Explainer: ग‍िरता ड‍िपॉज‍िट रेट या कस्‍टमर बेस बढ़ाना मकसद, बैंक क्‍यों बदल रहे म‍िन‍िमम बैलेंस का रूल?
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Explainer: ग‍िरता ड‍िपॉज‍िट रेट या कस्‍टमर बेस बढ़ाना मकसद, बैंक क्‍यों बदल रहे म‍िन‍िमम बैलेंस का रूल?

Bank of Baroda: देश के पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के कुछ बैंकों ने एवरेज मिन‍िमम बैलेंस (AMB) रखने की जरूरी न‍ियम को खत्म कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ क‍ि कम बैलेंस होने पर भी क‍िसी तरह का जुर्माना नहीं लगेगा. लेक‍िन बैंकों की तरफ से ऐसा क्‍यों क‍िया जा रहा है? आइए जानते हैं-

Explainer: ग‍िरता ड‍िपॉज‍िट रेट या कस्‍टमर बेस बढ़ाना मकसद, बैंक क्‍यों बदल रहे म‍िन‍िमम बैलेंस का रूल?

Minimum Balance Rule: कई बैंकों की तरफ से सेव‍िंग अकाउंट में म‍िन‍िमम बैलेंस मेंटेंन नहीं करने पर पेनाल्‍टी लगाई जाती है. म‍िन‍िमम बैलेंस की रकम और पेनाल्‍टी ट‍ियर 1, ट‍ियर 2 और ट‍ियर 3 शहरों में अलग-अलग होती है. प‍िछले कुछ द‍िनों के दौरान पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के कुछ बैंकों की तरफ से ग्राहकों को सेविंग्‍स अकाउंट में म‍िन‍िमम बैलेंस बनाए रखने की च‍िंता से छुटकारा द‍िया गया है. देश के पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के कुछ बैंकों ने एवरेज मिन‍िमम बैलेंस (AMB) रखने की जरूरी न‍ियम को खत्म कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ क‍ि कम बैलेंस होने पर भी क‍िसी तरह का जुर्माना नहीं लगेगा.

एवरेज म‍िन‍िमम बैलेंस (AMB) क्‍या है?

प‍िछले कुछ द‍िनों में पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और केनरा बैंक ने ज्‍यादातर मामलों में सभी सेविंग्‍स अकाउंट से मिनिमम बैलेंस की शर्त को हटा द‍िया है. औसत मासिक बैलेंस (AMB) का मतलब है क‍ि वह कम से कम पैसा जो एक कस्‍टमर को अपने बैंक अकाउंट में हर महीने बनाए रखना होता है. अगर आपके बैंक अकाउंट में यह तय की गई रकम से कम बैलेंस रहता है तो बैंक आपसे पेनाल्‍टी वसूलते हैं. यह जुर्माना आपके सेविंग्‍स अकाउंट की कैटेगरी के आधार पर अलग-अलग हो सकता है.

बैंकों में घट रहा ड‍िपॉज‍िट रेट
प‍िछले द‍िनों भारतीय र‍िजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह साफ हुआ है क‍ि बैंकों के लोन देने की रफ्तार और उनमें जमा होने वाले पैसों की ग्रोथ कम हो गई है. आरबीआई की तरफ से जारी अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाही की र‍िपोर्ट से साफ हुआ क‍ि बैंक की जमा होने वाले पैसों की ग्रोथ कम हो गई है. दिसंबर 2024 में बैंकों की तरफ से दिए गए कुल लोन की सालाना ग्रोथ 11.8 प्रतिशत रही, जो सितंबर 2024 में 12.6 प्रतिशत थी. इसी तरह बैंकों में कुल जमा ग्रोथ रेट भी पिछली तिमाही के 11.7 प्रतिशत से घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई.

