DNA Analysis: अगर अमेरिका दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा उत्पादक है. तो रूस और चीन भी दुनिया में हथियारों की बड़ी फैक्ट्री हैं. और भारत भी तेजी से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है. यानि आसमान-ज़मीन और समंदर में तीन देशों का गठबंधन अमेरिका की अगुवाई वाले गठबंधन NATO को कड़ी टक्कर देगा.
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DNA Analysis: अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने कहा था कि अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक हो सकता है, लेकिन अमेरिका का दोस्त होना घातक हो सकता है. यानी अमेरिका की दुश्मनी से भी ज्यादा खतरनाक है उसकी दोस्ती. अमेरिका के प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप जिन्हें हम मिस्टर 25 परसेंट भी कहते हैं. वो भारत को दोस्त भी कहते हैं. टैरिफ भी बढ़ाते हैं और धमकी भी देते हैं. यानी ट्रंप की ऐसी दोस्ती भारत के लिए घातक है. और ये बात आज सही साबित हो रही है.
भारत ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी कीमत पर अमेरिका का दबाव या वर्चस्व स्वीकार नहीं करेगा. वैसे सिर्फ भारत ने नहीं रूस ने भी डॉनल्ड ट्रंप का सच से सामना करवा दिया है. आज आपको भी भारत को प्रतिबंध की अमेरिकी धमकी के बाद रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा के बयान की कुछ अहम बातों को जरूर जानना चाहिए, क्योंकि इस बयान में अमेरिका के लिए भविष्य की बहुत बड़ी चुनौती छिपी हुई है. रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने अमेरिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा-
-अमेरिका की सरकार दुनिया के देशों पर प्रभुत्व जमाने के लिए टैरिफ का इस्तेमाल कर रही है.
-जिन देशों ने अमेरिका से अलग रास्ता चुना उन पर आर्थिक दबाव डाला जा रहा है.
- उनका देश बहुपक्षीय और समान विश्व व्यवस्था बनाने के लिए इन देशों का समर्थन करता है. मतलब रूस खुलकर भारत के समर्थन में खड़ा है. अमेरिका के खिलाफ चीन के समर्थन में भी खड़ा है.
- मारिया जखारोवा ने ये भी बताया आखिरकार अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है. जखारोवा ने कहा न्यू वर्ल्ड ऑर्डर में हो रहे अपने नुकसान को अमेरिका बर्दाश्त नहीं कर पा रहा. इसलिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है.
- और अमेरिका के टैरिफ और प्रतिबंध नए वर्ल्ड ऑर्डर को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाएंगे.
रूस की प्रवक्ता ने अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बारे में कहा वो 100 प्रतिशत सच है. ट्रंप अब तक दुनिया को लीड कर रहा अमेरिका खुद को मिल रहे चैलेंज को स्वीकार नहीं कर पा रहा है. अमेरिका दुनिया से अपना नियंत्रण खो रहा है इसलिए डॉनल्ड ट्रंप बौखला रहे हैं. और इसके लिए जिम्मेदार कोई और नहीं खुद डॉनल्ड ट्रंप हैं. जिनके टैरिफ वॉर ने एक ऐसे गठबंधन की नींव रख दी है. जो अमेरिका को दुनिया में बौना बना सकता है. रूस की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने अपने बयान में इसके संकेत भी दिए. जखारोवा ने संकेत दिए हैं वो देश जो इस वक्त दुनिया में अमेरिका के वर्चस्व और नीतियों को चैलेंज कर रहे हैं. अब खुलकर एक साथ आ सकते हैं. तो क्या डॉनल्ड ट्रंप ने दुनिया में रूस-इंडिया और चीन के मजबूत गठबंधन की नींव रख दी है. आज आपको भी जानना चाहिए. जिस बात के संकेत रूस ने दिए हैं. अगर वाकई ऐसा हो गया तो किस तरह वर्ल्ड ऑर्डर पूरी तरह से बदल जाएगा.
डॉनल्ड ट्रंप को ब्रिक्स से बहुत डर लगता है. लेकिन ब्रिक्स नहीं अमेरिका के लिए RICH से निपटना ही मुश्किल पड़ जाएगा । आज आप भी समझिए नया संभावित गठबंधन RICH जिसका शाब्दिक अर्थ ही अमीरी और संपन्नता है. वो कैसे बनेगा और कितना मजबूत होगा. जब R फॉर रशिया. I फॉर इंडिया और CH फॉर चाइना मिलेंगे तो RICH का निर्माण होगा. इस वक्त आप उस संभावित गठबंधन RICH की एक तरफ हैं. जिसका इशारा रूस की तरफ से मिला है. इससे पहले भी रूस, भारत, चीन और रूस के एक साथ आने की अपील कर चुका है. लेकिन अब डॉनल्ड ट्रंप ने जो परिस्थितियां दुनिया में पैदा कर दी हैं. ये गठबंधन एक स्वाभाविक गठबंधन भी बन सकता है.
