Crude Oil Price Dip: पिछले कुछ समय से ग्लोबल लेवल पर क्रूड ऑयल की कीमत में नरमी देखी जा रही है. इसका फायदा आने वाले समय में तेल कंपनियां ग्राहकों को दे सकती हैं. इक्रा ने उम्मीद जताई कि इससे भारत को 1.8 लाख करोड़ का फायदा होगा.
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Crude Oil Price: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. इंटरनेशनल लेवल पर तेल की कीमत में गिरावट से भारत को तेल और गैस के आयात पर बड़ी बचत होने वाली है. रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार यदि ग्लोबल लेवल पर तेल की कीमत में नरमी बनी रहती है तो इससे भारत को 1.8 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. यह खबर इंडियन इकोनॉमी के लिए अच्छी है. पिछले कुछ समय से इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत में नरमी बनी हुई है. इस हफ्ते तेल की कीमत चार साल के सबसे निचले स्तर 60.23 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई.
मार्च 2024 की तुलना में कीमत 20 डॉलर प्रति बैरल कम
आज के अपडेट के अनुसार डब्ल्यूटीआई क्रूड 58.45 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 61.45 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ है. लेकिन यह कीमत मार्च 2024 की तुलना में करीब 20 डॉलर कम है. उस समय भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी. इक्रा ने अनुमान जताया है कि अप्रैल 2025 से मार्च 2026 तक तेल की कीमत 60-70 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेंगी. इससे भारत को तेल आयात पर किये जाने वाले खर्च में 1.8 लाख करोड़ रुपये और नेचुरल गैस (LNG) के आयात पर 6,000 करोड़ रुपये की बचत होगी.
एलपीजी के रेट में कमी से कंपनियों को फायदा
तेल की कीमत में कमी का फायदा तेल कंपनियों को भी मिलेगा. इक्रा के अनुसार ऑयल प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों का मुनाफा 25,000 करोड़ रुपये तक कम हो सकता है. लेकिन इससे उनकी निवेश योजनाओं पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा. दूसरी तरफ तेल बेचने वाली कंपनियां (जैसे पेट्रोल पंप) अच्छा मुनाफा कमाएंगी. सरकार एलपीजी (रसोई गैस) की कीमत नियंत्रित करती है और कंपनियां इसे लागत से कम कीमत पर बेचती हैं. कीमत में कमी से एलपीजी पर भी कम नुकसान होगा, जिससे इन कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद है.
एलएनजी आयात में बचत
तेल की कीमत में कमी से गैस की कीमत पर भी असर होगा और इसी कमी आएगी. इससे भारत को कतर से आयात की जाने वाली प्राकृतिक गैस पर 6,000 करोड़ रुपये की बचत होगी. यह बचत भारत की इकोनॉमी को और मजबूत करेगी. तेल की कीमत में कमी से रिफाइनरियों को कुछ नुकसान हो सकता है, क्योंकि उनके पास पहले से खरीदा हुआ महंगा तेल होगा. साथ ही सरकार पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ा सकती है. तेल की कम होने से देश का आयात बिल कम होगा और इकोनॉमी को स्थिरता मिलेगी.