आरा में आयोजित महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला. राजद, सीपीएम, सीपीआई (एमएल) और सीपीआई नेताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों, किसानों की उपेक्षा, महिलाओं के मुद्दे और निजीकरण के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई.
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आरा में महागठबंधन की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से कुछ अहम सवाल किए गए थे, लेकिन उनके जवाब अब तक नहीं मिले. उन्होंने विशेष आग्रह किया था कि गुजरात में पूंजी का संकेंद्रण और बिहार के श्रमिकों का केवल उपयोग एक असमानता को दर्शाता है.
मनोज झा ने यह भी कहा कि पीएम से नौवीं अनुसूची में आरक्षण से संबंधित मुद्दे पर कार्रवाई की अपील की गई थी, लेकिन मामला अदालत में डाल दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि बार-बार उन्हीं परियोजनाओं का उद्घाटन किया जा रहा है, जो पहले ही शुरू हो चुकी हैं.
मनोज झा ने पीएम के विवाह समारोह में जाने को लेकर भी कटाक्ष किया और कहा कि यदि उन्हें समय था, तो वे शहीदों के घर जा सकते थे, लेकिन उन्होंने समारोह को प्राथमिकता दी. उन्होंने यह भी कहा कि पीएम सिर्फ 'मैं' और 'मेरे' की भाषा बोलते हैं, जबकि देश की सेना और नागरिक एकजुटता का प्रतीक हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के घड़ी, कलम और कपड़ों की कीमत जोड़ दी जाए तो वह कई राज्यों की प्रति व्यक्ति आय से अधिक है. साथ ही उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने निजीकरण को रोका था, लेकिन अब रेल प्रणाली कहां पहुंच गई है, यह सबके सामने है.
सीपीआई (एमएल) के के.डी. यादव ने कहा कि पीएम मोदी से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन सासाराम की जनसभा में उन्होंने किसानों और महिलाओं की समस्याओं को नहीं सुना. उन्होंने कहा कि पीएम केवल चुनावी जुमलेबाज़ी करते हैं और आम लोगों के सवालों से बचते हैं.
सीपीएम के अवधेश कुमार ने कहा कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन यहां के किसानों की समस्याओं पर प्रधानमंत्री खामोश रहते हैं. उन्होंने जनता को धन्यवाद दिया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के रोड शो को नजरअंदाज कर दिया.
सीपीआई नेता निवेदिता झा ने प्रधानमंत्री के सिंदूर से जुड़े बयान पर नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा कि सिंदूर निजी मामला है और प्रधानमंत्री को महिलाओं के रोजगार और शिक्षा की बात करनी चाहिए. उनका कहना था कि प्रधानमंत्री को महिलाओं के व्यक्तिगत जीवन में दखल नहीं देना चाहिए.
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