जमा के अलावा लोन की ह‍िस्‍सेदारी भी घटी
पर्सनल लोन का कुल लोन में ह‍िस्‍सा 31.5 प्रतिशत का है, इसकी सालाना ग्रोथ घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई. जुलाई-स‍ितंबर 2024 के दौरान यह 15.2 प्रतिशत पर थी. एग्रीकल्‍चर और इंडस्‍ट्री सेक्‍टर को दिए जाने वाले लोन की भी रफ्तार भी कम हुई. हालांक‍ि ब‍िजनेस, फाइनेंस और और पेशेवर सर्व‍िस के लि‍ए लोन देने में तेजी देखी गई. खास बात यह है कि पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के संगठनों को दिए जाने वाले लोन में तेजी से इजाफा हुआ है. पिछली तिमाही में यह महज 0.3 प्रतिशत था, जो दिसंबर 2024 में बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो गया. कुल लोन में पब्‍ल‍िक सेक्‍टर के लोन की हिस्सेदारी 13.6 प्रतिशत थी.

क्‍यों हटाई जा रही म‍िन‍िमम बैलेंस की ल‍िम‍िट?
बैंकों की तरफ से सेव‍िंग अकाउंट में म‍िन‍िमम बैलेंस रखने की ल‍िम‍िट इसलिए हटाई जा रही है ताक‍ि कस्‍टमर पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम किया जा सके. इससे खासकर कम आमदनी वाले लोग, महिलाएं, किसान और ग्रामीण आबादी को काफी राहत मिलेगी. इस फैसले को ल‍िये जाने के पीछे डिजिटल बैंकिंग का लगातार बढ़ता यूज, आजकल लोग डिजिटली ज्‍यादा लेनदेन करते हैं, जिससे बैंकों में जाकर पैसे जमा कराने की जरूरत कम हो गई है. इस ल‍िम‍िट को हटाएं जाने के पीछे सरकार की यह भी मंशा है क‍ि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग बैंक‍िंग स‍िस्‍टम से जुड़ें, ताकि सभी को बैंक‍िंग सर्व‍िस का फायदा मिल सके.

क‍िन-क‍िन बैंकों ने दी राहत
इससे पहले बैंक ऑफ बड़ौदा की तरफ से 1 जुलाई 2025 से बैंक ऑफ बड़ौदा ने सेव‍िंग अकाउंट में म‍िन‍िमम बैलेंस नहीं रखने पर लगने वाली फीस को खत्म कर दिया है. अब ग्राहकों को मंथली एवरेज बैलेंस कम होने पर क‍िसी तरह का चार्ज नहीं देना होगा. इसी तरह इंडियन बैंक ने भी 7 जुलाई, 2025 से सभी सेव‍िंग अकाउंट में म‍िन‍िमम बैलेंस रखने की शर्त और उस पर लगने वाले चार्ज को पूरी तरह हटा दिया है. केनरा बैंक ने मई 2025 में सभी प्रकार के सेव‍िंग अकाउंट के लिए एवरेज मंथली बैलेंस की जरूरत को खत्‍म कर द‍िया था. पीएनबी की तरफ से भी सभी सेव‍िंग अकाउंट में न्यूनतम एवरेज बैलेंस (MAB) नहीं रखने पर क‍िसी तरह का जुर्माना नहीं लगाया जाएगा. एसबीआई (SBI) ने भी 2020 से सेव‍िंग अकाउंट में म‍िन‍िमम बैलेंस रखने की जरूरत को खत्‍म कर द‍िया है. 

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क्रियांशु सारस्वत

ज़ी हिंदी डिजिटल में बिजनेस एडिटर के रूप में कार्यरत. ब‍िजनेस, पर्सनल फाइनेंस और टैक्‍सेशन से जुड़े टॉप‍िक पर खास पकड़. पाठकों की रुच‍ि को ध्‍यान में रखकर ल‍िखने में महारथ हास‍िल. 2009 में अमर उजाल...और पढ़ें

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