Sarpanch invited as special guest for Independence Day: भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर गुजरात के बनासकांठा जिले में बसा जलोया गांव इन दिनों सुर्खियों में है. इस गांव को भारत का आखिरी गांव कहा जाता है. इस गांव के सरपंच थानाभाई डोडिया को 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए दिल्ली के लाल किले में विशेष अतिथि के रूप में निमंत्रण मिला है.
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Sarpanch of ‘India’s last village’ on Op Sindoor: भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर गुजरात के बनासकांठा जिले में बसा जलोया गांव इन दिनों सुर्खियों में है. इस गांव को भारत का आखिरी गांव कहा जाता है. इस गांव के सरपंच थानाभाई डोडिया को 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए दिल्ली के लाल किले में विशेष अतिथि के रूप में निमंत्रण मिला है. यह सम्मान उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना की मदद करने के लिए दिया जा रहा है, जो उनके लिए एक ऐसी उपलब्धि है, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
#WATCH | Banaskantha, Gujarat | On being invited as a special guest at the Independence Day celebrations, Sarpanch of Jaloya village, Thanabhai Dodia, says, "I have been invited as a special guest at the Independence Day celebrations. I am thankful to the governments of Gujarat… pic.twitter.com/s8QlEJWZi5
— ANI (@ANI) August 13, 2025
सभी अधिकारियों का तहे दिल से शुक्रिया
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में थानाभाई डोडिया ने खुशी और गर्व के साथ कहा, “मुझे लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी की मौजूदगी में विशेष अतिथि के तौर पर बुलाया गया है. मैं भारत सरकार, गुजरात सरकार और सभी अधिकारियों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला मौका है, जब मुझे सीमा पर बसेआखिरी गांव के सरपंच के रूप में ऐसा सम्मान मिला है.”
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरपंच ने क्या किया?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जलोया गांव ने सेना का दिल खोलकर साथ दिया. डोडिया ने बताया, “जब सेना को मशीनों की जरूरत पड़ी, हमने अपनी मशीनें दीं. जब मजदूर चाहिए थे, हमारे गांव वाले आगे आए. इस मदद की वजह से हमें यह सम्मान मिला है. मोदी जी ने आखिरी गांव के सरपंच को यह मौका देकर हमें गर्व का अहसास कराया है.” उन्होंने यह भी कहा कि गांव का सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ बहुत अच्छा तालमेल है. “ऑपरेशन सिंदूर के समय BSF हमसे हर वक्त संपर्क में थी. हम मिलकर योजना बनाते हैं और साथ काम करते हैं. गांव वालों ने हमेशा BSF की मदद की, और उन्होंने भी हमारा बहुत साथ दिया,”