Israel-Iran conflict: वैश्विक स्तर पर पहले से ही अनिश्चितता बनी हुई है, अगर जीडीपी ग्रोथ में कमी आती है तो देश के बैलेंस ऑफ पेमेंट और इकोनॉमिक स्टेबिलिटी पर जबरदस्त दबाव पड़ेगा.
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Israel-Iran Conflict Impact On India: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने डरावनी भविष्यवाणी की है. SBI रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर हालात और बिगड़ते हैं तो न सिर्फ ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा, बल्कि कच्चे तेल की कीमतें भी बेकाबू हो सकती हैं. इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, जो पहले से ही ऊर्जा आयात पर भारी निर्भर है.
मिडिल ईस्ट में जारी जंग ने पूरी दुनिया के बाजारों में हलचल मचा दी है. अगर चीजें और बिगड़ती हैं तो भारत भी इस जंग में बुरी तरह फंस सकता है. क्योंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 90% कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से हर दिन लगभग 20 लाख बैरल तेल इसी रास्ते से गुजरता है. ईरान ने यह धमकी दी है कि वह इसे बंद कर देगा और संसद में यह प्रस्ताव पारित भी हो चुका है.
भारत का 40% तेल इसी रूट से आता है
SBI रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच स्ट्रेट ऑफ होर्मुज दुनिया की तेल सप्लाई के लिए सबसे बड़ा जोखिम बन गया है. इसी रास्ते से दुनिया के करीब 20% तेल का ट्रांजिट होता है. अगर यह रास्ता बंद होता है तो वैकल्पिक रूट की कमी के कारण सप्लाई पर भारी असर पड़ेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही भारत, ईरान से सीधे तेल नहीं खरीदता है, लेकिन करीब 40% तेल इसी रूट से आता है, इसलिए भारत पर भी बड़ा असर पड़ सकता है. इसके अलावा ईरान दुनिया का नौवां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. ऐसे में अगर प्रतिबंध या युद्ध के चलते उसकी सप्लाई बाधित होती है तो वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में भारी उथल-पुथल आ सकती है.
SBI रिसर्च के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद तेल ढोने वाले जहाजों की शिपिंग लागत बढ़ गई है. चाइना इम्पोर्ट क्रूड ऑयल टैंकर फ्रेट इंडेक्स ऊपर चढ़ गया है. रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि अगर हालात सामान्य रहते हैं तो भी कच्चे तेल की कीमतें $82 से $85 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो मौजूदा औसत $78 से कहीं ज्यादा है. लेकिन अगर तनाव और बढ़ा तो दाम में जबरदस्त उछाल आ सकता है.
देश की जीडीपी पर पड़ेगा असर
SBI रिसर्च ने कहा है कि मई की शुरुआत से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में करीब 10% की तेजी आ चुकी है. इतिहास बताता है कि जब भी तेल की कीमत में $10 प्रति बैरल की बढ़ोतरी होती है, तो भारत में महंगाई दर (CPI) में 25 से 35 बेसिस पॉइंट तक की बढ़ोतरी होती है और असली GDP ग्रोथ में 20 से 30 बेसिस पॉइंट की गिरावट आती है.
ऐसे में अगर हालात और बिगड़ते हैं और कच्चा तेल $130 प्रति बैरल तक पहुंच गया तो इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है. SBI का अनुमान है कि ऐसी स्थिति में GDP ग्रोथ घटकर 5.1% तक आ सकती है. वैश्विक स्तर पर पहले से ही अनिश्चितता बनी हुई है, अगर जीडीपी ग्रोथ में कमी आती है तो देश के बैलेंस ऑफ पेमेंट और इकोनॉमिक स्टेबिलिटी पर जबरदस्त दबाव पड़ेगा.