अब चलिए समझते हैं कि अगर रूस, चीन और भारत एक साथ आते हैं तो कैसे अमेरिका के वर्चस्व को चैलेंज दे सकते हैं.
- अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर मुल्क है. जिसकी जीडीपी लगभग 28 ट्रिलियन डॉलर यानि लगभग 23 लाख करोड़ रुपये है. जबकि चीन, भारत और रूस की संयुक्त डीजीपी इसके काफी करीब यानि 21 लाख करोड़ तक पहुंच जाती है.
- लेकिन आबादी यानि बाजार के मामले में ये तीनों देश मिलकर अमेरिका से काफी आगे हैं. भारत चीन और रूस की आबादी मिलाकर लगभग 3 अरब है यानि दुनिया की 37 % आबाद इन तीन देशों में रहती है. और अमेरिका की आबादी दुनिया की 4% यानि सिर्फ 33 करोड़ है. और ये बात ट्रंप को भी पता है. इतने बड़े बाजार से अगर अमेरिका बाहर हो गया तो उसकी कमर टूट जाएगी .
- अमेरिका दुनिया की सुपर पावर यानि सबसे ताकतवर देश है. लेकिन इसके बाद चीन, रूस और भारत का नंबर आता है. तीन देशों की संयुक्त सेना 48 लाख है जबकि अमेरिका की सेना सिर्फ 13 लाख है. अगर अमेरिका की अगुवाई वाले NATO गठबंधन के देशों को भी मिला लें तो सैनिकों की संख्या भारत-चीन और रूस से कम है.
- सबसे विनाशक परमाणु हथियारों की बात करें तो तीन देशों के गठबंधन के पास इनकी संख्या 6300 है, जबकि अमेरिका के पास 5200 परमाणु हथियार हैं.
वहीं, अगर अमेरिका दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा उत्पादक है. तो रूस और चीन भी दुनिया में हथियारों की बड़ी फैक्ट्री हैं. और भारत भी तेजी से रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है. यानि आसमान-ज़मीन और समंदर में तीन देशों का गठबंधन अमेरिका की अगुवाई वाले गठबंधन NATO को कड़ी टक्कर देगा. हो सकता है अमेरिका और उसके सहयोगियों पर भारी भी पड़ जाए. लेकिन महाशक्तियों का सैन्य टकराव दुनिया को खत्म कर सकता है. तो इस बात की आशंका ज्यादा है. दोनों गुटों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक युद्ध ज्यादा होगा. तो आपको ये भी जान लेना चाहिए संसाधनों के मामले में भी रूस, चीन और भारत अपनी जरूरत का 90 प्रतिशत सामान बिना किसी मदद के तैयार कर सकते हैं. जबकि अमेरिका ऐसा नहीं कर पाएगा.
ऊर्जा क्षेत्र की बात करें तो रूस में तेल, गैस और कोयला का बड़ा भंडार मौजूद है. और रूस दुनिया का बड़ा तेल निर्यातक है
वहीं भारत परमाणु ऊर्जा क्षमता और सौर ऊर्जा में आगे है. जबकि चीन सौर पैनल, विंड टर्बाइन निर्माण का वैश्विक नेता है.
संसाधनों की बात करें तो रूस में टाइटेनियम, निकल, कोबाल्ट, यूरेनियम बड़ी मात्रा में मिलता है. वहीं चीन में 60% से ज्यादा रेयर अर्थ मेटल का उत्पादन होता है. वहीं भारत में बॉक्साइट, लौह अयस्क, ग्रेफाइट और मैगनीज की खानें हैं.
खाद्य सुरक्षा और कृषि की बात करें तो भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध और दाल उत्पादक देश है. वहीं रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है. और चीन भी कृषि मशीनरी और खाद्यान्न उत्पादन में सक्षम है । यानि ये तीनों देश मिल जाएं तो इन्हें दुनिया में किसी की जरूरत नहीं है.
आप आपको भी विदेश मामलों के जानकारों की बात भी जाननी चाहिए. भारत, चीन और रूस के बीच संभावित गठबंधन हुआ तो अमेरिका को कितना भारी पड़ सकता है. ये भी बहुत बड़ी सच्चाई है कि भारत और चीन में अविश्वास की बड़ी खाई है. लेकिन इसी महीने पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और फिर विदेश मंत्री भी चीन जाएंगे. यानि डॉनल्ड ट्रंप की वजह से अविश्वास की खाई भर भी सकती है.