80s Top Actor: फिल्म इंडस्ट्री में कई सितारे ऐसे हैं जिनका सितारा जितनी तेजी के चमका उतनी तेजी से डूबा भी. बॉलीवुड की चकाचौंध भरी इस दुनिया में कई सितारे ऐसे हैं जिन्होंने अपने अंदर दूसरे स्टार के खिलाफ दुश्मनी पाल रखी थी. वो अपने से उभरते सितारे से इतना जलने लगे थे कि अकेले में फूट-फूटकर रोते थे. आज हम आपको हिंदी सिनेमाजगत के एक ऐसे सुपरस्टार के बारे में बताते हैं जो अपने ही को-स्टार से इस कदर जलता था कि हिर्स में आकर कई फैसले लिए थे.
1970 से 80 तक इस एक्टर को बॉलीवुड का सबसे हैंडसम एक्टर कहा जाता था. इनकी एक झलक की लड़कियां ऐसी दीवानी रहत थी कि पॉपुलैरिटी आसमान छू रही थी. जिस सितारे की हम बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि विनोद खन्ना हैं. लेकिन करियर के पीक पर विनोद खन्ना की लाइफ में ऐसा मोड़ आया कि सब कुछ छोड़कर सन्यास ले लिया और ओशो ज्वॉइन कर लिया.
ओशो ब्रदर के नाम से जाने जाने वाले स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने विनोद खन्ना के रजनीशपुरम में काफी करीबी थे. इन्होंने विनोद खन्ना को लेकर कई बाते गलाटा इंडिया से बात करते हुए बताईं. इन्होंने कहा कि अक्सर लोगों को ऐसा लगता है कि एक सक्सेफुल मैन हर चीज में सफल होता है. वो अक्सर रोया करते थे. जब भी उनसे पूछो कि क्या हुआ तो वो ये कहते कि उन्हें वाइफ गीतांजलि और बच्चों अक्षय और राहुल की याद आ रही है.
ओशो ब्रदर का मानना है कि विनोद खन्ना के रोने की वजह उनका परिवार को मिस करना नहीं बल्कि अमिताभ बच्चन से जलन थी. जैसे ही विनोद खन्ना ने ग्लैमर वर्ल्ड से किनारा कर लिया अमिताभ बच्चन देखते ही देखते उभरता हुआ सितारा बनने लगे. विनोद जैसे ही यूएस शिफ्ट हुए उधर उनके प्रतिद्वंदी अमिताभ बच्चन एमपी बन गए. वो उनसे और ज्यादा जलन करने लगे. लेकिन, इस बात का खुद विनोद को एहसास नहीं था.
ओशो ने कहा कि विनोद भारत वापस आए और उनके अपोजिट वाली पार्टी ज्वॉइन कर ली उनके खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए. विनोद को जब इस बात का एहसास हुआ तो वो टूट गए. तो उन्होंने कहा कि वो राजनीति की बिल्कुल भी परवाह नहीं करते हैं. सिर्फ परिवार को मिस कर रहे हैं. तब उन्होंने कहा कि नहीं, ऐसा नहीं है. तुम सिर्फ इमोशनल लेवल पर बात कर रहे हो. लेकिन अपना दर्द छिपा रहे हो. तुम्हारा दिमाग सतही लेवल पर बता रहा है कि तुम बच्चों को मिस कर रहे हो. लेकिन असलियत ये है कि तुम बच्चन से जल रहे हो. तुम्हें उसके खिलाफ लड़ना चाहिए.
इन्होंने कहा कि लेट 80s में विनोद खन्ना भारत वापस आए. यहां आकर परिवार से नहीं मिले बल्कि किसी के प्यार में पड़ गए. इन्होंने कहा कि विनोद का कॉन्शियस माइंड उन्हें कन्विंस करने की कोशिश कर रहा था कि वो एक नेक आदमी है. जो अपने परिवार को मिस कर रहा है. लेकिन असल वजह ये थी कि वो फिल्म इंडस्ट्री में टॉप की पोजीशन को मिस कर रहे थे.
हिंदी रश को दिए इंटरव्यू में स्वामी ने कहा कि वो बस बच्चन साहब से जलते थे और उनकी ये पीड़ा कई और तरीकों से बाहर आ रही थी. आपको बता दें, विनोद खन्ना की मौत 70 की उम्र में एडवांस ब्लैडर कैंसर की वजह से हुई. इन्हें धमाकेदार परफॉर्मेंस के लिए आज भी याद किया जाता है. सुपरहिट फिल्मों में 'अमर अकबर एंथेनी', 'मेरे अपने', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'दयावान' और कई फिल्में शामिल हैं.
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