धोखाधड़ी मामले में ग्रामीण बैंक मैनेजर सहित 5 को जेल, CBI कोर्ट ने सुनाई सजा
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धोखाधड़ी मामले में ग्रामीण बैंक मैनेजर सहित 5 को जेल, CBI कोर्ट ने सुनाई सजा

सीबीआई कोर्ट ने बैंक धोखाधड़ी मामले में 5 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें तीन साल के कठोर कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. आरोपियों में मुंगेर के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक इंद्रेश मिश्रा, बैंक के अन्य अधिकारी और दो निजी व्यक्ति शामिल है.

धोखाधड़ी मामले में ग्रामीण बैंक मैनेजर सहित 5 को जेल, CBI कोर्ट ने सुनाई सजा
धोखाधड़ी मामले में ग्रामीण बैंक मैनेजर सहित 5 को जेल, CBI कोर्ट ने सुनाई सजा

पटना: सीबीआई की विशेष अदालत, पटना ने आज एक बैंक धोखाधड़ी मामले में 5 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें तीन साल के कठोर कारावास (रिगोरस इम्प्रिजनमेंट) और कुल 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. इनमें से एक आरोपी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, मुंगेर का तत्कालीन शाखा प्रबंधक इंद्रेश मिश्रा था. अन्य आरोपियों में मुंगेर ग्रामीण बैंक, बरहिया के तत्कालीन फील्ड सुपरवाइजर ओम प्रकाश शर्मा, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के विकास अधिकारी विनोद कुमार सिंह और दो निजी व्यक्ति, बदन सिंह और सदान सिंह शामिल हैं.

आरोपियों ने मिलकर की थी बैंक और बीमा धोखाधड़ी
यह मामला 29 मार्च 1997 को सीबीआई द्वारा दर्ज किया गया था. आरोप है कि इंद्रेश मिश्रा, जो 1983 से 1988 तक मुंगेर स्थित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की शाखा प्रबंधक के रूप में कार्यरत था, ने अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग करते हुए 76 काल्पनिक लोन खातों का संचालन किया. इन खातों के जरिए उसने 3,92,429 रुपये की राशि को धोखाधड़ी से निकालकर गबन कर लिया. 

फर्जी दस्तावेज बनवाए
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि बैंक के अधिकारियों ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश रची थी. इन व्यक्तियों ने बकायदा झूठे दस्तावेज तैयार किए, जिनके तहत यह दिखाया गया कि उन्होंने उधारकर्ताओं को सामग्री आपूर्ति की थी. आरोपियों ने 25 फर्जी उधारकर्ताओं को पशु ऋण स्वीकृत किए और आपूर्तिकर्ताओं को बिना किसी वास्तविक आपूर्ति के भुगतान कर दिया. 

बीमा कंपनी से भी किया धोखाधड़ी
इसके बाद, कुछ महीनों में इन जानवरों को मृत दिखाया गया और ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा क्लेम भी किया गया. जबकि वास्तव में न तो जानवर खरीदे गए थे और न ही आपूर्तिकर्ताओं ने कोई सामग्री उधारकर्ताओं को दी थी. 

सीबीआई ने की थी चार्जशीट दाखिल
सीबीआई ने मामले की जांच पूरी करने के बाद 19 मार्च 1997 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सजा सुनाई.  

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