आज के दौर में 5000 रुपये में एक अच्छा डिनर, एक बजट स्मार्टवॉच या फिर सेविंग अकाउंट में पड़ा एक छोटा अमाउंट हो सकता है. लेकिन 1985 में यही रकम एक जिंदगी बदल सकती थी और राकेश झुनझुनवाला के लिए तो यह रकम एक नई शुरुआत थी.
Trending Photos
आज के दौर में 5000 रुपये में एक अच्छा डिनर, एक बजट स्मार्टवॉच या फिर सेविंग अकाउंट में पड़ा एक छोटा अमाउंट हो सकता है. लेकिन 1985 में यही रकम एक जिंदगी बदल सकती थी और राकेश झुनझुनवाला के लिए तो यह रकम एक नई शुरुआत थी. चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई कर रहे झुनझुनवाला ने अपने भाई से उधार लिए 5000 रुपये और उसे शेयर बाजार में निवेश कर ऐसा मुकाम पाया, जिसकी आज मिसाल दी जाती है.
उनकी कहानी सिर्फ एक सफल इन्वेस्टर्स की नहीं, बल्कि उस सोच की है जो रिस्क लेने से नहीं डरती, जो लंबे समय की सोच रखती है और जो बाजार के उतार-चढ़ाव में भी स्थिर रहना जानती है.
राकेश झुनझुनवाला की सफलता की कहानी
1985 में 5000 रुपये से अपने निवेश सफर की शुरुआत करने वाले राकेश झुनझुनवाला ने पहले ही सौदे में टाटा टी के शेयर खरीदे, जो तीन महीनों में 43 रुपये से 143 रुपये तक पहुंच गए. इस सौदे ने उन्हें आत्मविश्वास दिया और उनकी सोच को नई दिशा. इसके बाद उन्होंने सेसा गोवा, टाटा स्टील जैसे शेयरों में ट्रेडिंग शुरू की और 1989 तक उनका कैपिटल 20-25 लाख रुपये तक पहुंच गया, जो उस समय एक बहुत बड़ी रकम थी.
लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट
लेकिन झुनझुनवाला केवल ट्रेडिंग तक सीमित नहीं रहे. उन्होंने कंपनियों की बैलेंस शीट पढ़ना, एजीएम अटेंड करना और फंडामेंटल्स समझना शुरू किया. उनका लक्ष्य ट्रेडिंग से कैपिटल बनाकर मजबूत कंपनियों में लॉन्ग-टर्म इन्वेस्ट करना था. 90 के दशक और 2000 के शुरुआती वर्षों में उन्होंने लुपिन, क्रिसिल, और फिर टाइटन जैसी कंपनियों में निवेश किया. टाइटन में जब उन्होंने इन्वेस्ट किया तब उसका शेयर मात्र 30 रुपये का था. अगले दो दशकों में वही शेयर 3000 रुपये के पार पहुंचा और उनका निवेश 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया.
इन्वेस्टमेंट फिलॉसफी
राकेश झुनझुनवाला की इन्वेस्टमेंट फिलॉसफी साफ थी “असली दौलत तेजी से नहीं, समय के साथ बनती है.” वे क्रैश के समय भी घबराते नहीं थे. 2008 की मंदी हो या कोविड की गिरावट, उन्होंने हमेशा बिजनेस के मूल्यों को देखा, न कि गिरते हुए शेयर प्राइस को. वे कहते थे कि बुरे समय में जो टिक गया, वही अच्छा कमाता है. उन्होंने रिस्क भी समझदारी से उठाया. टाइटन जैसे कुछ स्टॉक्स में उन्होंने बड़ी हिस्सेदारी रखी, लेकिन फोकस हमेशा समझ और भरोसे पर रहा.
Disclaimer: ज़ी न्यूज किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देता है. निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से जरूर सलाह लें.