Amitabh Bachchan: राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन, दोनों ही अपने दौर के बड़े महानायक रहे हैं. दोनों ने ही अपने करियर में कई हिट फिल्में दी हैं, जिनको आज भी पसंद किया जाता है. दोनों ने 54 साल पहले एक फिल्म में साथ काम भी किया था, जो बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर हो गई थी, जिसके डायलॉग और गाने आज भी खूब पसंद किए जाते हैं.
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Amitabh Bachchan Rajesh Khanna Movie: हृषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी निर्देशित 'आनंद' हिंदी सिनेमा की एक सदाबहार फिल्म है. ये कहानी आनंद नाम के एक कैंसर से जंग लड़ रहे शख्स की है, जिसे राजेश खन्ना ने निभाया था. आनंद जिंदगी से भरपूर सोच और खुशमिजाज स्वभाव से हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है. उसकी बीमारी के बावजूद, वो अपने डॉक्टर भास्कर (अमिताभ बच्चन) को जीवन का नया नजरिया देता है.
ये फिल्म दोस्ती, प्रेम और मौत जैसे गहरे विषयों को खूबसूरती से दिखाती है. 'आनंद' की पॉजिटिविटी और उसके यादगार डायलॉग्स इस फिल्म को और खास बनाते हैं. 1990 में 'मूवी' पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन ने राजेश खन्ना के साथ काम करने के अनुभव को साझा किया था. उन्होंने कहा कि हृषिकेश मुखर्जी की निर्देशित 'आनंद' के लिए बुलाया जाना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था. अमिताभ ने माना कि राजेश खन्ना की जबरदस्त लोकप्रियता का असर उन पर भी पड़ा.
'आनंद' में किया था साथ काम
उन्होंने बताया था, 'लोग मुझसे पूछते थे कि राजेश खन्ना कैसे दिखते हैं. वो क्या करते हैं. इससे मुझे भी पहचान मिली. मैं हमेशा काका का सम्मान करता रहा हूं'. राजेश खन्ना ने भी एक खास वाकया याद किया जब उन्होंने 'नमक हराम' की ट्रायल स्क्रीनिंग देखी थी. उन्होंने बताया, 'जब मैंने लिबर्टी सिनेमा में 'नमक हराम' देखी, तब मुझे अहसास हुआ कि मेरा दौर खत्म हो रहा है. मैंने हृषिदा से कहा, 'ये कल का सुपरस्टार है'. जब अमिताभ बच्चन टॉप पर पहुंचे, तब कोई दूसरा उनके आस-पास भी नहीं था'.
धर्मेंद्र को कास्ट करना चाहते थे हृषिकेश मुखर्जी
इस बात से जाहिर होता है कि राजेश खन्ना को अमिताभ की काबिलियत का अंदाजा पहले ही हो गया था. दिलचस्प बात ये है कि 'आनंद' के किरदार के लिए पहले किशोर कुमार और धर्मेंद्र के नाम पर विचार किया गया था. एक बार हृषिकेश मुखर्जी ने धर्मेंद्र को ये कहानी फ्लाइट में सुनाई थी. धर्मेंद्र इस किरदार को निभाना चाहते थे, लेकिन किसी कारणवश ये मौका राजेश खन्ना को मिल गया. ये फैसला बाद में फिल्म की सफलता में अहम साबित हुआ.
आज भी यागदार है ये फिल्म
फिल्म की लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह इसके डायलॉग और गाने थे. 'ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं' जैसे डायलॉग आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं. सलील चौधरी के संगीत ने फिल्म की भावनाओं को और भी गहराई दी. मुकेश द्वारा गाए गीत ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ और ‘मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने’ आज भी पसंद किए जाते हैं. ‘आनंद’ न केवल एक फिल्म बल्कि एक अनुभव है, जो हर बार देखने पर नया अहसास देता है. इस फिल्म ने 1 करोड़ के बजट में 81 करोड़ की कमाई की थी.
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