरीन गैस और VX नर्व एजेंट हजारों लोगों को चुटकियों में मार सकते हैं. इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल पहले विश्व युद्ध से लेकर सीरिया हमलों में भी किया जा चुका है. सरीन गैस का एक छोटा सा हिस्सा भी अगर सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करता है इससे तुरंत मौत हो सकती है.
साइबर हथियार
इस डिजिटल दुनिया में हथियार भी डिजिटल हो चुके हैं. साइबर हथियारों का इस्तेमाल कर बैंक, अस्पताल और सैन्य सिस्टम को ठप किया जा सकत हैं. इस हमले के लिए उदाहरण के तौर पर Stuxnet परमाणु प्रोग्राम हमला देखा जा सकत है, जो 2010 में किया गया था. इस तरह के डिजिटल हमले का का सीधा असर किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकता है.
स्वायत्त हथियार
स्वायत्त हथियार AI की मदद से चलाए जाते हैं. ये हथियार बिना इंसानी हस्तक्षेप के ही हमला कर सकते हैं. ड्रोन और रोबोटिक सैनिक इसे समझाने के लिए एक बेहतर उदाहरण हैं.
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